सुनों बे नौटंकीबाजों ( परिक्षा परिणाम ) परिक्षा परिणामों के दिन चल रहे हैं । इन दिनों कुछ परिक्षार्थियों के एक खास छुपे हुए हुनर का जलवा देख...
सुनों बे नौटंकीबाजों ( परिक्षा परिणाम )
परिक्षा परिणामों के दिन चल रहे हैं । इन दिनों कुछ परिक्षार्थियों के एक खास छुपे हुए हुनर का जलवा देखने को मिलेगा । गजब का हुनर होता है ये , खड़े खड़े रो देने का हुनर । ऐसा लगेगा जैसे बस अब दुनिया खत्म । हिरोशिमा वाला बाॅम्ब इन्ही पर गिरा है फिर से । पर शाम होते होते तक फिर अपने पुराने वाले रूप में लौट आते हैं । ये हुनर सब में नही होता सिर्फ उन छात्रों में पाया जाता है जिनकी किताब एक पन्ना तक मुड़ा हुआ नही मिलेगा , किताब नई की नई । परिक्षा के दिनों में भी जिनकी मस्तियाँ कम न हुई । अब ये पापा की लात और माता जी के चप्पलास्त्र से बचने के लिए ऐसे मुँह बनाते हैं जैसे अभी अगले पल पंखे से लटक जाऐंगे । घर वाले आज कल के माहौल से डरे होते हैं बच्चे को झिड़कना तो दूर टाईट हो कर समझा भी नही पाते । हाँ जिन्होंने दिन रात मेहनत की उनका परिणाम सही नही आया तो दुखता है , बच्चे की शक्ल देखते मन पसीज जाता है । पर ये नालायक जो पढ़ने के नाम तक से कोसों दूर भागे , परिक्षा बस ये सोच कर देने चल दिए की पिछले साल जबर चिट्ट चला था इस साल भी चलेगा और काॅपी तो हमारे फूफा जी।ही चेकियाऐंगे तो पास तो कर ही देंगे । पर ये क्या परिणाम तो कड़ा आ गया । शायद फूफा जी तक काॅपी ही नही पहुँची । अब तो घर पर लत्तमजुत्तम का प्रोग्राम चलेगा । पापा सारा साल चिल्लाए नालायक पढ़ ले पर कौन सुने अब लात खाना तो बनता है पर हम उस से पहले ही इमोश्नल ब्लैकमेल करेंगे । करो और खरो ससुर तुम्हारे करम में ही भेड़ी के बार लिखा है दोसल्ला कहाँ से पाओगे । मेहनत किए होते तो किसका मजाल था फेल कर देता । पर चलो अब तो जो हुआ सो हुआ इस फेल होने को बेकार मत जाने दो इसे प्रयोग में लाओ देखो सोचो क्या नही करना था और क्या करना था । इंसान हो तब तो इस फेल को अगली बार बेहद अच्छे अंकों में बदल दोगे । नही तो कहीं हो ही जनावर तो सारी उम्र लात ही खाओगे ।
बाकी जो मेहनत के बाद भी।अच्छा नही कर पाए उन सबके लिए मन से दुख होता है । पर याद रखें पड़ाव है मंज़िल दूर है बहुत तो मन ना छोटा करें अगले पड़ाव पर इससे और और और बेहतर करने की ठान लें । नंबर कम ज़्यादा हो सकते हैं पर पढ़ा हुआ और मेहनत बेकार नही जाएगी आज नही तो कल रंग दिखाऐगी ।
शुभकामनाऐं अगले पड़ाव के लिए ।
धीरज झा
परिक्षा परिणामों के दिन चल रहे हैं । इन दिनों कुछ परिक्षार्थियों के एक खास छुपे हुए हुनर का जलवा देखने को मिलेगा । गजब का हुनर होता है ये , खड़े खड़े रो देने का हुनर । ऐसा लगेगा जैसे बस अब दुनिया खत्म । हिरोशिमा वाला बाॅम्ब इन्ही पर गिरा है फिर से । पर शाम होते होते तक फिर अपने पुराने वाले रूप में लौट आते हैं । ये हुनर सब में नही होता सिर्फ उन छात्रों में पाया जाता है जिनकी किताब एक पन्ना तक मुड़ा हुआ नही मिलेगा , किताब नई की नई । परिक्षा के दिनों में भी जिनकी मस्तियाँ कम न हुई । अब ये पापा की लात और माता जी के चप्पलास्त्र से बचने के लिए ऐसे मुँह बनाते हैं जैसे अभी अगले पल पंखे से लटक जाऐंगे । घर वाले आज कल के माहौल से डरे होते हैं बच्चे को झिड़कना तो दूर टाईट हो कर समझा भी नही पाते । हाँ जिन्होंने दिन रात मेहनत की उनका परिणाम सही नही आया तो दुखता है , बच्चे की शक्ल देखते मन पसीज जाता है । पर ये नालायक जो पढ़ने के नाम तक से कोसों दूर भागे , परिक्षा बस ये सोच कर देने चल दिए की पिछले साल जबर चिट्ट चला था इस साल भी चलेगा और काॅपी तो हमारे फूफा जी।ही चेकियाऐंगे तो पास तो कर ही देंगे । पर ये क्या परिणाम तो कड़ा आ गया । शायद फूफा जी तक काॅपी ही नही पहुँची । अब तो घर पर लत्तमजुत्तम का प्रोग्राम चलेगा । पापा सारा साल चिल्लाए नालायक पढ़ ले पर कौन सुने अब लात खाना तो बनता है पर हम उस से पहले ही इमोश्नल ब्लैकमेल करेंगे । करो और खरो ससुर तुम्हारे करम में ही भेड़ी के बार लिखा है दोसल्ला कहाँ से पाओगे । मेहनत किए होते तो किसका मजाल था फेल कर देता । पर चलो अब तो जो हुआ सो हुआ इस फेल होने को बेकार मत जाने दो इसे प्रयोग में लाओ देखो सोचो क्या नही करना था और क्या करना था । इंसान हो तब तो इस फेल को अगली बार बेहद अच्छे अंकों में बदल दोगे । नही तो कहीं हो ही जनावर तो सारी उम्र लात ही खाओगे ।
बाकी जो मेहनत के बाद भी।अच्छा नही कर पाए उन सबके लिए मन से दुख होता है । पर याद रखें पड़ाव है मंज़िल दूर है बहुत तो मन ना छोटा करें अगले पड़ाव पर इससे और और और बेहतर करने की ठान लें । नंबर कम ज़्यादा हो सकते हैं पर पढ़ा हुआ और मेहनत बेकार नही जाएगी आज नही तो कल रंग दिखाऐगी ।
शुभकामनाऐं अगले पड़ाव के लिए ।
धीरज झा
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