सो रहे हैं अचानक से नींद खुलती है ऐसे लगता है किसी अंजान सफर से अभी अभी घर लौटे हैं | थके से लगते हैं पानी का पूरा गिलास खाली कर देते हैं एक...
सो रहे हैं अचानक से नींद खुलती है ऐसे लगता है किसी अंजान सफर से अभी अभी घर लौटे हैं | थके से लगते हैं पानी का पूरा गिलास खाली कर देते हैं एक बार मे ही | सफर से क्या ले कर लौटे ? कुछ अधूरे सपनों की परछाईयाँ कुछ मुस्कुराहटें कुछ डर और अगर आप लेखक हैं तो कुछ अनमोल शब्द भी | नींद और अचानक से जागने के बीच के ये दो तीन मिनट ही असली ज़िंदगी है कुछ पता नही कुछ ख़्याल नही दो घड़ी छत को बिना पलकें झपकाये देखते रहना ग़ौर से एक दम ग़ौर से दिमाग मे कोई सवाल नही मन में कोई ख़्याल नही दिमाग में कोई उलझन नही | आज के दौर में शायद खुद को खो देना ही सुकून को पा लेना है किसी जंगल में अचानक से भटक जाने जैसा है खुद को इन ख़्यालों में खो देना अपने आप में एक अलग सा सुकून है |
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धीरज झा...
धीरज झा
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धीरज झा...
धीरज झा
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