घर के भेदी ( कहानी ) बिसेसर बाबा अपना गाँव भरतपुर के मुखिया चुन लिए गए थे । अब गाँव बहुते बड़े था जिम्मा भी।बड़ा था तो एक तेज तर्रार मुखिया का...
घर के भेदी ( कहानी )
बिसेसर बाबा अपना गाँव भरतपुर के मुखिया चुन लिए गए थे । अब गाँव बहुते बड़े था जिम्मा भी।बड़ा था तो एक तेज तर्रार मुखिया का होना तो लाजमिए । तो बहुमत से बिसेसर बाबा की आ उनकी हाँकी गई बातों की जीत हुई । उनके विपक्ष में था उनके ही चाचा के पोता मने उनका भतीजा जो पचास साल की उम्र में हाल ही में जवान हुआ था दिमाग से तो पैदले था पर उसकी माई जिसका उसके बाबू से लभ मैरेज हुआ था उसके ठेल ठेल के बिसेसर बाबा के सामने खड़ा कर देती । आ तीसरा उम्मीदवार था बिसेसर बाबा कि चचेरा भाई ललटुन । ललटुन पहिले नाच पार्टी में लौंडा हुआ करता था इसीलिए नचनिया वाला आदत नही गया था । आ सबसे खराब आदत रूसता बहुत था हर बात में।खाना पीना बंद कर के बईठ जाता ।
अब बात इहाँ आ कर गदरियाएल थी की बिसेसर मुखिया बना त बना कईसे । ई बात से दोनो तीनो जन के सुतरी झरकने लगता । मुखिया बिसेसर गाँव की समस्या ले कर सहर आते जाते अब मुखिआ थे तो एक फटफटिओ हो गया था । अब बिसेसर लौंडा जब अपना हीरो हौंडा पर फट फट करते निकलता तो ललटुन आ फुदना के पिछवाड़ा जल के कोलतार हो जाता । वईसे फुदना आ ललटुनमा अलग अलग रहते पर दिन ढलते सरेह के आम्मबनी में ऊँचका मकान पर महफिल लगाते । देसी का बोतल आ चखना में भूजा ले कर चढ़ जाते । अब ज्यों ज्यों सराब का नसा बढ़ता त्यों त्यों बिसेसर को पटखनी देने का नया नया उपाए दिमाग में बिजबिजाने लगता । अभिए तनिका दिन पहिले बुधना के छोटका बेटबा को पेटझरिया पकड़।लिआ अब ई दुनू पूरा गाँव में हल्ला बोल दिए बिसेसर जिम्मेदार है बुधना के बेटवा के पेटझरिया का । ना ऊ जीत की खुसी में बुनिया बाँटता ना बुधना के बेटा खाता ना उसका पेट झरता । बिसेसर मुखिया हाय हाय । दुनू दारू पी के एतना हो हल्ला किए के गाँव वाले उठा के गंदा नालवा में पटक आए ।
पर कहते हैं ना जात सुभाब न छूटे कुत्तवा टाँग उठा के मूते । ऊहे हाल ई दुनू का था । ललटुनमा केतना फरौडिया था सब जानते थे । झूठ बोल बोल के अपने वार्ड का चुनाव जीता था और अब अपना लौंडागिरी से तमासा कर के मुखिया हो जाना चाहता था पर बिसेसर सबसे बड़ा रोड़ा था उसकी राह का फुदना त बुड़बक था ललटुनमा उसको हटाना जानता था पर बिसेसर पर उसका जोर नही चल पा रहा था ।
आस पास के सारे गाँवों ने मिल कर एक नदी से पीने के पानी के लिए नल बिछाए थे । पानी नदी से बड़का टंकी में आता और यहाँ से नल में । अब बिसेसर मुखिया सोचा गाँव वाला सबको पानी के लिए केतना दूर जाना होता है । क्यों ना नल वाला सिस्टमवा इहों ला दिया जाए । इस काम को पूरा करने के लिए बिसेसर पास के गाँव के मुखिया से मिलने गया । हालाँकी ऊ गाँव पहिले बिसेसर के गाँव का दुसमन था पर बिसेसर फिर भी।एक आस में उसके पास गया । वो मुखिया भी आस्वस्त किया की भईया हम तोहरे साथ हैं । अब बिसेसर उसके मन मा त घुसा नही था । बिसेसर खुस था । बाकी गाँव भी मान जाते गाँव में पानी का दिक्कत नही रह जाता । मेघ न बरसने पर भी उतना किल्लत न होने । बिसेसर की ई सफलता ललटुन , फुदना आ फुदना की माई को रास ना आ रही थी । तीनो जन पहाड़ी वाले बाबा लटकन फकीर को बुलाए जादू टोना चलने लगा । मलब पूरा तरह से ई समझौता रोकने पर उतारू हो गए ई जानते हुए के इस से गाँव का नुक्सान है ।
अब जादू टोना का असर कहो जा बिसेसर और गाँव वालों की फूटी किस्समत बाकी गाँव बिसेसर के गाँव को पानी देने के लिए नही माने । खबर आई के पड़ोस के गाँव वाला ही टाँग अड़ा दिआ । ऊर ऊ तो पड़ोसी था ऊ भी पुराना दुसमन पर ईहाँ तो अपना गाँव के ललटुन फुदना आ फुदना के माई । खूब नाच रहा था । बम फटका उड़ा रहा था । पड़ोस के गाँव के मुखिआ को साबासी दे रहा था । ई सोचे बिना नुक्सान त गाँव का ही हुआ है । बस इस लिए की बिसेसर का हार हुआ । पर बिसेसर हारने बाला कहाँ । ऊ फिर से अपना धुन मे लग गया । आ अब कामयाब हो कर मानेगा गाँब की।इज्जत का सबाल है । ललटुन लौंडा आ उसका नाच पाटी फेर मुँह की खाएगा ।
धीरज झा
बिसेसर बाबा अपना गाँव भरतपुर के मुखिया चुन लिए गए थे । अब गाँव बहुते बड़े था जिम्मा भी।बड़ा था तो एक तेज तर्रार मुखिया का होना तो लाजमिए । तो बहुमत से बिसेसर बाबा की आ उनकी हाँकी गई बातों की जीत हुई । उनके विपक्ष में था उनके ही चाचा के पोता मने उनका भतीजा जो पचास साल की उम्र में हाल ही में जवान हुआ था दिमाग से तो पैदले था पर उसकी माई जिसका उसके बाबू से लभ मैरेज हुआ था उसके ठेल ठेल के बिसेसर बाबा के सामने खड़ा कर देती । आ तीसरा उम्मीदवार था बिसेसर बाबा कि चचेरा भाई ललटुन । ललटुन पहिले नाच पार्टी में लौंडा हुआ करता था इसीलिए नचनिया वाला आदत नही गया था । आ सबसे खराब आदत रूसता बहुत था हर बात में।खाना पीना बंद कर के बईठ जाता ।
अब बात इहाँ आ कर गदरियाएल थी की बिसेसर मुखिया बना त बना कईसे । ई बात से दोनो तीनो जन के सुतरी झरकने लगता । मुखिया बिसेसर गाँव की समस्या ले कर सहर आते जाते अब मुखिआ थे तो एक फटफटिओ हो गया था । अब बिसेसर लौंडा जब अपना हीरो हौंडा पर फट फट करते निकलता तो ललटुन आ फुदना के पिछवाड़ा जल के कोलतार हो जाता । वईसे फुदना आ ललटुनमा अलग अलग रहते पर दिन ढलते सरेह के आम्मबनी में ऊँचका मकान पर महफिल लगाते । देसी का बोतल आ चखना में भूजा ले कर चढ़ जाते । अब ज्यों ज्यों सराब का नसा बढ़ता त्यों त्यों बिसेसर को पटखनी देने का नया नया उपाए दिमाग में बिजबिजाने लगता । अभिए तनिका दिन पहिले बुधना के छोटका बेटबा को पेटझरिया पकड़।लिआ अब ई दुनू पूरा गाँव में हल्ला बोल दिए बिसेसर जिम्मेदार है बुधना के बेटवा के पेटझरिया का । ना ऊ जीत की खुसी में बुनिया बाँटता ना बुधना के बेटा खाता ना उसका पेट झरता । बिसेसर मुखिया हाय हाय । दुनू दारू पी के एतना हो हल्ला किए के गाँव वाले उठा के गंदा नालवा में पटक आए ।
पर कहते हैं ना जात सुभाब न छूटे कुत्तवा टाँग उठा के मूते । ऊहे हाल ई दुनू का था । ललटुनमा केतना फरौडिया था सब जानते थे । झूठ बोल बोल के अपने वार्ड का चुनाव जीता था और अब अपना लौंडागिरी से तमासा कर के मुखिया हो जाना चाहता था पर बिसेसर सबसे बड़ा रोड़ा था उसकी राह का फुदना त बुड़बक था ललटुनमा उसको हटाना जानता था पर बिसेसर पर उसका जोर नही चल पा रहा था ।
आस पास के सारे गाँवों ने मिल कर एक नदी से पीने के पानी के लिए नल बिछाए थे । पानी नदी से बड़का टंकी में आता और यहाँ से नल में । अब बिसेसर मुखिया सोचा गाँव वाला सबको पानी के लिए केतना दूर जाना होता है । क्यों ना नल वाला सिस्टमवा इहों ला दिया जाए । इस काम को पूरा करने के लिए बिसेसर पास के गाँव के मुखिया से मिलने गया । हालाँकी ऊ गाँव पहिले बिसेसर के गाँव का दुसमन था पर बिसेसर फिर भी।एक आस में उसके पास गया । वो मुखिया भी आस्वस्त किया की भईया हम तोहरे साथ हैं । अब बिसेसर उसके मन मा त घुसा नही था । बिसेसर खुस था । बाकी गाँव भी मान जाते गाँव में पानी का दिक्कत नही रह जाता । मेघ न बरसने पर भी उतना किल्लत न होने । बिसेसर की ई सफलता ललटुन , फुदना आ फुदना की माई को रास ना आ रही थी । तीनो जन पहाड़ी वाले बाबा लटकन फकीर को बुलाए जादू टोना चलने लगा । मलब पूरा तरह से ई समझौता रोकने पर उतारू हो गए ई जानते हुए के इस से गाँव का नुक्सान है ।
अब जादू टोना का असर कहो जा बिसेसर और गाँव वालों की फूटी किस्समत बाकी गाँव बिसेसर के गाँव को पानी देने के लिए नही माने । खबर आई के पड़ोस के गाँव वाला ही टाँग अड़ा दिआ । ऊर ऊ तो पड़ोसी था ऊ भी पुराना दुसमन पर ईहाँ तो अपना गाँव के ललटुन फुदना आ फुदना के माई । खूब नाच रहा था । बम फटका उड़ा रहा था । पड़ोस के गाँव के मुखिआ को साबासी दे रहा था । ई सोचे बिना नुक्सान त गाँव का ही हुआ है । बस इस लिए की बिसेसर का हार हुआ । पर बिसेसर हारने बाला कहाँ । ऊ फिर से अपना धुन मे लग गया । आ अब कामयाब हो कर मानेगा गाँब की।इज्जत का सबाल है । ललटुन लौंडा आ उसका नाच पाटी फेर मुँह की खाएगा ।
धीरज झा
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