इन्हे छोड़ बाकी सब को आज़ादी का दिन मुबारक हो कपड़े मैलो कुचैले... हाथों में गंदे थैले... हो कर के बे फिक्र से... फुटपाथों पे बेसुध हो फैले.....
इन्हे छोड़ बाकी सब को आज़ादी का दिन मुबारक हो
कपड़े मैलो कुचैले...
हाथों में गंदे थैले...
हो कर के बे फिक्र से...
फुटपाथों पे बेसुध हो फैले...
स्टेशन पर भीख मांगे...
टूटी बाहें...
लंगड़ाती टांगें...
गुमशुदा बचपन तलाशे...
होंठ बरसों से प्यासे...
पेट भर खाना ना खाये...
रोता देख बच्चे को...
अन्दर से टूटती बिखरती मायें...
जीने तक की आज़ादी नही है...
देश की बर्बादी यही है...
आधी आबादी यही है...
खैर हमको क्या है लेना...
इसका लेखा किसको देना...
मरते हैं मरते रहें ये...
हमको आज़ादी मिल गई है...
चौक पर झंडा फहराऐ...
फिर खुशी के गीत गाऐ...
दो दो लड्डू सबने खाऐ...
फिर दो दिनों की छुट्टी मनाऐ...
भाड़ में गरीबी जाऐ...
हमको करना क्या...
मिल गई आज़ादी हमको...
.
भारत का एक पहलू जो अभी भी गरीबी , भूख और मामुली ज़रूरतों का गुलाम है उसे छोड़ बाकी सब को देश के 70वें आज़ादी दिवस की शुभकामनाऐं 😊
.
धीरज झा...
कपड़े मैलो कुचैले...
हाथों में गंदे थैले...
हो कर के बे फिक्र से...
फुटपाथों पे बेसुध हो फैले...
स्टेशन पर भीख मांगे...
टूटी बाहें...
लंगड़ाती टांगें...
गुमशुदा बचपन तलाशे...
होंठ बरसों से प्यासे...
पेट भर खाना ना खाये...
रोता देख बच्चे को...
अन्दर से टूटती बिखरती मायें...
जीने तक की आज़ादी नही है...
देश की बर्बादी यही है...
आधी आबादी यही है...
खैर हमको क्या है लेना...
इसका लेखा किसको देना...
मरते हैं मरते रहें ये...
हमको आज़ादी मिल गई है...
चौक पर झंडा फहराऐ...
फिर खुशी के गीत गाऐ...
दो दो लड्डू सबने खाऐ...
फिर दो दिनों की छुट्टी मनाऐ...
भाड़ में गरीबी जाऐ...
हमको करना क्या...
मिल गई आज़ादी हमको...
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भारत का एक पहलू जो अभी भी गरीबी , भूख और मामुली ज़रूरतों का गुलाम है उसे छोड़ बाकी सब को देश के 70वें आज़ादी दिवस की शुभकामनाऐं 😊
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धीरज झा...
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