सुख दुख ज़िंदगी के दो बच्चे हैं दोनों अपने काम में अच्छे हैं एक का नाम दुख तो दूसरा सुख के नाम से जाना जाता है दुख है थोड़ा सुस्त धीरे धीरे च...
सुख दुख
ज़िंदगी के दो बच्चे हैं
दोनों अपने काम में अच्छे हैं
एक का नाम दुख तो
दूसरा सुख के नाम से जाना जाता है
दुख है थोड़ा सुस्त
धीरे धीरे चलता है
मगर सुख बड़ी तेज़ी
से निकल कर भाग जाता है
अब ज़िंदगी माँ है तो
लाढ़ दोनो को लढ़ाऐगी
एक को खिला कर भला
दूसरे को भूखा कैसे सुलाएगी
माना की दुख कुरुप है
तो क्या यूँ दुत्तकार दें उसे ?
है एक ही कोख से वो भी
तो भला कैसे ना प्यार दे उसे
ज़िंदगी ने हक़ दोनों को
बराबर दिया है
तुम्हारे घर बारी बारी
से रहने का इंतज़ाम किया है
सुख सुंदर है , उसे दुलारते हुए
वक्त का पता ही नही चलता
वहीं दुख का कुरूप मुख देख
जी पल पल है मचलता
सुख है तंदरूस्त दौड़ता कूदता निकल जाता है
दुख है अपाहिज पीड़ा से झपटाता है
घर के लोगों को भी रूलाता है
पर स्नेह दोनो की चाहत है
दुख को देख मुस्कुराने से
मिलती दर्द को राहत है
दुख को भी।प्यार से पुचकारिए
उसके उजड़े बालों को संवारिए
फिर उसे बर्दाश्त करने की ताकत मिलेगी
ज़िंदगी हर रंग में आसान लगेगी
धीरज झा
ज़िंदगी के दो बच्चे हैं
दोनों अपने काम में अच्छे हैं
एक का नाम दुख तो
दूसरा सुख के नाम से जाना जाता है
दुख है थोड़ा सुस्त
धीरे धीरे चलता है
मगर सुख बड़ी तेज़ी
से निकल कर भाग जाता है
अब ज़िंदगी माँ है तो
लाढ़ दोनो को लढ़ाऐगी
एक को खिला कर भला
दूसरे को भूखा कैसे सुलाएगी
माना की दुख कुरुप है
तो क्या यूँ दुत्तकार दें उसे ?
है एक ही कोख से वो भी
तो भला कैसे ना प्यार दे उसे
ज़िंदगी ने हक़ दोनों को
बराबर दिया है
तुम्हारे घर बारी बारी
से रहने का इंतज़ाम किया है
सुख सुंदर है , उसे दुलारते हुए
वक्त का पता ही नही चलता
वहीं दुख का कुरूप मुख देख
जी पल पल है मचलता
सुख है तंदरूस्त दौड़ता कूदता निकल जाता है
दुख है अपाहिज पीड़ा से झपटाता है
घर के लोगों को भी रूलाता है
पर स्नेह दोनो की चाहत है
दुख को देख मुस्कुराने से
मिलती दर्द को राहत है
दुख को भी।प्यार से पुचकारिए
उसके उजड़े बालों को संवारिए
फिर उसे बर्दाश्त करने की ताकत मिलेगी
ज़िंदगी हर रंग में आसान लगेगी
धीरज झा
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