मेरा नमन... . धूप में लहू को पसीना बना कर बहाने वालों... मेरा नमन स्वीकार हो... . कारीगर जो फौलाद को पिघलाने वालों... मेरा नमन स्वीकार हो.....
मेरा नमन...
.
धूप में लहू को पसीना बना कर बहाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
कारीगर जो फौलाद को पिघलाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
कड़कती धूप में भी मुझे मंज़िल तक खींच कर पहुंचाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
बोरियों से लदे ठेलों को मेरे लिए चलाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
फाँसियों पर झूल कर...
अपने ग़मों को भूल कर...
बरसती बदरी में जिनके घर बरसते...
फिर भी मेघों को तरसते...
ओ अन्नदाता मेरे घर अन्न बरसाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
मेरे लिये जो घर बनाते...
खुद नीले गगन तले...
तारों की चादर ओढ़ सो जाते...
उन मज़दूरों को...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
धीरज झा...
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धूप में लहू को पसीना बना कर बहाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
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कारीगर जो फौलाद को पिघलाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
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कड़कती धूप में भी मुझे मंज़िल तक खींच कर पहुंचाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
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बोरियों से लदे ठेलों को मेरे लिए चलाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
फाँसियों पर झूल कर...
अपने ग़मों को भूल कर...
बरसती बदरी में जिनके घर बरसते...
फिर भी मेघों को तरसते...
ओ अन्नदाता मेरे घर अन्न बरसाने वालों...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
मेरे लिये जो घर बनाते...
खुद नीले गगन तले...
तारों की चादर ओढ़ सो जाते...
उन मज़दूरों को...
मेरा नमन स्वीकार हो...
.
धीरज झा...
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