बिन बाप के बच्चे... . किस्मत के मारे हुये ज़िंदगी से हारे हुये... होते हैं बिन बाप के बच्चे... दबे हु़े कर्ज़े के बोझ तले नीचे सर झुका के ...
बिन बाप के बच्चे...
.
किस्मत के मारे हुये
ज़िंदगी से हारे हुये...
होते हैं बिन बाप के बच्चे...
दबे हु़े कर्ज़े के बोझ तले
नीचे सर झुका के चले...
छानते हैं खाक शहरों की
नाज़ों में थे जो पले...
दर्द को दिल में दबाये हुये
हालातों से घबराये हुये...
होते हैं बिन बाप के बच्चे...
कर्ज़दारों के तगादों से तंग
देखते हु़े अपनों के बदलो रंग...
कैसे एक दम से बदला वक्त के चलने का ढंग...
आपस में ही लड़ते झगड़ते
जीते जी रोज़ तिल तिल मरते..
उम्मीद के सहारे जी रहे
घूँट सब्र का पी रहे....
बीन बाप के बच्चे...
खुद मायूस हो कर...
माँ को देते सहारा...
खुद लहरों में डूबते हुये...
माँ के लिये बने किनारा...
मुसीबतों की आँधियों में...
कश्ती को खेबते हुये...
धीरज झा...
धीरज झा
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किस्मत के मारे हुये
ज़िंदगी से हारे हुये...
होते हैं बिन बाप के बच्चे...
दबे हु़े कर्ज़े के बोझ तले
नीचे सर झुका के चले...
छानते हैं खाक शहरों की
नाज़ों में थे जो पले...
दर्द को दिल में दबाये हुये
हालातों से घबराये हुये...
होते हैं बिन बाप के बच्चे...
कर्ज़दारों के तगादों से तंग
देखते हु़े अपनों के बदलो रंग...
कैसे एक दम से बदला वक्त के चलने का ढंग...
आपस में ही लड़ते झगड़ते
जीते जी रोज़ तिल तिल मरते..
उम्मीद के सहारे जी रहे
घूँट सब्र का पी रहे....
बीन बाप के बच्चे...
खुद मायूस हो कर...
माँ को देते सहारा...
खुद लहरों में डूबते हुये...
माँ के लिये बने किनारा...
मुसीबतों की आँधियों में...
कश्ती को खेबते हुये...
धीरज झा...
धीरज झा
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