डर क्लासरूम में बैठा था । साथ में मेरा एक होस्टलर बैठा।था जिसकी उम्र 10 की । पास के कमरे में आवाज़ हुई।वो डर गया । मैं उसके डर को भाँप गया थ...
डर
क्लासरूम में बैठा था । साथ में मेरा एक होस्टलर बैठा।था जिसकी उम्र 10 की । पास के कमरे में आवाज़ हुई।वो डर गया । मैं उसके डर को भाँप गया था । उसे ले जा कर पास के कमरे में खड़ा कर दिया , डरता हुआ मेरे पीछे दुबका था मैने दिखाया की हवा से बोर्ड गिरा है । फिर उसे समझाया " देखो डर को मारने का सबसे एक ही तरीका है की।उसका सामना करो । जब तक सामना नही करोगे डर तुम्हे डराएगा । जैसे।की।अभी तुम अगर ना देखते की पास के कमरे में आवाज़ कैसे आई तो तुम समझते कोई था वहाँ तुमने देख लिया तुम्हारा डर भाग गया । डर इसीलिए डराता है क्योंकी।हम उससे डरते हैं जिस दिन डरना छोड़ दें डर हार मान कर डराना छोड़ देगा । "
वो बोला " हाँ सर घर में भी ऐसा होता है । जब कोई आवाज़ आती है मैं डर जाता हूँ पर अब मैं देखूँगा की।आवाज़ कहाँ से आई । मैं सामना करूँगा । "
ये इतनी सी बात पेरे जीवन का आधार है की हम अपनी ज़िंदगी में डर पर किस हद तक जीत पा कर ज़िंदगी को कितना जी सके । अगर आप किसी फैसले को लेने से कुछ बोलने से डर रहे हैं तो उस डर का सामना कर लीजिए वरना सारी उम्र डर आपको डराता रहेगा आप डरते रहेंगे और एक दिन डरते डरते मर जाऐंगे । फैसला आपका है आपको डर के जीना है या डर का सामना कर के बेख़ौफ रहना है ।
धीरज झा
क्लासरूम में बैठा था । साथ में मेरा एक होस्टलर बैठा।था जिसकी उम्र 10 की । पास के कमरे में आवाज़ हुई।वो डर गया । मैं उसके डर को भाँप गया था । उसे ले जा कर पास के कमरे में खड़ा कर दिया , डरता हुआ मेरे पीछे दुबका था मैने दिखाया की हवा से बोर्ड गिरा है । फिर उसे समझाया " देखो डर को मारने का सबसे एक ही तरीका है की।उसका सामना करो । जब तक सामना नही करोगे डर तुम्हे डराएगा । जैसे।की।अभी तुम अगर ना देखते की पास के कमरे में आवाज़ कैसे आई तो तुम समझते कोई था वहाँ तुमने देख लिया तुम्हारा डर भाग गया । डर इसीलिए डराता है क्योंकी।हम उससे डरते हैं जिस दिन डरना छोड़ दें डर हार मान कर डराना छोड़ देगा । "
वो बोला " हाँ सर घर में भी ऐसा होता है । जब कोई आवाज़ आती है मैं डर जाता हूँ पर अब मैं देखूँगा की।आवाज़ कहाँ से आई । मैं सामना करूँगा । "
ये इतनी सी बात पेरे जीवन का आधार है की हम अपनी ज़िंदगी में डर पर किस हद तक जीत पा कर ज़िंदगी को कितना जी सके । अगर आप किसी फैसले को लेने से कुछ बोलने से डर रहे हैं तो उस डर का सामना कर लीजिए वरना सारी उम्र डर आपको डराता रहेगा आप डरते रहेंगे और एक दिन डरते डरते मर जाऐंगे । फैसला आपका है आपको डर के जीना है या डर का सामना कर के बेख़ौफ रहना है ।
धीरज झा
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