ख़ैर है ख़ैर है हमने जी लिया था वो बच्चपन अपना ख़ैर है हमारे दिन और रातें मोबाईल को तकते हुए नही कटीं ख़ैर है हमने नहाने के लिए नदी दरिया चु...
ख़ैर है
ख़ैर है हमने जी लिया
था वो बच्चपन अपना
ख़ैर है हमारे दिन और
रातें मोबाईल को तकते
हुए नही कटीं
ख़ैर है हमने नहाने के
लिए नदी दरिया चुना था
ख़ैर है हमने लुका छिपी
का खेल खेल लिया था
ख़ैर है हमने हेडफोन लगा
कर कानों में खो दिया
ना खुद को फिल्मी गानों में
ख़ैर है माँ की लोरियाँ हमे नसीब हुईं
ख़ैर है मोहल्ले के बच्चे अंजान ना थे
ख़ैर है हम बच्चपन से ही
लाईक कमेंट के लिए इतने परेशान ना थे
ख़ैर है हमने बढ़ते ज़माने का आखरी
बच्चपन जी लिया था
कोक पैप्सी की जगह
बंटे वाले सोडे और गन्ने का रस
मन भर पी लिया था
ख़ैर है बच्चपन हमारा हिन्दी
की गोद में गुज़रा
ख़ैर है हमने चैट की जगह
चिट्ठियाँ लिखीं
ख़ैर है हमने प्रोफाईल पिक
लाईक करने की बजाए
जिसे लाईक किया सामने से किया
ख़ैर है हमारे ज़माने में
कोई फ़ेक न था
ख़ैर है हमारे झगड़े
सियासती न थे
ख़ैर है हम मरते बच्चपन
के आखरी गवाह बने
ख़ैर है हम अस्सी से नब्बे
के दशक में जन्मे
धीरज झा
ख़ैर है हमने जी लिया
था वो बच्चपन अपना
ख़ैर है हमारे दिन और
रातें मोबाईल को तकते
हुए नही कटीं
ख़ैर है हमने नहाने के
लिए नदी दरिया चुना था
ख़ैर है हमने लुका छिपी
का खेल खेल लिया था
ख़ैर है हमने हेडफोन लगा
कर कानों में खो दिया
ना खुद को फिल्मी गानों में
ख़ैर है माँ की लोरियाँ हमे नसीब हुईं
ख़ैर है मोहल्ले के बच्चे अंजान ना थे
ख़ैर है हम बच्चपन से ही
लाईक कमेंट के लिए इतने परेशान ना थे
ख़ैर है हमने बढ़ते ज़माने का आखरी
बच्चपन जी लिया था
कोक पैप्सी की जगह
बंटे वाले सोडे और गन्ने का रस
मन भर पी लिया था
ख़ैर है बच्चपन हमारा हिन्दी
की गोद में गुज़रा
ख़ैर है हमने चैट की जगह
चिट्ठियाँ लिखीं
ख़ैर है हमने प्रोफाईल पिक
लाईक करने की बजाए
जिसे लाईक किया सामने से किया
ख़ैर है हमारे ज़माने में
कोई फ़ेक न था
ख़ैर है हमारे झगड़े
सियासती न थे
ख़ैर है हम मरते बच्चपन
के आखरी गवाह बने
ख़ैर है हम अस्सी से नब्बे
के दशक में जन्मे
धीरज झा
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