कैसे ना जानता हर दर्द वो मेरा... मेरे हर ज़ख्म की वो शक्स ही तो था वजह... जानता था ऐसे ना टूटूंगा क्योंकी फौलाद सा हूं मै... इसी लिये वो वार...
कैसे ना जानता हर दर्द वो मेरा...
मेरे हर ज़ख्म की वो शक्स ही तो था वजह...
जानता था ऐसे ना टूटूंगा क्योंकी फौलाद सा हूं मै...
इसी लिये वो वार करता रबा बस दिल था मेरा जहां...
कैसो ना छोड़ देता उसके बाद आस जीने की...
जिसके लिये जीता था वो शक्स ही ना रहा...
बुझने नही देता उसकी यादों का दिया...
बीते हुये लम्हे रौशन रखते हैं मेरे दिल आशयां...
मेरे हर ज़ख्म की वो शक्स ही तो था वजह...
जानता था ऐसे ना टूटूंगा क्योंकी फौलाद सा हूं मै...
इसी लिये वो वार करता रबा बस दिल था मेरा जहां...
कैसो ना छोड़ देता उसके बाद आस जीने की...
जिसके लिये जीता था वो शक्स ही ना रहा...
बुझने नही देता उसकी यादों का दिया...
बीते हुये लम्हे रौशन रखते हैं मेरे दिल आशयां...
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