कल एक कहानी से बहुतों को रुलाया था आज एक पुरानी कहानी से सब को गुदगुदाने की कोशिश कर रहा हूँ । पढ़िएगा शायद आपके अपने शरारती बच्चपन की कुछ ...
कल एक कहानी से बहुतों को रुलाया था आज एक पुरानी कहानी से सब को गुदगुदाने की कोशिश कर रहा हूँ । पढ़िएगा शायद आपके अपने शरारती बच्चपन की कुछ यादें ताज़ा हो जाए ।
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प्रेम भूत
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प्रेम है भई ! उसका क्या भरोसा कब , कहाँ , किसके साथ और किस उम्र में किस उम्र से हो जाये | ये तय होता तो हर कोई अपने लिये हीरो हिरोईनों को ही चुनता | फिर गाँव की गुंजवा , नैनतरवा , खुसिया भी सलमान खान को अपना साझा पति बना लेतीं | और इधर रमेसवा , बेलबा , रकेसबा जैसे भी दिपिका पादूकोन को ललटेन लाईट डिनर के लिये खरिहान में इनभाईट करते , बथुआ के साग , भात आ स्वीट डिश में सूजी हलुआ खिलाने के लिये | पर ऐसा होता नही ना है | प्रेम तो बस हो जाता है |
बरजेस को भी हो गया था प्रेम | पर ये होने से पहले की कहानी भी बड़ी रोचक है | हालांकी प्रेम परवान ना चढ़ सका | एके दिन के डर में प्यार शरीर के उस छुपे हुये हिस्से से निकल कर खेतों की खाद बन गया | जब बरजेस सातवीं क्लास में गया तब उसे पता लगा की प्रेम होता क्या है | इस से पहले आभा मैडम से हुआ था पाँचवीं क्लास में | पर तब पता नही था के ससुरा यही प्रेम है | पता होता तो पकड़ कर बाँध लेते | तब बस अच्छा लगता था आभा मैडम के मुँह से बरजेस नाम को पुकारा जाना | गणित की मैडम थीं | इसलिये पुरा गणित चाट गया था बरजेस | मासिक परिक्षा में सौ में से सौ लाया तो मैडम गाल चूम के साबासी दी | दो दिन तक बेचारा बरजेस मुँह ही नही पोछा | कहता था मैडम का इनाम है धुल जायेगा | पर तीसरे दिन अम्मा पहले बरजेस को धोई फिर उसका गाल से ले कर इहां उहां सब धो दी | पता तो था नही कुछ , बस मैडम जब प्यार से बुलाती तो खूब उछलता | नई जान आ जाती | एक दिन दिनेसबा को मैडम मारी तो दिनेसबा टिपिन में सब लईकन के सामने मैडमिया को लगा गरियाने | अब मैडम का प्रेमी चुप कैसे रहे | बस फिर का था दे धोबी पछाड़ | बहुत मारा बदले में बड़का माट्साहेब से दू बेंतो खाया | पर ई प्रेम का जिनगी जादा दिन नही था | पांचवा के बाद आभा मैडम बियाही गईं | और बरजेसवा को छोड़ पिया घर चली गईं | एगो पेन दीं बरजेस को | ई उस पेन को केतना बरस तक संभाल के रखा | अब छठा बिता सातवाँ आगया | अब बरजेस को लगने लगा के ऊ जवान हो गया है | अपना दोस ललटूआ को देखता के ऊ रजनिआ के प्रेम में पगलाएल रहता है | जोन ससुर कोनो ओकरा खिलाफ या उकरा प्रति प्रेम दिखा के बोल दिया समझो छुट्टी के बाद ओकर धुलाई पक्का है | बरजेस से चिट्ठी लिखवाता | और जब रजनी चिट्ठी फाड़ के फेंक देती तो ललटूआ के बिलुख बिलुख के रोते भी देखता | जमाना एडवांस हो रहा था | प्रेम समय से पहले पैर पसारने लगा था | सब सिनेमा के कमाल था भाई जी | " बस एक सनम चाहिये आशकी के लिये " जैसे गाने की परिभाषा लईकवा सब के दिमाग में पल्थी रोप के बईठ हो | ई सब देख के बरजेस के मन में भी होता , के हे भगवान काश हमरो कोई प्रेमिका होती जिसके खातिर हम भी तड़पते | बस क्या था ! एक दिन भोला बबा लमन पहुच गया | जल ढार के बईठ गया उनके सिरहना में बोला " हे बबा ! रऊआ त सब के सुनते हैं | तनी हमरी भी सुन लीजिये ना | ऐसा प्रेम करवाईये के हमहूं किसी के लिये रोयें किसी का सपना देखें | बड़ा किरपा होगा हे बबा | हर सोमार के जल ढारेंगे | " मासूम था बेचारा |मन से की थी प्रार्थना , कबूल हो गई | अगले ही दिन छुट्टी के समय उसी की क्लास में पढ़ने वाली मंजू उस से टकरा गई और हँस दी | अब दुआ कबूल होनी थी तो बस फिर का था, जो हँसी ऐतना दिन से दिखती ना थी वो एक टकराने में दिखी भी आ दिल पर भी लग गई | अब तो बरजेस घरे आया तो खाना भी न खाया | अम्मा गरिया कर अपना आसिर्बाद बरसाती रही , पर ई मजनूं अपनी लैला के ख़याल से बाहरे नही निकला | अब तो मंजू के ख़याल बरजेस को सोते जागते , घर स्कूल हर जगह आने लगे | कभी कभी तो अपना यार नरेस को गले लगा लिया करता बरजेस | फिर नरेस खिसिया के कहता " अरे हट ना मजनूं के औलाद | पता नही का समझ लिया है हमको , जभे देखो पंजिया लेता है | रे बेटा अभी ई सब करने का दिन नही है | मैडमिया जानी ना त दुईये डंटा में सारा भूत उतार देगी | "
" तो का करें तुम्ही बताओ ? रे नरेस ! तुम्हारे मोहल्ले की है ना मंजू ? " बरजेस को एकाएक याद आया तो खुशी से उछलता हुआ बोला |
" हाँ है तो ! का करें ? " नरेस समझ गया अब ई ससुरा कोनो उटपटांग बात कहेगा पक्का | " तुम्ही कुछ करो ना | "
" अरे लभ तुमको हुआ , करें हम ! वाह ! बहुत अच्छे | "
" साला | यही कहते हैं ! हम तुम्हरे लिये चिट्ट बनायें , तुमको परिक्षा पास करवायें | तुम्हारी मईया के आगे तुम्हरी तारीफ कर के तुमको बाबू के मार से बचायें | और तुम हो के इतने में जय बोल गये | "
" अरे चुपो | जादा इमोसनल नही करो | बोलो करना का है |"
" हमको मालुम था , तुम हमार रक्छा जरूर करोगे | बस तुमको जो कहेंगे ना ऊ जा कर मंजू से कह देना | पर ससुर सुनों सब हमारे नाम से कहना कहीं खुद का चक्कर मत भिड़ा आना | "
" भागो साले यहाँ से , एतने यकीन है तो मते कहो हमको ई काम करने को | " नरेस गुस्सा के बोला
" अरे मजाक कर रहे थे भाई | अब सुनो.....| " बरजेस नें सारी बात समझा दी नरेस को के कहना क्या है | छुट्टी हो गई | दोनों अपने अपने घर चले गये | बरजेस का हाथ अगले दिन स्कूल आने तक सीने पर ही रहा | ना सुध से खाया ना सो पाया | भोला बबा ने फरियाद सुन ली थी शायद | किसी तरह करवटें ले कर भोर हुई | अभी उठ के नहाने जा रहा था के नरेस आ गया | नरेस को एतना भोरे देख कर बरजेस खुस हो गया | समझा आज तो बात पक्का बनी ही समझो | पर नरेस तो एक दम घबराया था | आते ही बोला " मरवा दिये ना ससुरे हमको भी | "
" का हुआ ? बतयेबो करोगे | "
" बतायें का कटहर | गये थे शाम को उसके घर के पास | सामने ही मिल गई अकेली | "
" वाह ! क्या बात है | " पूरी बात सुने बिना बरजेस टुभुक पड़ा |
" का बात है ! पूरा सुनोगे तो नानी अम्मा का भोज उखड़ जायेगा अभिये | " नरेस खिसियाके हुये बोला |
" अच्छा अब ना बोलेंगे | तुम कहो |"
" गये कहे मंजू सुनो एगो बात कहनी थी | मंजू ने कबा कहो | हम कहना सुरू किये | मंजू बरजेस तुमको बहुत चाहता है | न दिन में चैन से खाता है ना रात को भर पेट सोता है | हर बखत तुमको ही याद करता है | ऊ तुमको आई लभ यू कहा है | ऊ सब सुनती रही | फिर बोली तुम सबको जो ई हवा लगा है ना ई कल हम उतारते हैं | पापा को ले कर आयेंगे कल हेडमास्टर साहेब ही जबाब देंगे ई लभ यू का | " इतना सुनते ही बरजेस को लगा जैईसे अंधेरी रात में दस बारह गो कुत्ता घेर लिया हो |
" अब का होगा ? हम नही जायेंगे इस्कूल | "
" अछा आ हम जा के लात खायें अकेले | चलो आ चल के समझाते हैं मंजूआ को |"
" ठीक है आते हैं कपड़ा पहीन | आ सुनों मंजूआ नही भौजी कहो | "
" इहां दान जा रही है तुमको रिस्ता सोझराने का सूझ रहा है | जल्दी चलो | " दोनों जल्दी जल्दी स्कूल पहुंचे | आज तो सबसे पहले स्कूल में वही दोनो पहुंचे थे | गेट के खड़े हो कर उन्होंने सब को बारी बारी देखा अन्दर आते | पीरियड की घन्टी में दो मिनट ही थे पर मंजू अभी तक ना आई | दोनों डर के मारे कंप कंपा रहे थे | अब तो हो गया के वो अपने बाबू को साथ लयेबे करेगी | क्लास के बाकी के दोस्त आते पूछते के यहाँ का कर रहे हो पर अब ये क्या बतायें | तभी दोनों का करेजा मुँह में आने लगा जभी देखे सामने मंजू अपने पपा के साथ चली आ रही है | अब तो वो उसके पपा कम यमराज ज़्यादा दिख रहे थे | ऐसा लग रहा था के हाथ में गदा लिये वो उन्हे स्वर्ग ले जाने उन्ही की तरफ बढ़ रहे हैं | पर वो उनकी तरफ ना आ कर हेड मास्टर के कमरे में घुस गये | जाते हुये मंजू ने दोनों की तरफ ऐसे मुस्कुरा कर देखा मानों कह रही हो " देखो बच्चू अब का हाल होता है तोहार दुनू के | " अब तो दोनों फाँसी की सज़ा भुगत रहे कैदी की तरह घड़ियां गिनने लगे के कब बुलावा आ जाये | बरजेस के बाबू पंडि जी थे बड़ी इज्जत थी | उसको भी स्कूल में सब मैडम बहुत सुध्धा मानती थी | उसे अब मार से ज़्यादा बदनामी का डर सताने लगा | इतनें में मंजू अपने पिता के साथ बाहर आई | ई दोनों बाहर काटल खंसी की तरह टुकुर टुकुर ताक रहे थे | मंजू अपने पापा को उनकी तरफ ही ला रही थी | पास आ कर बोली " पपा ई नरेस आ ई बरजेस है | हमारी ही क्लास में पढ़ते हैं | " उसके पपा बोले " हाँ दोनों के पिता जी को जानते हैं | बहुत अछे लोग हैं तो बच्चे भी अच्छे होंगे | बेटा लोग घरे आना अपनी दुकान का मिठाई खिलायेंगे | " इतना कह कर वो चले गये | दोनों के अचरज का ठिकाना ना रहा | बरहम बबा से देवी माई सबका शुक्रिया कर दिया मन ही मन | मंजू पास आ कर बोली " एमकी छोड़ दिये हैं आगे से अईसा कुछो किये तो पक्का बता देंगे पपा को | फेर त बुझबे करते हो का होगा | अब अपना रोदलू चेहरा सही करो | " मंजू एतना कह कर चली गई | अब दोनों के जान में जान आई | प्रेम का भूत झड़ चुका था बरजेस के मन से | दोनों अपना क्लास में चले गये | अब तो मंजू के साये से भी बरजेस 1०० मीटर दूर रहता ….
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धीरज झा
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प्रेम भूत
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प्रेम है भई ! उसका क्या भरोसा कब , कहाँ , किसके साथ और किस उम्र में किस उम्र से हो जाये | ये तय होता तो हर कोई अपने लिये हीरो हिरोईनों को ही चुनता | फिर गाँव की गुंजवा , नैनतरवा , खुसिया भी सलमान खान को अपना साझा पति बना लेतीं | और इधर रमेसवा , बेलबा , रकेसबा जैसे भी दिपिका पादूकोन को ललटेन लाईट डिनर के लिये खरिहान में इनभाईट करते , बथुआ के साग , भात आ स्वीट डिश में सूजी हलुआ खिलाने के लिये | पर ऐसा होता नही ना है | प्रेम तो बस हो जाता है |
बरजेस को भी हो गया था प्रेम | पर ये होने से पहले की कहानी भी बड़ी रोचक है | हालांकी प्रेम परवान ना चढ़ सका | एके दिन के डर में प्यार शरीर के उस छुपे हुये हिस्से से निकल कर खेतों की खाद बन गया | जब बरजेस सातवीं क्लास में गया तब उसे पता लगा की प्रेम होता क्या है | इस से पहले आभा मैडम से हुआ था पाँचवीं क्लास में | पर तब पता नही था के ससुरा यही प्रेम है | पता होता तो पकड़ कर बाँध लेते | तब बस अच्छा लगता था आभा मैडम के मुँह से बरजेस नाम को पुकारा जाना | गणित की मैडम थीं | इसलिये पुरा गणित चाट गया था बरजेस | मासिक परिक्षा में सौ में से सौ लाया तो मैडम गाल चूम के साबासी दी | दो दिन तक बेचारा बरजेस मुँह ही नही पोछा | कहता था मैडम का इनाम है धुल जायेगा | पर तीसरे दिन अम्मा पहले बरजेस को धोई फिर उसका गाल से ले कर इहां उहां सब धो दी | पता तो था नही कुछ , बस मैडम जब प्यार से बुलाती तो खूब उछलता | नई जान आ जाती | एक दिन दिनेसबा को मैडम मारी तो दिनेसबा टिपिन में सब लईकन के सामने मैडमिया को लगा गरियाने | अब मैडम का प्रेमी चुप कैसे रहे | बस फिर का था दे धोबी पछाड़ | बहुत मारा बदले में बड़का माट्साहेब से दू बेंतो खाया | पर ई प्रेम का जिनगी जादा दिन नही था | पांचवा के बाद आभा मैडम बियाही गईं | और बरजेसवा को छोड़ पिया घर चली गईं | एगो पेन दीं बरजेस को | ई उस पेन को केतना बरस तक संभाल के रखा | अब छठा बिता सातवाँ आगया | अब बरजेस को लगने लगा के ऊ जवान हो गया है | अपना दोस ललटूआ को देखता के ऊ रजनिआ के प्रेम में पगलाएल रहता है | जोन ससुर कोनो ओकरा खिलाफ या उकरा प्रति प्रेम दिखा के बोल दिया समझो छुट्टी के बाद ओकर धुलाई पक्का है | बरजेस से चिट्ठी लिखवाता | और जब रजनी चिट्ठी फाड़ के फेंक देती तो ललटूआ के बिलुख बिलुख के रोते भी देखता | जमाना एडवांस हो रहा था | प्रेम समय से पहले पैर पसारने लगा था | सब सिनेमा के कमाल था भाई जी | " बस एक सनम चाहिये आशकी के लिये " जैसे गाने की परिभाषा लईकवा सब के दिमाग में पल्थी रोप के बईठ हो | ई सब देख के बरजेस के मन में भी होता , के हे भगवान काश हमरो कोई प्रेमिका होती जिसके खातिर हम भी तड़पते | बस क्या था ! एक दिन भोला बबा लमन पहुच गया | जल ढार के बईठ गया उनके सिरहना में बोला " हे बबा ! रऊआ त सब के सुनते हैं | तनी हमरी भी सुन लीजिये ना | ऐसा प्रेम करवाईये के हमहूं किसी के लिये रोयें किसी का सपना देखें | बड़ा किरपा होगा हे बबा | हर सोमार के जल ढारेंगे | " मासूम था बेचारा |मन से की थी प्रार्थना , कबूल हो गई | अगले ही दिन छुट्टी के समय उसी की क्लास में पढ़ने वाली मंजू उस से टकरा गई और हँस दी | अब दुआ कबूल होनी थी तो बस फिर का था, जो हँसी ऐतना दिन से दिखती ना थी वो एक टकराने में दिखी भी आ दिल पर भी लग गई | अब तो बरजेस घरे आया तो खाना भी न खाया | अम्मा गरिया कर अपना आसिर्बाद बरसाती रही , पर ई मजनूं अपनी लैला के ख़याल से बाहरे नही निकला | अब तो मंजू के ख़याल बरजेस को सोते जागते , घर स्कूल हर जगह आने लगे | कभी कभी तो अपना यार नरेस को गले लगा लिया करता बरजेस | फिर नरेस खिसिया के कहता " अरे हट ना मजनूं के औलाद | पता नही का समझ लिया है हमको , जभे देखो पंजिया लेता है | रे बेटा अभी ई सब करने का दिन नही है | मैडमिया जानी ना त दुईये डंटा में सारा भूत उतार देगी | "
" तो का करें तुम्ही बताओ ? रे नरेस ! तुम्हारे मोहल्ले की है ना मंजू ? " बरजेस को एकाएक याद आया तो खुशी से उछलता हुआ बोला |
" हाँ है तो ! का करें ? " नरेस समझ गया अब ई ससुरा कोनो उटपटांग बात कहेगा पक्का | " तुम्ही कुछ करो ना | "
" अरे लभ तुमको हुआ , करें हम ! वाह ! बहुत अच्छे | "
" साला | यही कहते हैं ! हम तुम्हरे लिये चिट्ट बनायें , तुमको परिक्षा पास करवायें | तुम्हारी मईया के आगे तुम्हरी तारीफ कर के तुमको बाबू के मार से बचायें | और तुम हो के इतने में जय बोल गये | "
" अरे चुपो | जादा इमोसनल नही करो | बोलो करना का है |"
" हमको मालुम था , तुम हमार रक्छा जरूर करोगे | बस तुमको जो कहेंगे ना ऊ जा कर मंजू से कह देना | पर ससुर सुनों सब हमारे नाम से कहना कहीं खुद का चक्कर मत भिड़ा आना | "
" भागो साले यहाँ से , एतने यकीन है तो मते कहो हमको ई काम करने को | " नरेस गुस्सा के बोला
" अरे मजाक कर रहे थे भाई | अब सुनो.....| " बरजेस नें सारी बात समझा दी नरेस को के कहना क्या है | छुट्टी हो गई | दोनों अपने अपने घर चले गये | बरजेस का हाथ अगले दिन स्कूल आने तक सीने पर ही रहा | ना सुध से खाया ना सो पाया | भोला बबा ने फरियाद सुन ली थी शायद | किसी तरह करवटें ले कर भोर हुई | अभी उठ के नहाने जा रहा था के नरेस आ गया | नरेस को एतना भोरे देख कर बरजेस खुस हो गया | समझा आज तो बात पक्का बनी ही समझो | पर नरेस तो एक दम घबराया था | आते ही बोला " मरवा दिये ना ससुरे हमको भी | "
" का हुआ ? बतयेबो करोगे | "
" बतायें का कटहर | गये थे शाम को उसके घर के पास | सामने ही मिल गई अकेली | "
" वाह ! क्या बात है | " पूरी बात सुने बिना बरजेस टुभुक पड़ा |
" का बात है ! पूरा सुनोगे तो नानी अम्मा का भोज उखड़ जायेगा अभिये | " नरेस खिसियाके हुये बोला |
" अच्छा अब ना बोलेंगे | तुम कहो |"
" गये कहे मंजू सुनो एगो बात कहनी थी | मंजू ने कबा कहो | हम कहना सुरू किये | मंजू बरजेस तुमको बहुत चाहता है | न दिन में चैन से खाता है ना रात को भर पेट सोता है | हर बखत तुमको ही याद करता है | ऊ तुमको आई लभ यू कहा है | ऊ सब सुनती रही | फिर बोली तुम सबको जो ई हवा लगा है ना ई कल हम उतारते हैं | पापा को ले कर आयेंगे कल हेडमास्टर साहेब ही जबाब देंगे ई लभ यू का | " इतना सुनते ही बरजेस को लगा जैईसे अंधेरी रात में दस बारह गो कुत्ता घेर लिया हो |
" अब का होगा ? हम नही जायेंगे इस्कूल | "
" अछा आ हम जा के लात खायें अकेले | चलो आ चल के समझाते हैं मंजूआ को |"
" ठीक है आते हैं कपड़ा पहीन | आ सुनों मंजूआ नही भौजी कहो | "
" इहां दान जा रही है तुमको रिस्ता सोझराने का सूझ रहा है | जल्दी चलो | " दोनों जल्दी जल्दी स्कूल पहुंचे | आज तो सबसे पहले स्कूल में वही दोनो पहुंचे थे | गेट के खड़े हो कर उन्होंने सब को बारी बारी देखा अन्दर आते | पीरियड की घन्टी में दो मिनट ही थे पर मंजू अभी तक ना आई | दोनों डर के मारे कंप कंपा रहे थे | अब तो हो गया के वो अपने बाबू को साथ लयेबे करेगी | क्लास के बाकी के दोस्त आते पूछते के यहाँ का कर रहे हो पर अब ये क्या बतायें | तभी दोनों का करेजा मुँह में आने लगा जभी देखे सामने मंजू अपने पपा के साथ चली आ रही है | अब तो वो उसके पपा कम यमराज ज़्यादा दिख रहे थे | ऐसा लग रहा था के हाथ में गदा लिये वो उन्हे स्वर्ग ले जाने उन्ही की तरफ बढ़ रहे हैं | पर वो उनकी तरफ ना आ कर हेड मास्टर के कमरे में घुस गये | जाते हुये मंजू ने दोनों की तरफ ऐसे मुस्कुरा कर देखा मानों कह रही हो " देखो बच्चू अब का हाल होता है तोहार दुनू के | " अब तो दोनों फाँसी की सज़ा भुगत रहे कैदी की तरह घड़ियां गिनने लगे के कब बुलावा आ जाये | बरजेस के बाबू पंडि जी थे बड़ी इज्जत थी | उसको भी स्कूल में सब मैडम बहुत सुध्धा मानती थी | उसे अब मार से ज़्यादा बदनामी का डर सताने लगा | इतनें में मंजू अपने पिता के साथ बाहर आई | ई दोनों बाहर काटल खंसी की तरह टुकुर टुकुर ताक रहे थे | मंजू अपने पापा को उनकी तरफ ही ला रही थी | पास आ कर बोली " पपा ई नरेस आ ई बरजेस है | हमारी ही क्लास में पढ़ते हैं | " उसके पपा बोले " हाँ दोनों के पिता जी को जानते हैं | बहुत अछे लोग हैं तो बच्चे भी अच्छे होंगे | बेटा लोग घरे आना अपनी दुकान का मिठाई खिलायेंगे | " इतना कह कर वो चले गये | दोनों के अचरज का ठिकाना ना रहा | बरहम बबा से देवी माई सबका शुक्रिया कर दिया मन ही मन | मंजू पास आ कर बोली " एमकी छोड़ दिये हैं आगे से अईसा कुछो किये तो पक्का बता देंगे पपा को | फेर त बुझबे करते हो का होगा | अब अपना रोदलू चेहरा सही करो | " मंजू एतना कह कर चली गई | अब दोनों के जान में जान आई | प्रेम का भूत झड़ चुका था बरजेस के मन से | दोनों अपना क्लास में चले गये | अब तो मंजू के साये से भी बरजेस 1०० मीटर दूर रहता ….
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धीरज झा
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