सर जी ज़रा सुनिएगा ऐ बिहार की राजनीति और कितना शर्मिंदा करेंगे हम बिहारियों को । कब तक इतिहास का हवाला दे कर हम थुथुरलोजी झाड़ कर कहते रहें क...
सर जी ज़रा सुनिएगा
ऐ बिहार की राजनीति और कितना शर्मिंदा करेंगे हम बिहारियों को । कब तक इतिहास का हवाला दे कर हम थुथुरलोजी झाड़ कर कहते रहें की हम महान हैं हमारा बिहार महान है । जो खुद फटेहाल और बेहाल है वो भी मुँह बना कर हमें बिहारी होने का ताना दे कर निकल लेता है । वैसे भारत के हर राज्य की छाती पर वहाँ का प्रशासन मुँग मसूर ही दरर रहा है मगर आप तो हद ही कर दिए , वहाँ वहाँ भी राजनीति ठेल दिए जहाँ इसका कोई काम ही नही ।
बिहार की दसवीं कक्षा का परिणाम तो देखा ही होगा आपने । उसमें आपकी राजनीति का गुँहकीड़ साफ साफ बिजबिजाता दिख रहा है सरकार । परिक्षा से पहले घोषणा कर दिए की हर फर्स्ट डिवीज़न वाले को दस हज़ार रुपए दिए जाऐंगे । आपने वाह वाही लूट ली । पिंटूआ सिंटूआ जगेनमा उन सब ने घास छीलना छोड़ कर परिक्षा दे डाली दसगो हजरिया के लालच में । खैर ऐसे तो लायक ही नही थे पास हो कर भी बंबई कलकत्ता जाना ही तय था इनका मगर उनका क्या जो दिन रात रगड़ कर पढ़े । मेरी आँखों के सामने से गुज़रा हर रिज़ल्ट जो फर्स्ट डिविज़न आराम से हँस कर ला सकता था वो हर कोई सिर्फ 3 , 4 नंबर से ही क्यों छूट गया । क्यों दिन रात पढ़ने वाली लड़कियाँ मेहनत के बाद अच्छा करने के बाद भी सेकेंड भी।नही कर पाईं क्यों । क्योंकी आप चाहते ही नही थे ये ऐसा हो आपको दस दस हज़ार बाँटने पड़ते ।
शर्मिंदगी तब भी हुई थी जब खुलेआम चिट चला । दिवारें लांघ कर लोग चिट दे कर आए । परिक्षा हाॅल में गाईडें खुलीं । और शर्मिंदा अब भी हैं । भविष्य हैं ये हमारा इनके साथ ऐसे ना खेलिए । अगर अब भी काॅपियाँ सही से री चेक हो जाऐं तो कितनों का रिज़ल्ट बदल जाएगा । एक स्कूल के 42 छात्र टाॅप टेन में आ जाते हैं दूसरे बैठे रो रहे हैं अगर वाकई में वो स्कूल इतने अच्छे विद्यार्थी तैयार करता है तो आपको पूरे बिहार में ऐसे स्कूलों की स्थापना करनी चाहिए । बाकी।सच क्या है आप बेहतर जानते हैं ।
धीरज झा
ऐ बिहार की राजनीति और कितना शर्मिंदा करेंगे हम बिहारियों को । कब तक इतिहास का हवाला दे कर हम थुथुरलोजी झाड़ कर कहते रहें की हम महान हैं हमारा बिहार महान है । जो खुद फटेहाल और बेहाल है वो भी मुँह बना कर हमें बिहारी होने का ताना दे कर निकल लेता है । वैसे भारत के हर राज्य की छाती पर वहाँ का प्रशासन मुँग मसूर ही दरर रहा है मगर आप तो हद ही कर दिए , वहाँ वहाँ भी राजनीति ठेल दिए जहाँ इसका कोई काम ही नही ।
बिहार की दसवीं कक्षा का परिणाम तो देखा ही होगा आपने । उसमें आपकी राजनीति का गुँहकीड़ साफ साफ बिजबिजाता दिख रहा है सरकार । परिक्षा से पहले घोषणा कर दिए की हर फर्स्ट डिवीज़न वाले को दस हज़ार रुपए दिए जाऐंगे । आपने वाह वाही लूट ली । पिंटूआ सिंटूआ जगेनमा उन सब ने घास छीलना छोड़ कर परिक्षा दे डाली दसगो हजरिया के लालच में । खैर ऐसे तो लायक ही नही थे पास हो कर भी बंबई कलकत्ता जाना ही तय था इनका मगर उनका क्या जो दिन रात रगड़ कर पढ़े । मेरी आँखों के सामने से गुज़रा हर रिज़ल्ट जो फर्स्ट डिविज़न आराम से हँस कर ला सकता था वो हर कोई सिर्फ 3 , 4 नंबर से ही क्यों छूट गया । क्यों दिन रात पढ़ने वाली लड़कियाँ मेहनत के बाद अच्छा करने के बाद भी सेकेंड भी।नही कर पाईं क्यों । क्योंकी आप चाहते ही नही थे ये ऐसा हो आपको दस दस हज़ार बाँटने पड़ते ।
शर्मिंदगी तब भी हुई थी जब खुलेआम चिट चला । दिवारें लांघ कर लोग चिट दे कर आए । परिक्षा हाॅल में गाईडें खुलीं । और शर्मिंदा अब भी हैं । भविष्य हैं ये हमारा इनके साथ ऐसे ना खेलिए । अगर अब भी काॅपियाँ सही से री चेक हो जाऐं तो कितनों का रिज़ल्ट बदल जाएगा । एक स्कूल के 42 छात्र टाॅप टेन में आ जाते हैं दूसरे बैठे रो रहे हैं अगर वाकई में वो स्कूल इतने अच्छे विद्यार्थी तैयार करता है तो आपको पूरे बिहार में ऐसे स्कूलों की स्थापना करनी चाहिए । बाकी।सच क्या है आप बेहतर जानते हैं ।
धीरज झा
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