तुम्हारे बिना... मैं हर जगह हूँ... सब की बीच हूँ... हँस भी रहा हूँ... किसी किसी बात पर... मुस्कुरा भी रहा हूँ... अपनी बात भी कह देता हूँ... ...
तुम्हारे बिना...
मैं हर जगह हूँ...
सब की बीच हूँ...
हँस भी रहा हूँ...
किसी किसी बात पर...
मुस्कुरा भी रहा हूँ...
अपनी बात भी कह देता हूँ...
जब पूछता है कोई...
चल रहा हूँ...
घूम रहा हूँ
यहाँ से वहाँ...
मगर मैं वहाँ हूँ नही...
उन सब के बीच है
सिर्फ मेरा जिस्म...
मेरी आत्मा तो व्याकुल
उदाल बेचैन सी
तुम्हे ढूँढ रही है...
हर उस जगह जहाँ
देखा तुम्हे जहाँ तुम से बात की...
जहाँ तुम्हारा हाथ थामा...
तुम्हे तलाशती हुई भटक रही है...
मैं हँस रहा हूँ मुस्कुका रहा हूँ...
मगर वो मुस्कुराहटें तो
महज़ आँसुओं को छुपाने का बहाना
सी हैं...
असली मुस्कुराहट तो खो गई
चुप हो गई तुम्हारी मुस्कुराहट को
ढूँढतो हुये
मेरी बातें निकल रहा हैं
कंठ से मगर उनकी मिठास
उनके अहसास सब
मुरझा गये हैं
क्योंकी उन्हे मिली नही
खाद तुम्हारी मीठी आवाज़ की...
मैं घूम रहा हूँ...
मगर असल में वो घूमना नही
वो भटकना है अपने चैन सुकून
की तलाश में
जो तुम ले कर चली गई...
कमशब्दों मों पूरी बात कहूँ तो
तुम्हारे बिना मैं तो मैं हूँ ही नही...
क्या तुम इस से अंजान हो...
क्या तुम्हे अहसास नही मेरी
तड़प का अगर है
तो लौट आओ ना
किसी भी तरह से
छुपते छुपाते लौट आओ ना :'(
तुम्हारे बिना बाकी सब परेशानियों
ने भी घेर लिया है...
आ कर उन्हे भगा दो...
लौट आओ ना जाना :'(
.
धीरज झा...
धीरज झा
मैं हर जगह हूँ...
सब की बीच हूँ...
हँस भी रहा हूँ...
किसी किसी बात पर...
मुस्कुरा भी रहा हूँ...
अपनी बात भी कह देता हूँ...
जब पूछता है कोई...
चल रहा हूँ...
घूम रहा हूँ
यहाँ से वहाँ...
मगर मैं वहाँ हूँ नही...
उन सब के बीच है
सिर्फ मेरा जिस्म...
मेरी आत्मा तो व्याकुल
उदाल बेचैन सी
तुम्हे ढूँढ रही है...
हर उस जगह जहाँ
देखा तुम्हे जहाँ तुम से बात की...
जहाँ तुम्हारा हाथ थामा...
तुम्हे तलाशती हुई भटक रही है...
मैं हँस रहा हूँ मुस्कुका रहा हूँ...
मगर वो मुस्कुराहटें तो
महज़ आँसुओं को छुपाने का बहाना
सी हैं...
असली मुस्कुराहट तो खो गई
चुप हो गई तुम्हारी मुस्कुराहट को
ढूँढतो हुये
मेरी बातें निकल रहा हैं
कंठ से मगर उनकी मिठास
उनके अहसास सब
मुरझा गये हैं
क्योंकी उन्हे मिली नही
खाद तुम्हारी मीठी आवाज़ की...
मैं घूम रहा हूँ...
मगर असल में वो घूमना नही
वो भटकना है अपने चैन सुकून
की तलाश में
जो तुम ले कर चली गई...
कमशब्दों मों पूरी बात कहूँ तो
तुम्हारे बिना मैं तो मैं हूँ ही नही...
क्या तुम इस से अंजान हो...
क्या तुम्हे अहसास नही मेरी
तड़प का अगर है
तो लौट आओ ना
किसी भी तरह से
छुपते छुपाते लौट आओ ना :'(
तुम्हारे बिना बाकी सब परेशानियों
ने भी घेर लिया है...
आ कर उन्हे भगा दो...
लौट आओ ना जाना :'(
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धीरज झा...
धीरज झा
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