हम दूर कहाँ हैं लगा कर के बंदिशें हज़ार , कहते हो हम दूर कहाँ हैं । छुपा कर दुनिया से अपना प्यार , कहते हो हम दूर कहाँ हैं । नज़दीकियाँ रूह ...
हम दूर कहाँ हैं
लगा कर के बंदिशें हज़ार , कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
छुपा कर दुनिया से अपना प्यार , कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
नज़दीकियाँ रूह से करीब कर के , हर वादे मे हामी भर के ।
खिंचते हो अब पीछे कदम बार बार और कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
दिल में मुझे बसा कर के , सपने हज़ारों सजा कर के ।
अब करते हो खंजर दिल के आर पार और कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
कहा था जन्मों साथ रहेंगे साथ ही सावन पतझड़ बरसात रहेंगे ।
अब दे गए बरसों का इंतज़ार और कहते हो दूर कहाँ हैं ।
धीरज झा
लगा कर के बंदिशें हज़ार , कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
छुपा कर दुनिया से अपना प्यार , कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
नज़दीकियाँ रूह से करीब कर के , हर वादे मे हामी भर के ।
खिंचते हो अब पीछे कदम बार बार और कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
दिल में मुझे बसा कर के , सपने हज़ारों सजा कर के ।
अब करते हो खंजर दिल के आर पार और कहते हो हम दूर कहाँ हैं ।
कहा था जन्मों साथ रहेंगे साथ ही सावन पतझड़ बरसात रहेंगे ।
अब दे गए बरसों का इंतज़ार और कहते हो दूर कहाँ हैं ।
धीरज झा
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