एक जानवर सब में है सब्जी खाते हैं ना ? नमक धनिया हल्दी मसाले और इन सब के बाद मिर्च भी डाली जाती है । ज़रा सोचिए मिर्च की जगह सब्जी में चीन...
एक जानवर सब में है
सब्जी खाते हैं ना ? नमक धनिया हल्दी मसाले और इन सब के बाद मिर्च भी डाली जाती है । ज़रा सोचिए मिर्च की जगह सब्जी में चीनी डाल दें तो कैसा लगेगा और अगर मिर्ची ही ज़रूरत से ज़्यादा डाल दें तो क्या आप उसे चाव से खा पाऐंगे क्या सब्जी जो वास्तव में होती है वैसी हो पाएगी ? बिल्कुल भी नही तो मिर्च का होना बहुत ज़रूरी है क्योंकी नमक मिर्च ही सब्जी को सब्जी बनाते हैं बस ध्यान रहे।की ये सही मात्रा में हो ।
सब्जी में जैसे मिर्च है वैसे ही हर इंसान के अन्दर भी एक जानवार है वो जानवर ही इंसान को इंसान बनाता है अगर जानवर ना हो तो वो इंसान नही देवता या गंधर्व बन जाएगा जिनका धरती पर कोई वजूद सामने से नही दिखता ना हमने उन्हे कभी देखा है । हाँ पर एक इंसान को असल इंसान ये बात बनाती है की वो अपने अन्दर के जानवर को किस हद तक दबा पाता है । किस हद तक उस जानवर को शाँन्त रख पाता है ।
बुराई हम सब में है चाहे वो काम की हो लोभ की हो या मोह की हो । ये आपको भी पता है की आपमें भी एक हैवान मौजूद है । मगर यदि आप अच्छाई को बढ़ावा दे रहे हो तो आप उस हैवान को खुद पर हावी नही होने दोगे । खुद से ज़्यादा खुद को किसने जाना है । आपमें कई ऐसी कमियाँ हैं जो कई बार आपको शर्मिंदा कर देती हैं खुद की ही नज़रों में क्योंकी उन कमियों को उन बुराईयों को आपके सिवा किसी ने नही देखा क्योंकी आपने हमेशा उन्हे दबा कर रखा तो मेरे दोस्त आपको अपनी बुराई पर शर्मिंदा होने की ज़रूरत नही क्योंकी ये सब में मौजूद है । आपको तो ये सोच कर खुद पर गर्व होना चाहिए की आप अपने अन्दर के जानवर पर काबू करने में कामयाब रहे ।
एक संत भी संत तब ही बन पाता है जब वो खुद के अन्दर के हैवान को अपने वश में कर लेता है । और दूसरी तरफ अगर उस हैवान का वजूद आपमें ज़रा सा भी नही होगा तब तक आप इस जीवन की मुश्किलों का सामना नही कर सकते । बुरे तो हम सब हैं पर बात ये मायने रखती है हमने अपनी बुराई पर किस हद तक जीत पाई ।
धीरज झा
सब्जी खाते हैं ना ? नमक धनिया हल्दी मसाले और इन सब के बाद मिर्च भी डाली जाती है । ज़रा सोचिए मिर्च की जगह सब्जी में चीनी डाल दें तो कैसा लगेगा और अगर मिर्ची ही ज़रूरत से ज़्यादा डाल दें तो क्या आप उसे चाव से खा पाऐंगे क्या सब्जी जो वास्तव में होती है वैसी हो पाएगी ? बिल्कुल भी नही तो मिर्च का होना बहुत ज़रूरी है क्योंकी नमक मिर्च ही सब्जी को सब्जी बनाते हैं बस ध्यान रहे।की ये सही मात्रा में हो ।
सब्जी में जैसे मिर्च है वैसे ही हर इंसान के अन्दर भी एक जानवार है वो जानवर ही इंसान को इंसान बनाता है अगर जानवर ना हो तो वो इंसान नही देवता या गंधर्व बन जाएगा जिनका धरती पर कोई वजूद सामने से नही दिखता ना हमने उन्हे कभी देखा है । हाँ पर एक इंसान को असल इंसान ये बात बनाती है की वो अपने अन्दर के जानवर को किस हद तक दबा पाता है । किस हद तक उस जानवर को शाँन्त रख पाता है ।
बुराई हम सब में है चाहे वो काम की हो लोभ की हो या मोह की हो । ये आपको भी पता है की आपमें भी एक हैवान मौजूद है । मगर यदि आप अच्छाई को बढ़ावा दे रहे हो तो आप उस हैवान को खुद पर हावी नही होने दोगे । खुद से ज़्यादा खुद को किसने जाना है । आपमें कई ऐसी कमियाँ हैं जो कई बार आपको शर्मिंदा कर देती हैं खुद की ही नज़रों में क्योंकी उन कमियों को उन बुराईयों को आपके सिवा किसी ने नही देखा क्योंकी आपने हमेशा उन्हे दबा कर रखा तो मेरे दोस्त आपको अपनी बुराई पर शर्मिंदा होने की ज़रूरत नही क्योंकी ये सब में मौजूद है । आपको तो ये सोच कर खुद पर गर्व होना चाहिए की आप अपने अन्दर के जानवर पर काबू करने में कामयाब रहे ।
एक संत भी संत तब ही बन पाता है जब वो खुद के अन्दर के हैवान को अपने वश में कर लेता है । और दूसरी तरफ अगर उस हैवान का वजूद आपमें ज़रा सा भी नही होगा तब तक आप इस जीवन की मुश्किलों का सामना नही कर सकते । बुरे तो हम सब हैं पर बात ये मायने रखती है हमने अपनी बुराई पर किस हद तक जीत पाई ।
धीरज झा
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