बात इतनी सी है जिसने परेशान कर रखा है... अगर तुम ना रहे तो हम कैसे रहेंगे... सोच इतनी सी है जो सोने नही देती... तुम्हारी जुदाई का दर्द हम कै...
बात इतनी सी है जिसने परेशान कर रखा है...
अगर तुम ना रहे तो हम कैसे रहेंगे...
सोच इतनी सी है जो सोने नही देती...
तुम्हारी जुदाई का दर्द हम कैसे सहेंगे...
गम ज़िंदगी को बस इतना सा सताता है...
तुम्हारी मीठी आवाज़ सुने बिना हम कैसे सो सकेंगे...
डर इतना सा ही लगता है...
महफिल में याद आई तो सबके सामने कैसे रो सकेंगे...
तुम्हारे तो हुये नही हम...
ना जानो मौत के कब हो सकेंगे...
धीरज झा....
अगर तुम ना रहे तो हम कैसे रहेंगे...
सोच इतनी सी है जो सोने नही देती...
तुम्हारी जुदाई का दर्द हम कैसे सहेंगे...
गम ज़िंदगी को बस इतना सा सताता है...
तुम्हारी मीठी आवाज़ सुने बिना हम कैसे सो सकेंगे...
डर इतना सा ही लगता है...
महफिल में याद आई तो सबके सामने कैसे रो सकेंगे...
तुम्हारे तो हुये नही हम...
ना जानो मौत के कब हो सकेंगे...
धीरज झा....
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