तेरे लाड ने ही मुझको बिगाड़ दिया मां... तु ही बता क्यों इतना मुझे प्यार दिया मां... जानती भी है कितना मुश्किल है तुझ से दुर सा रहना... क्यों...
तेरे लाड ने ही मुझको बिगाड़ दिया मां...
तु ही बता क्यों इतना मुझे प्यार दिया मां...
जानती भी है कितना मुश्किल है तुझ से दुर सा रहना...
क्यों सारे जहां की खुशियों को मुझ पे वार दिया मां...
खाने की थाली रोज़ मुझे मुंह चिढाती...
तेरे नर्म हाथों की सहलाहट बिना निंद नही आती...
रात रात जागती थी मुझे दर्द से तड़पता देख कर...
क्यों अपनी निंदों को मुझे उधार दिया मां...
तेरे ही लाड ने मुझे बिगाड़ दिया मां...
मै तो भटक जाता कहीं जंगल की राह मे...
इंसान बनाया तुने रख कर मुझे अपनी पनाह में...
की कुर्बानियां खुशियों की अपनी मेरी खुशी के वास्ते...
दे कर के आज अपना तुने कल मेरा सुधार दिया मां...
तेरे ही लाड ने मुझे बिगाड़ दिया...
मैं आप से बहुत प्यार करता हूं मां...
धीरज झा...
तु ही बता क्यों इतना मुझे प्यार दिया मां...
जानती भी है कितना मुश्किल है तुझ से दुर सा रहना...
क्यों सारे जहां की खुशियों को मुझ पे वार दिया मां...
खाने की थाली रोज़ मुझे मुंह चिढाती...
तेरे नर्म हाथों की सहलाहट बिना निंद नही आती...
रात रात जागती थी मुझे दर्द से तड़पता देख कर...
क्यों अपनी निंदों को मुझे उधार दिया मां...
तेरे ही लाड ने मुझे बिगाड़ दिया मां...
मै तो भटक जाता कहीं जंगल की राह मे...
इंसान बनाया तुने रख कर मुझे अपनी पनाह में...
की कुर्बानियां खुशियों की अपनी मेरी खुशी के वास्ते...
दे कर के आज अपना तुने कल मेरा सुधार दिया मां...
तेरे ही लाड ने मुझे बिगाड़ दिया...
मैं आप से बहुत प्यार करता हूं मां...
धीरज झा...
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