किसी को सम्मान देने का मतलब ये कभी भी नही की आप उसकी जी हुज़ूरी करते फिरें या उसके गलत को भी सही का दर्जा दें दाँत फाड़ते हुए । मैने अपनी ज़ि...
किसी को सम्मान देने का मतलब ये कभी भी नही की आप उसकी जी हुज़ूरी करते फिरें या उसके गलत को भी सही का दर्जा दें दाँत फाड़ते हुए । मैने अपनी ज़िंदगी में किसी इंसान का सम्मान नही किया । मैने हमेशा सम्मान किया है किसी इंसान के स्वभाव का उसके कर्म का । उसका स्वभाव और कर्म जहाँ अच्छा रहा वहाँ सर झुकाया और जहाँ बुरा वहाँ मुँह फेर लिया । किसी का सम्मान उसके पैर छूने या सर झुका कर बात करने से नही होता ये सब तो हमारे संस्कार मे हैं । ये तो अपने से बड़ों को करना ही पड़ता है ना करो तो खुद को चैन कहाँ ।पर असल सम्मान तो दिल से होता है । जब आपका रोम रोम प्रणाम कर उठे किसी से प्रभावित हो कर वो सम्मान है । सम्मान उम्र के हिसाब से नही दिया जाता ये तो कर्मों के हिसाब से दिया जाता है ।
धीरज झा
धीरज झा
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