प्रेम... अतृप्त हो कर भी तृप्त है...सब कुछ खो कर थोड़ा सा पा लेने भर की तमन्ना में ही सारी ज़िंदगी खुशी से बिता देने का मादा बस प्रम ही रखता...
प्रेम... अतृप्त हो कर भी तृप्त है...सब कुछ खो कर थोड़ा सा पा लेने भर की तमन्ना में ही सारी ज़िंदगी खुशी से बिता देने का मादा बस प्रम ही रखता है | दो आँसुओं को एक मुस्कुराहट से पहले अहमीयत देता है प्रेम | घावों का पीड़ा का स्वागत सिर्फ प्रेम कर सकता है | हर समय व्याकुल रह कर भी बहुतों से शाँत है प्रेम क्योंकी उसे कम से कम ये त पता है वो व्याकुल क्यों है | प्रेम के पास उम्मीद है वो उम्मीद जो सारी ज़िंदगी एक सी रहती है कभी बूढ़ी नही होती | ये उम्मीद है जो प्रेम को हमेशा खड़ा रखती है |
प्रेम का स्वार्थी हो जाना ही उसे अमर बनाता है | ये ऐसा स्वार्थ है जो बस ये चाहता है की जो भी खुशी उसके हिस्से में जाये वो मेरी जेब से निकली हो | उसे खर्च करे मन खोल कर जितना मन हो उतना | बहुत बेश्कीमती दौलत है प्रेम | अगर कोई आप पर प्रेम लुटा रहा है तो कदर करें उसकी | दौलत सब को मिल सकती है प्रेम बस किस्मतवालों को नसीब होता है | :)
.
धीरज झा...
धीरज झा
प्रेम का स्वार्थी हो जाना ही उसे अमर बनाता है | ये ऐसा स्वार्थ है जो बस ये चाहता है की जो भी खुशी उसके हिस्से में जाये वो मेरी जेब से निकली हो | उसे खर्च करे मन खोल कर जितना मन हो उतना | बहुत बेश्कीमती दौलत है प्रेम | अगर कोई आप पर प्रेम लुटा रहा है तो कदर करें उसकी | दौलत सब को मिल सकती है प्रेम बस किस्मतवालों को नसीब होता है | :)
.
धीरज झा...
धीरज झा
COMMENTS