लाईक कमेंट से इस पोस्ट का कोई लेना देना नही बस एक बार पढ़ें ज़रूर आप सब से कुछ कहना था , कहना तो बस कुछ खास लोगों को चाहता था मगर सामने से क...
लाईक कमेंट से इस पोस्ट का कोई लेना देना नही बस एक बार पढ़ें ज़रूर
आप सब से कुछ कहना था , कहना तो बस कुछ खास लोगों को चाहता था मगर सामने से कह नही सकता कुछ कारणों से इसलिए आप सब को साथ में कह रहा हूँ , घूमते घूमते शायद उन खास लोगों तक पहुँच जाए । तो चलिए अपनी बात शुरू करता हूँ , ज़रा ग़ौर करिएगा ।
हम सब परिवार वाले हैं किसी का बड़ा तो किसी का छोटा परिवार है । परिवार में हर किसी का अपना अपना स्वभाव है किसी का मज़ाकिया तो किसी का गुमसुम सा । मगर एक बात है की परिवार से प्यार हर कोई करता है , इस बात को कोई ज़ाहिर कर पाता है कोई नही । आपके परिवार में कोई ना कोई ऐसा होगा जिसे हमेशा डाँट सुननी पड़ती होगी या उसकी किसी कमज़ोरी पर उसका मज़ाक उड़ाया जाता होगा ये सोच कर आप चुप रह जाते होंगे की ये तो भाई बहन या बहन बहन या भाई भाई का रिश्ता है ऐसा ही होता है इस रिश्ते में । अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं ये बात तब तक लागू होती है जब तक आपके बच्चे छोटे हैं । जब वो बड़े होते हैं तो उन्हे अपना हर बार उड़ाया हुआ मज़ाक हर बार बेवजह पड़ी डाँट अंदर ही अंदर तोड़ने लगती है । आप नही जानते आपका बढ़ता हुआ बच्चा भाई या बहन इस वक्त किस दौर से गुज़र रहे हैं । उसकी मायूसी को समझें , उससे प्यार से बात कर के पूछें की वो ठीक तो है , उसकी मदद करें और नही कर सकते तो उसका मज़ाक भी मत बनाऐं ।
ये मत भूलें की आपकी लगातार डाँट और उड़ाए मज़ाक उसमें अकेलेपन का वो अहसास भर देंगे जो उसे धीरे धीरे अन्दर ही अन्दर खत्म करता चला जाऐगा । और हो सकता है वो खुद को मिटाने की भी ठान ले । कहीं उसने ये कर लिया तो ज़िंदगी भर आप सोचते रह जाऐंगे की आखिर उसने ऐसा क्यों किया उसे कमी क्या थी ? और आपको पता भी नही चलेगा की उसकी इस हालत की वजह आप ही हैं । कोई किसी सपने के पीछे भागता हुआ उदास है , कोई बेरोज़गारी का मारा हुआ उदास है , किसी की आदतें उसे उदास कर देती हैं , किसी को आपका बेवजह डाँटना उसे उदास कर देता है । ऐसे ही तरह तरह की उदासी आपके किसी अपने को धीरे धीरे अकेला कर देगी और अकेला पर धीरे धीरे उसे ख़त्म करने लगेगा । मेरी बात पर ग़ौर करिए और सोचिए की क्या आपके परिवार में भी ऐसा कोई है , अगर है तो उसे समझिए । दुनिया में आए दिन आत्महत्याऐं होती हैं उनमें से आधा से ज़्यादा लोग इन्ही कारणों से आत्महत्या करते हैं । अकेलेपन का दीमक कितने भी मजबूत आदमी की हिम्मत को खोखला कर सकता है । बड़ी बातों की शुरुआत हमेशा छोटी ही होती है । हो सके तो बात छोटी हो तब ही उसे मिटा दें बड़ा होने ही ना दें और आस पास किसी अपने को अकेला महसूस ना करने दें ।
धीरज झा
आप सब से कुछ कहना था , कहना तो बस कुछ खास लोगों को चाहता था मगर सामने से कह नही सकता कुछ कारणों से इसलिए आप सब को साथ में कह रहा हूँ , घूमते घूमते शायद उन खास लोगों तक पहुँच जाए । तो चलिए अपनी बात शुरू करता हूँ , ज़रा ग़ौर करिएगा ।
हम सब परिवार वाले हैं किसी का बड़ा तो किसी का छोटा परिवार है । परिवार में हर किसी का अपना अपना स्वभाव है किसी का मज़ाकिया तो किसी का गुमसुम सा । मगर एक बात है की परिवार से प्यार हर कोई करता है , इस बात को कोई ज़ाहिर कर पाता है कोई नही । आपके परिवार में कोई ना कोई ऐसा होगा जिसे हमेशा डाँट सुननी पड़ती होगी या उसकी किसी कमज़ोरी पर उसका मज़ाक उड़ाया जाता होगा ये सोच कर आप चुप रह जाते होंगे की ये तो भाई बहन या बहन बहन या भाई भाई का रिश्ता है ऐसा ही होता है इस रिश्ते में । अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं ये बात तब तक लागू होती है जब तक आपके बच्चे छोटे हैं । जब वो बड़े होते हैं तो उन्हे अपना हर बार उड़ाया हुआ मज़ाक हर बार बेवजह पड़ी डाँट अंदर ही अंदर तोड़ने लगती है । आप नही जानते आपका बढ़ता हुआ बच्चा भाई या बहन इस वक्त किस दौर से गुज़र रहे हैं । उसकी मायूसी को समझें , उससे प्यार से बात कर के पूछें की वो ठीक तो है , उसकी मदद करें और नही कर सकते तो उसका मज़ाक भी मत बनाऐं ।
ये मत भूलें की आपकी लगातार डाँट और उड़ाए मज़ाक उसमें अकेलेपन का वो अहसास भर देंगे जो उसे धीरे धीरे अन्दर ही अन्दर खत्म करता चला जाऐगा । और हो सकता है वो खुद को मिटाने की भी ठान ले । कहीं उसने ये कर लिया तो ज़िंदगी भर आप सोचते रह जाऐंगे की आखिर उसने ऐसा क्यों किया उसे कमी क्या थी ? और आपको पता भी नही चलेगा की उसकी इस हालत की वजह आप ही हैं । कोई किसी सपने के पीछे भागता हुआ उदास है , कोई बेरोज़गारी का मारा हुआ उदास है , किसी की आदतें उसे उदास कर देती हैं , किसी को आपका बेवजह डाँटना उसे उदास कर देता है । ऐसे ही तरह तरह की उदासी आपके किसी अपने को धीरे धीरे अकेला कर देगी और अकेला पर धीरे धीरे उसे ख़त्म करने लगेगा । मेरी बात पर ग़ौर करिए और सोचिए की क्या आपके परिवार में भी ऐसा कोई है , अगर है तो उसे समझिए । दुनिया में आए दिन आत्महत्याऐं होती हैं उनमें से आधा से ज़्यादा लोग इन्ही कारणों से आत्महत्या करते हैं । अकेलेपन का दीमक कितने भी मजबूत आदमी की हिम्मत को खोखला कर सकता है । बड़ी बातों की शुरुआत हमेशा छोटी ही होती है । हो सके तो बात छोटी हो तब ही उसे मिटा दें बड़ा होने ही ना दें और आस पास किसी अपने को अकेला महसूस ना करने दें ।
धीरज झा
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