क्राँति.... . विरोध बुरा नही | आज़ाद हैं आप , अधिकार है आपको हर तरह के विरोध का | यहाँ तक की रेल की पटरियों पर हगने को भी बैन कराने के लिये ...
क्राँति....
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विरोध बुरा नही | आज़ाद हैं आप , अधिकार है आपको हर तरह के विरोध का | यहाँ तक की रेल की पटरियों पर हगने को भी बैन कराने के लिये विरोध कर सकते हैं आप | भारत में हैं आप यहाँ तो बेरोज़गार दिमाग कुछ ना कुछ ढुँढता ही है मन बहलावे को | पर विरोध करने का भी अपना तरीका है , सही मुद्दे के लिये किया गया विरोध भी तब गलत साबित होगा ही जब आप अपने देश के विरूद्ध नारेबाज़ी कर के पड़ोसी देश के ज़िंदाबाद नारे लगा रहे हैं |
हज़ार मुद्दे हैं देश में जिसके भार तले वो अंदरूनी भारत रोज़ थोड़ा थोड़ा मरता है | भूख से बिलखते पेट , पढ़ाई छोड़ कर दुकानों और सड़कों का कचरा उठा रहे मासूम बच्चे , रोज़ हो रहे बलात्कार और ना जाने क्या क्या ,तो क्या.इन सब से ज़्यादा ज़रूरी उस शक्स की फाँसी के विरोध में अपने देश को ही गालियाँ देना है जिसे कई मासूमों के खून के इल्ज़ाम में फाँसी दी गई ? क्या समानता का अधिकार उन बच्चों , उन भूखों , उन मजबूरों को नही है |
मेरे क्राँतिकारी के भुलावे में भटके भाईयों एक बार अपने आप से पूछ कर देखो क्या मिल रहा है इस से आपको और क्या यही है आपकी क्राँति ? पर किसके लिये ? क्राँति तो देश के लिये होती है देशवासियों के लिये होती पर यहाँ तो आप पड़ोस के आतंकवाद की क्राँति कर रहे हैं | आपकी ज़रूरत है हमें आप चाहें तो रूख बदल सकते हैं वक्त का पर फैसला आपका है की वो रूख देश के हित में बदला जायेगा या अहित में | आप सही के लिये लड़िये हम कोई भी हों आपके साथ होंगे | विरोध किसी सिस्टम किसी व्यवस्था का होता है देश का नही | देश कभी बुरा नही होता ये सीखना है तो पड़ोसियों से सिखिये जो हर पल मौत के साये तले घुट घुट के साँस ले रहा है पर अपने देश के विरोध और भारत के हित में नारेबाज़ी कभी नही की |
खैर पहले किसकी सुनी है जो मेरी सुनेंगे पर फिर भी एक बार बोले बिना रह नही सका | लाल सलाम...
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धीरज झा...
धीरज झा
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विरोध बुरा नही | आज़ाद हैं आप , अधिकार है आपको हर तरह के विरोध का | यहाँ तक की रेल की पटरियों पर हगने को भी बैन कराने के लिये विरोध कर सकते हैं आप | भारत में हैं आप यहाँ तो बेरोज़गार दिमाग कुछ ना कुछ ढुँढता ही है मन बहलावे को | पर विरोध करने का भी अपना तरीका है , सही मुद्दे के लिये किया गया विरोध भी तब गलत साबित होगा ही जब आप अपने देश के विरूद्ध नारेबाज़ी कर के पड़ोसी देश के ज़िंदाबाद नारे लगा रहे हैं |
हज़ार मुद्दे हैं देश में जिसके भार तले वो अंदरूनी भारत रोज़ थोड़ा थोड़ा मरता है | भूख से बिलखते पेट , पढ़ाई छोड़ कर दुकानों और सड़कों का कचरा उठा रहे मासूम बच्चे , रोज़ हो रहे बलात्कार और ना जाने क्या क्या ,तो क्या.इन सब से ज़्यादा ज़रूरी उस शक्स की फाँसी के विरोध में अपने देश को ही गालियाँ देना है जिसे कई मासूमों के खून के इल्ज़ाम में फाँसी दी गई ? क्या समानता का अधिकार उन बच्चों , उन भूखों , उन मजबूरों को नही है |
मेरे क्राँतिकारी के भुलावे में भटके भाईयों एक बार अपने आप से पूछ कर देखो क्या मिल रहा है इस से आपको और क्या यही है आपकी क्राँति ? पर किसके लिये ? क्राँति तो देश के लिये होती है देशवासियों के लिये होती पर यहाँ तो आप पड़ोस के आतंकवाद की क्राँति कर रहे हैं | आपकी ज़रूरत है हमें आप चाहें तो रूख बदल सकते हैं वक्त का पर फैसला आपका है की वो रूख देश के हित में बदला जायेगा या अहित में | आप सही के लिये लड़िये हम कोई भी हों आपके साथ होंगे | विरोध किसी सिस्टम किसी व्यवस्था का होता है देश का नही | देश कभी बुरा नही होता ये सीखना है तो पड़ोसियों से सिखिये जो हर पल मौत के साये तले घुट घुट के साँस ले रहा है पर अपने देश के विरोध और भारत के हित में नारेबाज़ी कभी नही की |
खैर पहले किसकी सुनी है जो मेरी सुनेंगे पर फिर भी एक बार बोले बिना रह नही सका | लाल सलाम...
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धीरज झा...
धीरज झा
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