ये बातें सुकून कीं अब भाती नही मुझे... मेरा दिल है भर गया मोहब्बत के नाम से... है रात ही सही गुमसुम गुमनाम सी... डर लगने लगा है अब सुहानी शा...
ये बातें सुकून कीं अब भाती नही मुझे...
मेरा दिल है भर गया मोहब्बत के नाम से...
है रात ही सही गुमसुम गुमनाम सी...
डर लगने लगा है अब सुहानी शाम से...
है शराब ही सही पीओ अपने हिसाब से...
ज़हर उतरने लगा रगों में आंखों के जाम से...
हमने भी दखल ना दिया उनके शौंक में...
वो करते रहे कत्ल बड़े इतमिनान से...
धीरज झा...
मेरा दिल है भर गया मोहब्बत के नाम से...
है रात ही सही गुमसुम गुमनाम सी...
डर लगने लगा है अब सुहानी शाम से...
है शराब ही सही पीओ अपने हिसाब से...
ज़हर उतरने लगा रगों में आंखों के जाम से...
हमने भी दखल ना दिया उनके शौंक में...
वो करते रहे कत्ल बड़े इतमिनान से...
धीरज झा...
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