प्रेम ज़िम्मेदारी का नाम है | अगर आप प्रेम मे हैं तो आपको ज़िम्मेदार होना पड़ेगा | जी हाँ आप दोनों को | अपने प्रेम को बनाये रखने की ज़िम्मेद...
प्रेम ज़िम्मेदारी का नाम है | अगर आप प्रेम मे हैं तो आपको ज़िम्मेदार होना पड़ेगा | जी हाँ आप दोनों को | अपने प्रेम को बनाये रखने की ज़िम्मेदारी अपने रिश्ते को मजबूत करने की ज़िम्मेदारी | सामने वाले के खिसियाने से उदास होने से आप भी उसकी तरह कर के इस ज़िम्मेदारी से पल्ला नही झाड़ सकते | आपकी आदतों से अलग अगर उनकी आदतें हैं तो आपको उन आदतों में रहने की आदत डालनी होगी ऐसी ही ज़िम्मेदारी सामने वाले की भी बनती है | आपको झुकना भी होगा फर्क नही पड़ता दुनिया के सामने आप कितना अकड़े हुये हैं | आपको रोना भी होगा फर्क नही पड़ता सबके सामने आपकी आँखें हमेशा पत्थराई रहीं | आपको वो सब करना होगा जो आप अपने रिश्ते को सही रखने के लिये कर सकते हैं | आपका आपकी आदतसके हिसाब से बदलना ही ये तय करेगा की आपका रिश्ता आपके लिये कितने मायने रखता है | हाँ पर ये सब तभी हो अगर सामने से इसका असर दिख रहा हो अगर सामने वाले को इसकी परवाह हो तब | प्रेम है तो परवाह लाज़मी होगी , परवाह नही तो आप समझ लें आप ठगे गये | फिर आपके कुछ भी करने से कोई फायदा नही | झुक जायें अनमोल रिश्तों के लिये ऐसे झुकने में कोई शर्म नही है | ये सब सिर्फ प्रेम और प्रेम से भरे रिश्तों के लिये है | आंडू पांडू के आगे यूं ही झुक जाना आपको आपकी ही नज़रों में गिरा देगा |
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धीरज झा
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धीरज झा
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