ज़रा सुनना...ग़ौर से सुनना... . सच कहते हैं कई लोग प्रेम के लिये कोई एक खास दिन तय नही है प्रेम तो तुमसे मुझे हर रोज़ हर वक्त हर घड़ी हर पल ...
ज़रा सुनना...ग़ौर से सुनना...
.
सच कहते हैं कई लोग प्रेम के लिये कोई एक खास दिन तय नही है प्रेम तो तुमसे मुझे हर रोज़ हर वक्त हर घड़ी हर पल है उतना ही एक समान | मेरे आँसुओं से तुम्हारी उदासी तक , मेरी तड़प से तुम्हारी खामोशी तक , मेरी खुशी से तुम्हारी मुस्कुराहटों तक , हर हाल में ये वैसा ही है बेहद बेइंतेहाँ बेपनाह |
क्योंकी वो उदासी वो खामोशी वो हँसी वो मुस्कुराहट सब प्यार से ही तो जुड़ा है | हर छोटे मोटे झगड़ों के बाद प्रेम का दोगुना बढ़ जाना मेरे आँसुओं के गिरते ही तुम्हारा तड़प उठना | तुम्हारा आज के दौर में जब कोई अपनों पर सही से यकीन नही कर पाता उस दौर में मुझ पर अटूट विश्वास करना | यही सब तो है प्रेम , अथाह प्रेम अटूट प्रेम |
और हाँ इसके लिये कोई दिन वाकई तय नही लेकिन हमें तो एक दूसरे की छोटी छोटी खुशियाँ पसन्द हैं ना , वो बहाने जो मुस्कुराहटें दे जायें | तो फिर ये दिन उन्ही खुशियों के नाम एक बहाने की तरह वो बहाना जो फिर तुम्हे मुस्कुराहट और खुशी देगा | मुझे ये दिन मनाना नही आता और मैं मनाना भी नही चाहता मुझे तो बस अपने रोज़ वाले प्यार का फिर से साढ़े बारह करोड़ साठ लाख चौवन हज़ार सात सौ पैंसठवीं बार इज़हार करना है | बताना है की तुम महसूस होते हो दूर हो कर भी हर रोज़ हर जगह हर तरह से वैसे ही जैसे सामने हो और मैं तुम्हे छू पारहा हूँ देख पा रहा हूँ ढूब पा रहा हूँ तुम्हारी आँखों में |
तुम खास हो इतने खास की तुम्हारे सिवा सब आम है | सुनों ये महज़ यूँ ही कहने की बात नही है मैं सच में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ |
तुमको हैपी स्माईली वाला वैलेनटाईन डे मुबारक हो | उसी दिल की गहराई से मुबारक हो जहाँ तुम रहती हो | बस कभी दूर ना जाना कभी नही ज़िंदगी फिर ज़िंदगी ना रहेगी | इतना करम करना मुझ पर ये रहम करना...
आई लभ जू....
.
धीरज झा.... ( प्रधी )

धीरज झा
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सच कहते हैं कई लोग प्रेम के लिये कोई एक खास दिन तय नही है प्रेम तो तुमसे मुझे हर रोज़ हर वक्त हर घड़ी हर पल है उतना ही एक समान | मेरे आँसुओं से तुम्हारी उदासी तक , मेरी तड़प से तुम्हारी खामोशी तक , मेरी खुशी से तुम्हारी मुस्कुराहटों तक , हर हाल में ये वैसा ही है बेहद बेइंतेहाँ बेपनाह |
क्योंकी वो उदासी वो खामोशी वो हँसी वो मुस्कुराहट सब प्यार से ही तो जुड़ा है | हर छोटे मोटे झगड़ों के बाद प्रेम का दोगुना बढ़ जाना मेरे आँसुओं के गिरते ही तुम्हारा तड़प उठना | तुम्हारा आज के दौर में जब कोई अपनों पर सही से यकीन नही कर पाता उस दौर में मुझ पर अटूट विश्वास करना | यही सब तो है प्रेम , अथाह प्रेम अटूट प्रेम |
और हाँ इसके लिये कोई दिन वाकई तय नही लेकिन हमें तो एक दूसरे की छोटी छोटी खुशियाँ पसन्द हैं ना , वो बहाने जो मुस्कुराहटें दे जायें | तो फिर ये दिन उन्ही खुशियों के नाम एक बहाने की तरह वो बहाना जो फिर तुम्हे मुस्कुराहट और खुशी देगा | मुझे ये दिन मनाना नही आता और मैं मनाना भी नही चाहता मुझे तो बस अपने रोज़ वाले प्यार का फिर से साढ़े बारह करोड़ साठ लाख चौवन हज़ार सात सौ पैंसठवीं बार इज़हार करना है | बताना है की तुम महसूस होते हो दूर हो कर भी हर रोज़ हर जगह हर तरह से वैसे ही जैसे सामने हो और मैं तुम्हे छू पारहा हूँ देख पा रहा हूँ ढूब पा रहा हूँ तुम्हारी आँखों में |
तुम खास हो इतने खास की तुम्हारे सिवा सब आम है | सुनों ये महज़ यूँ ही कहने की बात नही है मैं सच में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ |
तुमको हैपी स्माईली वाला वैलेनटाईन डे मुबारक हो | उसी दिल की गहराई से मुबारक हो जहाँ तुम रहती हो | बस कभी दूर ना जाना कभी नही ज़िंदगी फिर ज़िंदगी ना रहेगी | इतना करम करना मुझ पर ये रहम करना...
आई लभ जू....
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धीरज झा.... ( प्रधी )

धीरज झा
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