भाई केवल कहानी ही है पाकिस्तान कसम भरतनारायण के बेटा मुंदी लाल, पाकिब्दुला के बेटा नव्जू, आ अमरिगो भिलिअम्स के बेटा ओबू तीनूं आपस में गली नु...
भाई केवल कहानी ही है पाकिस्तान कसम
भरतनारायण के बेटा मुंदी लाल, पाकिब्दुला के बेटा नव्जू, आ अमरिगो भिलिअम्स के बेटा ओबू तीनूं आपस में गली नुकड़ के दोस्त लोग के तरह थे । ओबूआ बहुते अमीर था मुंदिया खाते पीते मध्यवर्गीय परिवार ( जो समस्याओं से ठेलम ठेल करता रहता है पर फिर भी खुद को कोनो ससुरा से कम नहीं समझता, मगर सुख सुविधा आ पुराने महलिया जईसन किले वाले घर के साथ समाज में अच्छा पूछ था ई सब का ) का लड़का था , और नब्जूआ ससुरा था इन सबसे गरीब कभी मुंदीआ के ददा पडददा दे दिए थे एक ज़मीन का टुकड़ा जेकरा ऊपर ई सब एक छोटा सा मकान बनाया था मुंदिया के पुराने किलेनुमा घर के बगले में लेकिन अब ई ससुरा नव्जुआ मुंदीआ के महलिया को अपनी झोंपड़ी बला घर के आगे कुछो नहीं समझता था, रोज रोज नब्जूआ मुंदीआ के घर पर पत्थर फेंकता आ बदला में मुंदिया खूब खरी खोटी सुनाता, ई लड़ाई पुश्तों से चली आ रही थी ।
मुंदिया जब थोडा छोटा था तब कहता था “ हमहूँ जब बड़ा हो जाएगा न त नव्जूआ के घर के आग से फूंक देगा” । बखत के साथ मुंदिया बड़का हो गया, बड़का होए के साथे पूरे घर आ बड़का परिवार के जिम्मेदारी भी उकरे कन्धा पर आ गया । मगर नव्जूआ लईका के लईके रह गया आ ओकरा साथे उकरा छोटका घर में जानवरों की तरह रह रहा पूरे परिवार के सोच भी नव्जूबे की तरह ही छोटा था । उमरिया तो बढ़ गई पर साली सोच लोथ लांगड हो कर वहीं की वहीँ बैठी रही नब्जुआ की । लेकिन लईका में मुंदीया बहुते ओभर बोल जाता था आ मुंदिया के घर के लोक ओकर ई बात याद किये हुआ था । अब जब जब नवजुआ पत्थर मरता त मुंदिया के घर वाला मुंदिया को ताना मरता की पाहिले त बड़ा गर्मी दिखाते थे अब जब मुखिया बन गए घर के त का हो गया जी कहवाँ गया ऊ गुस्सा ?
नवजुआ ओबुआ से उधारी मांग मांग कर अपना घर चलता आ घर के साथ साथ मुंदिया से उलझने का जुगाड़ो मांगिए क करता । एक दिन का हुआ नवजुआ जोर से ईगो ढेला चलाया आ ढेला जा के मुंदिया के घर के एगो लईका को लग गया आ उकेरे साथे साथे नवजुआ 10 15 ढेला औउर फेंका जेकरा चलते मुंदिया के घर के कएगो लोग का कापर फूट गया पूरा आँगन खून से लापा लप था । मुंदिया को सब लोग कोसने लगा की ऊ नवजुआ को गरिया क कहे छोड़ देता है । पर मुंदिया त ठहरा मुखिया तत्काले कईसे गुस्सा जाए । मुंदिया के परिवार में जो ओकरा के पसंद नहीं थे करते ऊ सब को मौका मिल गया मुंदिया को कोसने का । खूब कोसे ई कह के की पहिले त बड़ा बोलते थे अब का हुआ । मुंदिया सब सुनता रहा चुप चाप । घटना के केतना दिन बीत गया आ इस बीच में खली ई फैसला लिया मुंदिया की अब ऊ लोग को अपना पुर्वारी चंपाकल से पानी नहीं भरने देंगे । पर मुंदिया आलोचक अभियो खुस नहीं था ।
एक दिन अचानक से नवजुआ बाप बाप चिलाते भाग रहा था आ मुंदिया अपना भाई सब संघे ओकरा पीछे पीछे लाठी ले के दौड़ रहा था । फेर पकड़ के नवजुआ को बड़ी लतियान लतियाया गया आ ओबुआ ई सब देख के मुस्कुरा रहा था जैसे मने मने कह रहा हो औरो मार सार के । जब नवजुआ अध्मुआ हो गया त मुंदिया उसको ई कह के छोड़ दिया की बेटा एमकी त खली मरे हैं अगर अभियो न सुधरा त देख लेना घर दुआर छीन के रोड पर बैठा देंगे । चुप रहते हैं तो ई न बूझो की कुछो करिए नहीं सकते । करने पर आए त साला घर में घुस के सबे को खूब लातिआयेंगे आ घर से निकल देंगे ।
नवजुआ बडबडाता रहा पड़ा पड़ा । मुंदिया जनता है की नब्जुआ कुत्ता है आ सब जनबे करता है की “जात सुभाव न छूटे कुत्ता टांग उठा के मुते” मगर अब इतना तय है की नव्जुआ अगर अब कुछो ऐसा किया त एमकी बहुत भयंकर लत खायेगा । बाकि सुख सांति बहुते जरुरी है मगर कोनो घर म,ए घुसपैठ करे त ओकर इलाज त लाठिए है ।
धीरज झा
भरतनारायण के बेटा मुंदी लाल, पाकिब्दुला के बेटा नव्जू, आ अमरिगो भिलिअम्स के बेटा ओबू तीनूं आपस में गली नुकड़ के दोस्त लोग के तरह थे । ओबूआ बहुते अमीर था मुंदिया खाते पीते मध्यवर्गीय परिवार ( जो समस्याओं से ठेलम ठेल करता रहता है पर फिर भी खुद को कोनो ससुरा से कम नहीं समझता, मगर सुख सुविधा आ पुराने महलिया जईसन किले वाले घर के साथ समाज में अच्छा पूछ था ई सब का ) का लड़का था , और नब्जूआ ससुरा था इन सबसे गरीब कभी मुंदीआ के ददा पडददा दे दिए थे एक ज़मीन का टुकड़ा जेकरा ऊपर ई सब एक छोटा सा मकान बनाया था मुंदिया के पुराने किलेनुमा घर के बगले में लेकिन अब ई ससुरा नव्जुआ मुंदीआ के महलिया को अपनी झोंपड़ी बला घर के आगे कुछो नहीं समझता था, रोज रोज नब्जूआ मुंदीआ के घर पर पत्थर फेंकता आ बदला में मुंदिया खूब खरी खोटी सुनाता, ई लड़ाई पुश्तों से चली आ रही थी ।
मुंदिया जब थोडा छोटा था तब कहता था “ हमहूँ जब बड़ा हो जाएगा न त नव्जूआ के घर के आग से फूंक देगा” । बखत के साथ मुंदिया बड़का हो गया, बड़का होए के साथे पूरे घर आ बड़का परिवार के जिम्मेदारी भी उकरे कन्धा पर आ गया । मगर नव्जूआ लईका के लईके रह गया आ ओकरा साथे उकरा छोटका घर में जानवरों की तरह रह रहा पूरे परिवार के सोच भी नव्जूबे की तरह ही छोटा था । उमरिया तो बढ़ गई पर साली सोच लोथ लांगड हो कर वहीं की वहीँ बैठी रही नब्जुआ की । लेकिन लईका में मुंदीया बहुते ओभर बोल जाता था आ मुंदिया के घर के लोक ओकर ई बात याद किये हुआ था । अब जब जब नवजुआ पत्थर मरता त मुंदिया के घर वाला मुंदिया को ताना मरता की पाहिले त बड़ा गर्मी दिखाते थे अब जब मुखिया बन गए घर के त का हो गया जी कहवाँ गया ऊ गुस्सा ?
नवजुआ ओबुआ से उधारी मांग मांग कर अपना घर चलता आ घर के साथ साथ मुंदिया से उलझने का जुगाड़ो मांगिए क करता । एक दिन का हुआ नवजुआ जोर से ईगो ढेला चलाया आ ढेला जा के मुंदिया के घर के एगो लईका को लग गया आ उकेरे साथे साथे नवजुआ 10 15 ढेला औउर फेंका जेकरा चलते मुंदिया के घर के कएगो लोग का कापर फूट गया पूरा आँगन खून से लापा लप था । मुंदिया को सब लोग कोसने लगा की ऊ नवजुआ को गरिया क कहे छोड़ देता है । पर मुंदिया त ठहरा मुखिया तत्काले कईसे गुस्सा जाए । मुंदिया के परिवार में जो ओकरा के पसंद नहीं थे करते ऊ सब को मौका मिल गया मुंदिया को कोसने का । खूब कोसे ई कह के की पहिले त बड़ा बोलते थे अब का हुआ । मुंदिया सब सुनता रहा चुप चाप । घटना के केतना दिन बीत गया आ इस बीच में खली ई फैसला लिया मुंदिया की अब ऊ लोग को अपना पुर्वारी चंपाकल से पानी नहीं भरने देंगे । पर मुंदिया आलोचक अभियो खुस नहीं था ।
एक दिन अचानक से नवजुआ बाप बाप चिलाते भाग रहा था आ मुंदिया अपना भाई सब संघे ओकरा पीछे पीछे लाठी ले के दौड़ रहा था । फेर पकड़ के नवजुआ को बड़ी लतियान लतियाया गया आ ओबुआ ई सब देख के मुस्कुरा रहा था जैसे मने मने कह रहा हो औरो मार सार के । जब नवजुआ अध्मुआ हो गया त मुंदिया उसको ई कह के छोड़ दिया की बेटा एमकी त खली मरे हैं अगर अभियो न सुधरा त देख लेना घर दुआर छीन के रोड पर बैठा देंगे । चुप रहते हैं तो ई न बूझो की कुछो करिए नहीं सकते । करने पर आए त साला घर में घुस के सबे को खूब लातिआयेंगे आ घर से निकल देंगे ।
नवजुआ बडबडाता रहा पड़ा पड़ा । मुंदिया जनता है की नब्जुआ कुत्ता है आ सब जनबे करता है की “जात सुभाव न छूटे कुत्ता टांग उठा के मुते” मगर अब इतना तय है की नव्जुआ अगर अब कुछो ऐसा किया त एमकी बहुत भयंकर लत खायेगा । बाकि सुख सांति बहुते जरुरी है मगर कोनो घर म,ए घुसपैठ करे त ओकर इलाज त लाठिए है ।
धीरज झा
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