#कहानी_का_अंश बहुत दूर तक उन ख़्वाहिशों का पीछा किया था मैने । लगातार बिना रुके दौड़ते हुए । घर के अंदर कभी।चप्पल नही उतारी थी चिकना फर्श भी ...
#कहानी_का_अंश
बहुत दूर तक उन ख़्वाहिशों का पीछा किया था मैने । लगातार बिना रुके दौड़ते हुए । घर के अंदर कभी।चप्पल नही उतारी थी चिकना फर्श भी चुभता था पर भागा उन ख़्वाहिशों के लिए नंगे पाँव उबड़ खाबड़।रास्तों पर बिना नुकीले पत्थरों की परवाह किए । वो ख़्वाहिशें बुलाती रहीं लुभाती रहीं मैं दौड़ता रहा जैसे प्यासा रेगिस्तान में दौड़ता है पानी के उस छलावे के पीछे । पर ख़्वाहिशें तो आखिर ख़्वाहिशें ही थीं हकीकती हाथों में आतीं कैसे । अंजाम ये हुआ के हिम्मत दम तोड़ गई । अब एक उम्मीदों की लाश है जिसे कुछ देर में जला दिया जाएगा । उन से उठने वाला धुआँ जब ख़्वाहिशों की आँखों में लगेगा तब उसकी आँखें बहेंगी और आँसुओं की तपिश से दिल पिघलेगा । पर अफ़सोस अब देर हो गई । हिम्मत मर गई उम्मीदें जल गईं । जिस्म बचा है जो महज़ एक पत्थर है । बेफिक्र बेअसर सा । ख़्वाहिशें जुदा हो गईं मौत की वजह हो गईं ।
धीरज झा
बहुत दूर तक उन ख़्वाहिशों का पीछा किया था मैने । लगातार बिना रुके दौड़ते हुए । घर के अंदर कभी।चप्पल नही उतारी थी चिकना फर्श भी चुभता था पर भागा उन ख़्वाहिशों के लिए नंगे पाँव उबड़ खाबड़।रास्तों पर बिना नुकीले पत्थरों की परवाह किए । वो ख़्वाहिशें बुलाती रहीं लुभाती रहीं मैं दौड़ता रहा जैसे प्यासा रेगिस्तान में दौड़ता है पानी के उस छलावे के पीछे । पर ख़्वाहिशें तो आखिर ख़्वाहिशें ही थीं हकीकती हाथों में आतीं कैसे । अंजाम ये हुआ के हिम्मत दम तोड़ गई । अब एक उम्मीदों की लाश है जिसे कुछ देर में जला दिया जाएगा । उन से उठने वाला धुआँ जब ख़्वाहिशों की आँखों में लगेगा तब उसकी आँखें बहेंगी और आँसुओं की तपिश से दिल पिघलेगा । पर अफ़सोस अब देर हो गई । हिम्मत मर गई उम्मीदें जल गईं । जिस्म बचा है जो महज़ एक पत्थर है । बेफिक्र बेअसर सा । ख़्वाहिशें जुदा हो गईं मौत की वजह हो गईं ।
धीरज झा
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