तुम्हारी परेशानियों को तुम्हारे दुख को तुम से बेहतर और कौन सझेगा | तुम किस तरह से टूट रहे हो इनके बोझ तले दब कर ये किसी को नही दिखेगा और भला...
तुम्हारी परेशानियों को तुम्हारे दुख को तुम से बेहतर और कौन सझेगा | तुम किस तरह से टूट रहे हो इनके बोझ तले दब कर ये किसी को नही दिखेगा और भला दिखे भी क्यों इस दौर में परेशानियों से घिरा कौन नही तो कोई खुद की परेशानियाँ भूल कर तुम्हारा दुख क्यों बाँटेगा | तुम लड़ो आखरी दम तक बिना शोर मचाये | चुम चिल्लाओगे लोग हँसेंगे तुमरो दोगे लोग तुम्हारे आँसुओं को तुम्हारी कमज़ोरी समझेंगे | भले अन्दर से टूट जाओ पर हिम्मत दिखती रहनी चाहिये | ये कम हुई की तुम खत्म हो जाओगे | लड़ो हँस कर लड़ो , सब ठीक है सब ठीक है कह कर बुरा वक्त बिताते जाओ | कोई अपना नही है यहाँ हर कोई अकेला ही है | तुम्हारी कठिमाईयों ने मार दिया उस लड़के को जो बेपरवाह था जो खुद में मस्त रहता था | अब तुम्हे ज़िम्मेदारियाँ ढोनी हैं खुशी खुशी...तो लड़ो हिम्मत से लड़ो ऐसे लड़ते मर भी गये तो कोई मज़ाक नही बनायेगा | बाकी तुम्हारे जनाज़े में रोने वालों की भीड़ तुम पहले इक्टठी कर चुके हो |
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धीरज झा...
धीरज झा
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धीरज झा...
धीरज झा
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