सपनों का महल सपनों का आशियाना बनाते हुए कितनी चमक थी मेरे चेहरे पर फिर आँखों पर रख हाथ तुम्हारे ले आया था महल के सामने फिर तुम्हारी बड़ी सी म...
सपनों का महल
सपनों का आशियाना बनाते हुए
कितनी चमक थी मेरे चेहरे पर
फिर आँखों पर रख हाथ तुम्हारे
ले आया था महल के सामने
फिर तुम्हारी बड़ी सी मुस्कुराहट
डूब गई थी खुशी के आँसुओं
की चाशनी में
तब तुम लग रही थी
चाँदी के वर्क में लिपटी
किसी महंगी मिठाई सी
और मैं देखे जा रहा था
3 दिन से भूखे बच्चे की
तरह ललचाया सा तुम्हे ।
आज उस महल को एक
की ज़मीन का सरकारी
नोटिस आया
जिसमें लिखा था ये
ज़मीन है नाजायज़
मुझे ना चाहते हुए भी
तोड़ना पड़ा वो सपनों का महल
साथ छिननी पड़ी मिठास उस
महँगी मिठाई की
एक एक ईंट मैने निकाली ऐसे
जैसे छील रहा था मैं
अपने ही चमड़े को
और सामने खड़ा अफसर बाबू
मुस्कुराता रहा मुझे देख रोता
पर तुम मायूस ना होना
था तो एक महल ही ना
मैं इस बार खरीदूँगा
हकीकत की ज़मीन
और बनेगा हमारे हकीकत का
जायज़ सा महल ।
तुम रहो ना रहो
यादें तुम्हारी ही होंगी
मालकिन उस महल की
धीरज झा
सपनों का आशियाना बनाते हुए
कितनी चमक थी मेरे चेहरे पर
फिर आँखों पर रख हाथ तुम्हारे
ले आया था महल के सामने
फिर तुम्हारी बड़ी सी मुस्कुराहट
डूब गई थी खुशी के आँसुओं
की चाशनी में
तब तुम लग रही थी
चाँदी के वर्क में लिपटी
किसी महंगी मिठाई सी
और मैं देखे जा रहा था
3 दिन से भूखे बच्चे की
तरह ललचाया सा तुम्हे ।
आज उस महल को एक
की ज़मीन का सरकारी
नोटिस आया
जिसमें लिखा था ये
ज़मीन है नाजायज़
मुझे ना चाहते हुए भी
तोड़ना पड़ा वो सपनों का महल
साथ छिननी पड़ी मिठास उस
महँगी मिठाई की
एक एक ईंट मैने निकाली ऐसे
जैसे छील रहा था मैं
अपने ही चमड़े को
और सामने खड़ा अफसर बाबू
मुस्कुराता रहा मुझे देख रोता
पर तुम मायूस ना होना
था तो एक महल ही ना
मैं इस बार खरीदूँगा
हकीकत की ज़मीन
और बनेगा हमारे हकीकत का
जायज़ सा महल ।
तुम रहो ना रहो
यादें तुम्हारी ही होंगी
मालकिन उस महल की
धीरज झा
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