बस ऐसे ही... . आप अपने रिश्ते के प्रति तन मन से समर्पित हैं | हर संभव कोशिश करते हैं इसकी जड़ों को मज़बूती देने के लिये | सामने वाले की गलति...
बस ऐसे ही...
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आप अपने रिश्ते के प्रति तन मन से समर्पित हैं | हर संभव कोशिश करते हैं इसकी जड़ों को मज़बूती देने के लिये | सामने वाले की गलतियों को भी भुला देते हैं , आप बहुत अच्छे हैं | पर हैं तो इंसान ही आपसे भी गलतियाँ होनी तय हैं | वो गलतियाँ भी सिर्फ अपना हक्क समझने की भूल वश हो जाती हैं और उस गलती की वजह से आपका सारा समर्पण आपकी सारी अच्छाई सब ख़त्म | आप उस समय सबसे अलग की श्रेणी से निकाल कर आम लोगों में मिला दिये हैं | चाहे बाद में सब सही हो जाये पर ये छाप आपकी आत्मा पर लगी रह जाती है | आप खुद में घुटते रहते हैं | खुद को कोसते हैं अपनी गलतियों के लिये | शायद आप इस रिश्ते के लायक ही ना हों क्योंकी आप इंसान हैं गलतियाँ तो होंगी हीं |
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धीरज झा...
धीरज झा
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आप अपने रिश्ते के प्रति तन मन से समर्पित हैं | हर संभव कोशिश करते हैं इसकी जड़ों को मज़बूती देने के लिये | सामने वाले की गलतियों को भी भुला देते हैं , आप बहुत अच्छे हैं | पर हैं तो इंसान ही आपसे भी गलतियाँ होनी तय हैं | वो गलतियाँ भी सिर्फ अपना हक्क समझने की भूल वश हो जाती हैं और उस गलती की वजह से आपका सारा समर्पण आपकी सारी अच्छाई सब ख़त्म | आप उस समय सबसे अलग की श्रेणी से निकाल कर आम लोगों में मिला दिये हैं | चाहे बाद में सब सही हो जाये पर ये छाप आपकी आत्मा पर लगी रह जाती है | आप खुद में घुटते रहते हैं | खुद को कोसते हैं अपनी गलतियों के लिये | शायद आप इस रिश्ते के लायक ही ना हों क्योंकी आप इंसान हैं गलतियाँ तो होंगी हीं |
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धीरज झा...
धीरज झा
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