आँखों देखी... ;) . चौराहे पर देश की हालत को लेकर मची घनघोर चर्चा दो मिनट के लिये तब विराम ले लेती है जब कोई गाँव की गुलाम औरत ज़रा सा आज़ाद ...
आँखों देखी... ;)
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चौराहे पर देश की हालत को लेकर मची घनघोर चर्चा दो मिनट के लिये तब विराम ले लेती है जब कोई गाँव की गुलाम औरत ज़रा सा आज़ाद होने की कोशिश में थोड़ा बेपरवाह हो कर वहाँ से गुज़र जाये | फिर देश की सोच में लगा दिमाग और भविष्य को देख रहीं नज़रें उस बेपरवाह के कपड़ों के अन्दर घुस कर रात के नज़ारों तक सोच जाती हैं और इस तरह समाप्त होती है देश की समस्याओं पर चल रही अहम चर्चा |
आज़ाद भारत का गुलाम नागरिक...
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धीरज झा...
धीरज झा
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चौराहे पर देश की हालत को लेकर मची घनघोर चर्चा दो मिनट के लिये तब विराम ले लेती है जब कोई गाँव की गुलाम औरत ज़रा सा आज़ाद होने की कोशिश में थोड़ा बेपरवाह हो कर वहाँ से गुज़र जाये | फिर देश की सोच में लगा दिमाग और भविष्य को देख रहीं नज़रें उस बेपरवाह के कपड़ों के अन्दर घुस कर रात के नज़ारों तक सोच जाती हैं और इस तरह समाप्त होती है देश की समस्याओं पर चल रही अहम चर्चा |
आज़ाद भारत का गुलाम नागरिक...
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धीरज झा...
धीरज झा
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