मुझे रोना नही था । सबसे करीबी को खो दिया पर रोना नही था , क्योंकी मैं सबसे बड़ा था । एक से एक तकलीफ एक से एक दर्द मिला पर मुझे।रोना नही।था क्...
मुझे रोना नही था । सबसे करीबी को खो दिया पर रोना नही था , क्योंकी मैं सबसे बड़ा था । एक से एक तकलीफ एक से एक दर्द मिला पर मुझे।रोना नही।था क्योंकी मेरा नाम गलती से धीरज रख दिया गया था और मुझे अब सारी उम्र अपने नाम के बोझ को ढोना पड़ रहा है । मेरे पास कुछ था भी नही पर जो था वो मोहब्बत के खेल में जुए की तरह लगा दिया । सबसे लड़ता रहा पर साली किस्मत से कौन जीते । कौन उस से बार बार बहस करे की हर बार मैं ही क्यों ? कौन जवाब माँगे इस गुँगी बहरी किस्मत से । लो तो हार गया मैं पर मुझे रोना नही था क्योंकी मैने प्यार किया है प्यार तो बलिदान है ना । मुझे रोना नही था और रोता।भी।तो किसके लिए और किसके सामने । आज रो लूँ और कल लतीफा बन जाऊँ ? ऐसे रोने से घुटना बेहतर है । पर रोना तो है जीना है तो रोना होगा । तो चलो मेरे शब्दों सुनों मेरा रुदन । करो विलाप बजाओ तालियाँ मेरे टूटने का करतब देख कर । मेरे शब्दों मुझे ऐसे तोड़ो और निचोड़ो की रोज़ खून टपके मेरा तुम में से हो कर और लाल स्याही से जब खुद को अमर कर लो तब अलविदा कहूँ तुम्हे और सबको भी । क्योंकी और दबा नही सकता।और तुम तो जानते हो मुझे रोना नही है ।
धीरज झा
धीरज झा
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