ना समन्दर का हो सका ना किनारों का हो सका... डूबा भी नही और ना मझधारों का हो सका... मेरा मकान भी अब तेरे बाद विरान सा हो गया... ना मै इसकी छत...
ना समन्दर का हो सका ना किनारों का हो सका...
डूबा भी नही और ना मझधारों का हो सका...
मेरा मकान भी अब तेरे बाद विरान सा हो गया...
ना मै इसकी छत का हो सका ना दिवारों का हो सका...
अजीब सा मौसम दिल ने अपने आंगन मे सजा रखा है...
ना ये पतझड़ का हो सका ना बहारों का सका...
जुल्म सहे भी और खुद पर किये भी मैने...
ना मै बेगुनाहों का हो सका ना मै गुन्हगारों का हो सका...
ना मै समन्दर का रहा ना मै किनारों का हो सका...
धीरज झा...
डूबा भी नही और ना मझधारों का हो सका...
मेरा मकान भी अब तेरे बाद विरान सा हो गया...
ना मै इसकी छत का हो सका ना दिवारों का हो सका...
अजीब सा मौसम दिल ने अपने आंगन मे सजा रखा है...
ना ये पतझड़ का हो सका ना बहारों का सका...
जुल्म सहे भी और खुद पर किये भी मैने...
ना मै बेगुनाहों का हो सका ना मै गुन्हगारों का हो सका...
ना मै समन्दर का रहा ना मै किनारों का हो सका...
धीरज झा...
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