एक पिता एक ज़माने में एक पिता था । वो पिता तब पिता नही मेरी तरह ही किसी का बेटा था । ऐसा बेटा जिसने गरीबी देखी , भूख देखी , परेशानियाँ देखीं...
एक पिता
एक ज़माने में एक पिता था । वो पिता तब पिता नही मेरी तरह ही किसी का बेटा था । ऐसा बेटा जिसने गरीबी देखी , भूख देखी , परेशानियाँ देखीं । इन सब ने उसे उदंड बना दिया ऐसा उदंड जो गरीबी में गरीबी को मारना सीख लिया था जिसने भूख पर जीत पा ली थी । पढ़ने की लालसा रखता था पर उस हद तक पढ़ नही पाया जिस हद तक उसका मन था । नौकरी के मौके आए पर नौकरी नही मिल पाई क्योंकी उस पिता के पिता ने पैसे ही नही दिए फार्म भरने के लिए फिस देने के लिए । 13 रूपए के लिए फौज की नौकरी छूट गई । साठ हज़ार के लिए सचिवालय कलर्क की नौकरी ना मिल पाई जबकी उस पिता के पिता दे सकते थे किसी तरह से वो पैसे । शायद किस्मत को मंज़ूर नही था तो नही कर पाए । वो पिता टूट गया खुद को ऐसा बनाया जिसे मान अपमान का फर्क नही पड़ता था । जो अपनी ज़िंदगी से ऊब चुका था जो अब साँसों से खेलता था ।
पर फिर वो पिता बने उसकी आस लौट आई जीने की कुछ अच्छा करने की उसने किया बहुत अच्छा किया अब उसे फर्क पड़ता था ज़िंदगी से । अब उसके निडर मन में डर बसताता था की कहीं उसे कुछ ना हो जिए उसे कुछ हो गया तो उसके बच्चे को कौन देखेगा । वो बेटा अब पिता बन चुका था और पिता के किरदार ने उसे पूरी तरह बदल दिया । वो ज़िंदगी की परेशानियों से लड़ना सीख गया था सिर्फ इसलिए क्यों की वो पिता था । एक पिता नाम ने ही उसे बदल दिया था । शायद उसने पिता होने का मतलब जान लिया था जो उसके पिता कभी नही जान पाए । और उसके बच्चों को भी गर्व है की वो उनके पिता हैं ।
पिता केवल एक रिश्ता या एक नाम नही । पिता होना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है तब से जब आप पिता बनते हैं और तब तक जब आप अपने बच्चे को एक जिम्मेदार इंसान नही बना देते । सिर्फ पैदा कर देने से आप किसी के पिता नही बनते आपको लड़ना पड़ता है खुद से खुद की आदतों से खुद के रवैए से । खुद को बदलना पड़ता है इस लिए की कहीं आपका बच्चा आपकी बुरी आदतें ना सीख ले इसलिए क्योंकी आपको अपने बच्चे को वो सब देना और सिखाना है जो आप नही बन पाए । आप अपनी कमियों को अपने बच्चे में पूरा करते हैं और इसके लिए एक पिता कहाँ कहाँ खुद से हारता है सिर्फ वही जानता है ।
हर पिता को हैपी फादर्स डे और शुभकामनाऐं उन सब बदलाव के लिए जो उन्होने खुद में किए एक पिता बनने के लिए ।
धीरज झा
एक ज़माने में एक पिता था । वो पिता तब पिता नही मेरी तरह ही किसी का बेटा था । ऐसा बेटा जिसने गरीबी देखी , भूख देखी , परेशानियाँ देखीं । इन सब ने उसे उदंड बना दिया ऐसा उदंड जो गरीबी में गरीबी को मारना सीख लिया था जिसने भूख पर जीत पा ली थी । पढ़ने की लालसा रखता था पर उस हद तक पढ़ नही पाया जिस हद तक उसका मन था । नौकरी के मौके आए पर नौकरी नही मिल पाई क्योंकी उस पिता के पिता ने पैसे ही नही दिए फार्म भरने के लिए फिस देने के लिए । 13 रूपए के लिए फौज की नौकरी छूट गई । साठ हज़ार के लिए सचिवालय कलर्क की नौकरी ना मिल पाई जबकी उस पिता के पिता दे सकते थे किसी तरह से वो पैसे । शायद किस्मत को मंज़ूर नही था तो नही कर पाए । वो पिता टूट गया खुद को ऐसा बनाया जिसे मान अपमान का फर्क नही पड़ता था । जो अपनी ज़िंदगी से ऊब चुका था जो अब साँसों से खेलता था ।
पर फिर वो पिता बने उसकी आस लौट आई जीने की कुछ अच्छा करने की उसने किया बहुत अच्छा किया अब उसे फर्क पड़ता था ज़िंदगी से । अब उसके निडर मन में डर बसताता था की कहीं उसे कुछ ना हो जिए उसे कुछ हो गया तो उसके बच्चे को कौन देखेगा । वो बेटा अब पिता बन चुका था और पिता के किरदार ने उसे पूरी तरह बदल दिया । वो ज़िंदगी की परेशानियों से लड़ना सीख गया था सिर्फ इसलिए क्यों की वो पिता था । एक पिता नाम ने ही उसे बदल दिया था । शायद उसने पिता होने का मतलब जान लिया था जो उसके पिता कभी नही जान पाए । और उसके बच्चों को भी गर्व है की वो उनके पिता हैं ।
पिता केवल एक रिश्ता या एक नाम नही । पिता होना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है तब से जब आप पिता बनते हैं और तब तक जब आप अपने बच्चे को एक जिम्मेदार इंसान नही बना देते । सिर्फ पैदा कर देने से आप किसी के पिता नही बनते आपको लड़ना पड़ता है खुद से खुद की आदतों से खुद के रवैए से । खुद को बदलना पड़ता है इस लिए की कहीं आपका बच्चा आपकी बुरी आदतें ना सीख ले इसलिए क्योंकी आपको अपने बच्चे को वो सब देना और सिखाना है जो आप नही बन पाए । आप अपनी कमियों को अपने बच्चे में पूरा करते हैं और इसके लिए एक पिता कहाँ कहाँ खुद से हारता है सिर्फ वही जानता है ।
हर पिता को हैपी फादर्स डे और शुभकामनाऐं उन सब बदलाव के लिए जो उन्होने खुद में किए एक पिता बनने के लिए ।
धीरज झा
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