ज़रा सुनो तो प्रेम समझौते नही करता । जो समझौता कर ले वो प्रेम नही कर सकता । मैने भी नही किया पर मैं तुम पर थोप नही।सकता की तुम भी समझौता ना ...
ज़रा सुनो तो
प्रेम समझौते नही करता । जो समझौता कर ले वो प्रेम नही कर सकता । मैने भी नही किया पर मैं तुम पर थोप नही।सकता की तुम भी समझौता ना करो । ज़िंदगी तुम्हारी है फैसला तुम्हारा होगा । मैं तो हमेशा से सर्दियों की धूप सा रहा हूँ जब तक ठंड से आराम दिया प्यारा लगा बाद में छाता तान कर सब बचने लगे । जानता हूँ तुम्हारा हाल भी अच्छे से मगर हाल बेहाल करने से फायदा क्या अगर सब रास्ते बन्द होने का इंतज़ार तुम चुप चाप करो । हँसता हूँ मुस्कुराता हूँ बस इसी लिए की कोई उदासी।की वजह जान कर मेरी हर बार लुट जाने वाली किस्मत पर तरस ना खाने लगे । तरस शब्द ही पसंद नही मुझे तुम से भी।यही कहा था ना की अगर तुम खुद के लिए मुझे पाना चाहो तब ही कोई कोशिश करना ये सोच कर कोई कोशिश नही करना की मेरा हाल बेहाल है । मैं तो रोज़ रोज़ खुद में से खत्म हो ही रहा हूँ वैसे भी हमेशा ज़िंदा रहना किसको है । तुम में चाह होगी तो तुम रास्ता भी ढूँढ लोगी और हर रास्ते पर मैं पहले से साथ देने को मिल ही जाऊँगा और ना ढूँढोगी रास्ता तो मेरी टूटती साँसें तुम्हे भी माफ कर देंगी वैसे ही जैसे औरों को किया । बाकी मेरा हाल तुम्हारे बिना कैसा है ये गिले शब्द मेरे तुम्हे बता ही देंगे ।
धीरज झा
प्रेम समझौते नही करता । जो समझौता कर ले वो प्रेम नही कर सकता । मैने भी नही किया पर मैं तुम पर थोप नही।सकता की तुम भी समझौता ना करो । ज़िंदगी तुम्हारी है फैसला तुम्हारा होगा । मैं तो हमेशा से सर्दियों की धूप सा रहा हूँ जब तक ठंड से आराम दिया प्यारा लगा बाद में छाता तान कर सब बचने लगे । जानता हूँ तुम्हारा हाल भी अच्छे से मगर हाल बेहाल करने से फायदा क्या अगर सब रास्ते बन्द होने का इंतज़ार तुम चुप चाप करो । हँसता हूँ मुस्कुराता हूँ बस इसी लिए की कोई उदासी।की वजह जान कर मेरी हर बार लुट जाने वाली किस्मत पर तरस ना खाने लगे । तरस शब्द ही पसंद नही मुझे तुम से भी।यही कहा था ना की अगर तुम खुद के लिए मुझे पाना चाहो तब ही कोई कोशिश करना ये सोच कर कोई कोशिश नही करना की मेरा हाल बेहाल है । मैं तो रोज़ रोज़ खुद में से खत्म हो ही रहा हूँ वैसे भी हमेशा ज़िंदा रहना किसको है । तुम में चाह होगी तो तुम रास्ता भी ढूँढ लोगी और हर रास्ते पर मैं पहले से साथ देने को मिल ही जाऊँगा और ना ढूँढोगी रास्ता तो मेरी टूटती साँसें तुम्हे भी माफ कर देंगी वैसे ही जैसे औरों को किया । बाकी मेरा हाल तुम्हारे बिना कैसा है ये गिले शब्द मेरे तुम्हे बता ही देंगे ।
धीरज झा
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