दिल के अरमां अक्सर आंसुओं में बह जाते हैं... कुछ खामोश से लफ्ज़ बड़ा कुछ कह जाते हैं... हंस रहे होते हैं महफिल में सारे ग़म छुपा कर... फिर त...
दिल के अरमां अक्सर आंसुओं में बह जाते हैं...
कुछ खामोश से लफ्ज़ बड़ा कुछ कह जाते हैं...
हंस रहे होते हैं महफिल में सारे ग़म छुपा कर...
फिर तेरे नाम का आता है ज़िक्र और हम बस अतीत की नदी में कहीं दूर बह जाते हैं...
खामोश से लफ्ज़ बड़ा कुछ कह जाते हैं...
तेरे वादों की वो लम्बी कतार फिर याद आती है...
ना कहे भी आभी आंसुओं की बरसात बड़ा कुछ कह जाती है...
दर्द से तड़पते हैं मगर उफ तक नही करते...
तेरा दिया हर ज़ख्म हम हंस कर सह जाते हैं...
कुछ कहे बिना ये अल्फाज़ बड़ा कुछ कह जाते हैं...
धीरज झा...
कुछ खामोश से लफ्ज़ बड़ा कुछ कह जाते हैं...
हंस रहे होते हैं महफिल में सारे ग़म छुपा कर...
फिर तेरे नाम का आता है ज़िक्र और हम बस अतीत की नदी में कहीं दूर बह जाते हैं...
खामोश से लफ्ज़ बड़ा कुछ कह जाते हैं...
तेरे वादों की वो लम्बी कतार फिर याद आती है...
ना कहे भी आभी आंसुओं की बरसात बड़ा कुछ कह जाती है...
दर्द से तड़पते हैं मगर उफ तक नही करते...
तेरा दिया हर ज़ख्म हम हंस कर सह जाते हैं...
कुछ कहे बिना ये अल्फाज़ बड़ा कुछ कह जाते हैं...
धीरज झा...
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