कुछ भी यूं ही नही होता... मोहब्बत में मोहब्बत को पा लेना लाज़मी नही होता... बहुत वक्त लगता है बड़ा कुछ सहना पड़ता है... मंज़िल को हर कोई बस ...
कुछ भी यूं ही नही होता...
मोहब्बत में मोहब्बत को पा लेना लाज़मी नही होता...
बहुत वक्त लगता है बड़ा कुछ सहना पड़ता है...
मंज़िल को हर कोई बस यूं ही नही पा लेता...
अगर चोट लगती है अगर दर्द होता है...
तब हमदर्द मिलता है जो सारे ज़ख्म सिलता है...
आंसूओं का भी गिरना बेवजह नही होता...
बिना जले सोना भी सोना नही होता...
बादल गम के छाये हैं नज़र कुछ ना आये है...
तो आगे मिठी धूप होगी जो रूह को सुकून देगी...
खुशी पाने के लिये कुछ गमों को अपनाना पड़े तो...
ऐसा सौदा फिर मंहगा सौदा नही होता...
धीरज झा...
मोहब्बत में मोहब्बत को पा लेना लाज़मी नही होता...
बहुत वक्त लगता है बड़ा कुछ सहना पड़ता है...
मंज़िल को हर कोई बस यूं ही नही पा लेता...
अगर चोट लगती है अगर दर्द होता है...
तब हमदर्द मिलता है जो सारे ज़ख्म सिलता है...
आंसूओं का भी गिरना बेवजह नही होता...
बिना जले सोना भी सोना नही होता...
बादल गम के छाये हैं नज़र कुछ ना आये है...
तो आगे मिठी धूप होगी जो रूह को सुकून देगी...
खुशी पाने के लिये कुछ गमों को अपनाना पड़े तो...
ऐसा सौदा फिर मंहगा सौदा नही होता...
धीरज झा...
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