मन बसन्त को पतझड़ कर वो... चला गया आंखें को आंसुओं से तर कर वो... शायद मेरी पहचान भूल चुका है... इसी लिये निकल गया चुप चाप पास से गुज़र कर व...
मन बसन्त को पतझड़ कर वो...
चला गया आंखें को आंसुओं से तर कर वो...
शायद मेरी पहचान भूल चुका है...
इसी लिये निकल गया चुप चाप पास से गुज़र कर वो...
चला गया आंखें को आंसुओं से तर कर वो...
शायद मेरी पहचान भूल चुका है...
इसी लिये निकल गया चुप चाप पास से गुज़र कर वो...
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