कहानी प्रेम की प्रेम के पिता की बदली दूसरे शहर हो गई थी । अब नन्हे प्रेम को भी दूसरे शहर जाना था । दूसरा शहर यानी नया स्कूल नए दोस्त नया माह...
कहानी प्रेम की
प्रेम के पिता की बदली दूसरे शहर हो गई थी । अब नन्हे प्रेम को भी दूसरे शहर जाना था । दूसरा शहर यानी नया स्कूल नए दोस्त नया माहौल । प्रेम का दाखिला नए स्कूल मे हो गया । अब नए दोस्त भी बन गए जैसे खुशी , सुकून , चाहत , ख्वाब आदि सब नए दोस्त थे प्रेम के ।
बहुत मज़े से शुरू के दिन कट रहे थे प्रेम के । उसी की क्लास मे एक और बच्ची थी जिसका नाम तड़प था । तड़प बेहद गंदी , रोदलू सी सारा दिन रोती रहती । शरीर पर जगह जगह ज़ख्म थे वो उन्हे ही कुरेदती रहती और आँसू बहाती रहती । किसी से कोई बोलचाल नही बस अकेली तन्हाई वाली लैब में बैठी रहती ।
प्रेम को उस से बड़ी घृणा थी उसे देखना नही चाहता था प्रेम । कभी तड़प सामने आ जाती तो प्रेम डर जाता ।
प्रेम ने सुन रखा था की तड़प के माँ मौत रानी बहुत खतरनाक है वो लोगों को जादू से गायब कर के दूसरी दुनिया में भेज देती है । प्रेम इस बात से और डर जाता । पर प्रेम को तड़प से लेना भी क्या था वो खुश था खुशी , सुकून , चाहत के साथ ।
पर शायद प्रिंसिपल किस्मत जी को ये मंज़ूर नही था इसीलिए तो उन्होंने प्रेम ची क्लास मिस मजबूरी को दे दी । मैडम मजबूरी ने आते ही प्रेम को खुशी और सुकून से अलग कर दिया और चाहत और प्रेम को तड़प के साथ कर दिया । प्रेम तड़प के साथ था फिर भी अकेला था । अब वो रोता चिल्लाता उसका मन कहीं भी ना लगता । तड़प प्रेम के पास आने की कोशिश करती रहती और कोशिश करते करते प्रेम तड़प के करीब हो गया । अब प्रेम यहाँ नही रहना चाहता था । वो खुशी और सुकून को याद कर के तड़प से लिपट जाता और चाहता की तड़प उसे अपनी माँ मौत रानी से मिलिए ताकी वो प्रेम को दूसरी दुनिया में भेज सके । पर तड़प की माँ का एक उसूल था वो उसे कभी दूसरी दुनिया में ना भेजती जो उसकी बेटी तड़प के साथ होता । क्योंकी वो जानती थी ऐसा करने पर उसकी बेटी फिर अकेली हो जाएगी । प्रेम के पास तड़प को अपनाने के इलावा कोई दूसरा रास्ता नही था । अब वो दोनो तन्हाई लैब में अकेले बैठते । प्रेम को अब तड़प अच्छी लगने लगी । वो तड़प के साथ जीना सीख गया वो अब खुशी का इंतज़ार न करता ।
प्रेम खुश तो नही था पर उसे अब आदत हो गई थी । अब प्रेम बदल गया था हर बार की तरह और खुशी किसी और की हो गई थी ।
धीरज झा
प्रेम के पिता की बदली दूसरे शहर हो गई थी । अब नन्हे प्रेम को भी दूसरे शहर जाना था । दूसरा शहर यानी नया स्कूल नए दोस्त नया माहौल । प्रेम का दाखिला नए स्कूल मे हो गया । अब नए दोस्त भी बन गए जैसे खुशी , सुकून , चाहत , ख्वाब आदि सब नए दोस्त थे प्रेम के ।
बहुत मज़े से शुरू के दिन कट रहे थे प्रेम के । उसी की क्लास मे एक और बच्ची थी जिसका नाम तड़प था । तड़प बेहद गंदी , रोदलू सी सारा दिन रोती रहती । शरीर पर जगह जगह ज़ख्म थे वो उन्हे ही कुरेदती रहती और आँसू बहाती रहती । किसी से कोई बोलचाल नही बस अकेली तन्हाई वाली लैब में बैठी रहती ।
प्रेम को उस से बड़ी घृणा थी उसे देखना नही चाहता था प्रेम । कभी तड़प सामने आ जाती तो प्रेम डर जाता ।
प्रेम ने सुन रखा था की तड़प के माँ मौत रानी बहुत खतरनाक है वो लोगों को जादू से गायब कर के दूसरी दुनिया में भेज देती है । प्रेम इस बात से और डर जाता । पर प्रेम को तड़प से लेना भी क्या था वो खुश था खुशी , सुकून , चाहत के साथ ।
पर शायद प्रिंसिपल किस्मत जी को ये मंज़ूर नही था इसीलिए तो उन्होंने प्रेम ची क्लास मिस मजबूरी को दे दी । मैडम मजबूरी ने आते ही प्रेम को खुशी और सुकून से अलग कर दिया और चाहत और प्रेम को तड़प के साथ कर दिया । प्रेम तड़प के साथ था फिर भी अकेला था । अब वो रोता चिल्लाता उसका मन कहीं भी ना लगता । तड़प प्रेम के पास आने की कोशिश करती रहती और कोशिश करते करते प्रेम तड़प के करीब हो गया । अब प्रेम यहाँ नही रहना चाहता था । वो खुशी और सुकून को याद कर के तड़प से लिपट जाता और चाहता की तड़प उसे अपनी माँ मौत रानी से मिलिए ताकी वो प्रेम को दूसरी दुनिया में भेज सके । पर तड़प की माँ का एक उसूल था वो उसे कभी दूसरी दुनिया में ना भेजती जो उसकी बेटी तड़प के साथ होता । क्योंकी वो जानती थी ऐसा करने पर उसकी बेटी फिर अकेली हो जाएगी । प्रेम के पास तड़प को अपनाने के इलावा कोई दूसरा रास्ता नही था । अब वो दोनो तन्हाई लैब में अकेले बैठते । प्रेम को अब तड़प अच्छी लगने लगी । वो तड़प के साथ जीना सीख गया वो अब खुशी का इंतज़ार न करता ।
प्रेम खुश तो नही था पर उसे अब आदत हो गई थी । अब प्रेम बदल गया था हर बार की तरह और खुशी किसी और की हो गई थी ।
धीरज झा
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