बिस्तर पे पड़ी सिलवटों से पुछ ज़रा... किस कदर से तेरी याद में मैं तड़पी हूं... मेरी ज़ुबान से ज़रा बात तो कर... किस कदर से ये तेरा नाम बार ब...
बिस्तर पे पड़ी सिलवटों से पुछ ज़रा...
किस कदर से तेरी याद में मैं तड़पी हूं...
मेरी ज़ुबान से ज़रा बात तो कर...
किस कदर से ये तेरा नाम बार बार रटाती हूं...
मेरे ज़हन मे कभी फुर्सत निकाल कर के उतर कभी...
देख तो सही कैसे सुबह शाम तेरा ही ख्याल करती हूं...
कौन कहता है के मोहब्बत मौत नही देती...
मैं तेरे लिये पल पल मरती हूं...
तु एक बार कह गया था जल्दी लौटूंगा...
मै तब से बार बार तेरा इंतज़ार करती हूं...
धीरज झा...
किस कदर से तेरी याद में मैं तड़पी हूं...
मेरी ज़ुबान से ज़रा बात तो कर...
किस कदर से ये तेरा नाम बार बार रटाती हूं...
मेरे ज़हन मे कभी फुर्सत निकाल कर के उतर कभी...
देख तो सही कैसे सुबह शाम तेरा ही ख्याल करती हूं...
कौन कहता है के मोहब्बत मौत नही देती...
मैं तेरे लिये पल पल मरती हूं...
तु एक बार कह गया था जल्दी लौटूंगा...
मै तब से बार बार तेरा इंतज़ार करती हूं...
धीरज झा...
COMMENTS