कुछ इस तरह से भी प्यार होता है... बिना बोले भी कई बार इज़हार होता है... कुछ इस तरह से भी प्यार होता है... जब मां लड़ पड़ती है बाबा से बेटे ...
कुछ इस तरह से भी प्यार होता है...
बिना बोले भी कई बार इज़हार होता है...
कुछ इस तरह से भी प्यार होता है...
जब मां लड़ पड़ती है बाबा से बेटे को डाट से बचाने के लिये...
जब बाबा आते हैं रूठी बेटी को मनाने के लिये...
जब घर में एक दूसरे के हक लि मिठा सा महौल ए तकरार होता है...
कुछ इस तरह से भी प्यार होता है...
जब भाई बह की.हो जाती है छोटी बातों पर नोक झोंक...
जब करता है बड़ा भाई बहन के भले के लिये रोक टोक...
भाईयों की मदत को बड़ा भाई हर दम तैयार होता है...
सच मानिये कुछ इस तरह से भी प्यार होता है...
जब किसी की खुशी से खुद को सुकून मिल जाये...
हंसता हूआ देख दिल की बगीया का हर फूल खिल जाये...
तब कहां किस कीमत को चुकाने से अपना इनकार होता है...
कुछ इस तरह से बिना बोले भी प्यार होता है...
जब दोस्त मुश्किल में घिरा हो...
मुसीबतें उसकी पर सर अपना फिरा हो...
जब एक दोस्त के सिवा बाकी सारा जहां लग रहा बेकार होता है...
कुछ इस तरह से भी दोस्तों प्यार होता है...
धीरज झा...
बिना बोले भी कई बार इज़हार होता है...
कुछ इस तरह से भी प्यार होता है...
जब मां लड़ पड़ती है बाबा से बेटे को डाट से बचाने के लिये...
जब बाबा आते हैं रूठी बेटी को मनाने के लिये...
जब घर में एक दूसरे के हक लि मिठा सा महौल ए तकरार होता है...
कुछ इस तरह से भी प्यार होता है...
जब भाई बह की.हो जाती है छोटी बातों पर नोक झोंक...
जब करता है बड़ा भाई बहन के भले के लिये रोक टोक...
भाईयों की मदत को बड़ा भाई हर दम तैयार होता है...
सच मानिये कुछ इस तरह से भी प्यार होता है...
जब किसी की खुशी से खुद को सुकून मिल जाये...
हंसता हूआ देख दिल की बगीया का हर फूल खिल जाये...
तब कहां किस कीमत को चुकाने से अपना इनकार होता है...
कुछ इस तरह से बिना बोले भी प्यार होता है...
जब दोस्त मुश्किल में घिरा हो...
मुसीबतें उसकी पर सर अपना फिरा हो...
जब एक दोस्त के सिवा बाकी सारा जहां लग रहा बेकार होता है...
कुछ इस तरह से भी दोस्तों प्यार होता है...
धीरज झा...
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