मुबारक हो छोटे भाई “ जान ले लूँगा तेरी, मार मार के हालत ख़राब कर दूंगा’ ” मैंने पुरे गुस्से में अपने 6 साल छोटे भाई से कहा । “ है हिम्मत तो...
मुबारक हो छोटे भाई
“ जान ले लूँगा तेरी, मार मार के हालत ख़राब कर दूंगा’ ” मैंने पुरे गुस्से में अपने 6 साल छोटे भाई से कहा ।
“ है हिम्मत तो ले न जान मेरी, खुद बीमारी से उठा है चला तो ठीक से जाता नहीं है, जान लेगा मेरी” निक्कू ने मेरे गुस्से को और तेज़ करते हुए कहा मुंह बना कर । जब इन्सान की कमजोरी उसे दिखा दी जाये न तो वही कमजोरी उसे चिढाने लगती है उसे गुस्सा दिलाती है क्योंकी वो सच होता है और सच से कड़वा तो ज़हर भी न हो शायद । बस उसी सच को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसे साइन पर न चाहते हुए भी आधे ज़ोर से दो तीन मुक्के दे मारे ।
हम अपने भाई बहनों पर पूरा जोर छह कर भी इस्तेमाल नहीं कर सकते चाहे गुस्सा कितना भी क्यों न आया हो । उस वक़्त तो वैसे भी वक़्त अपने सबसे वक्ट से गुज़र रहा था पर शायद आज का दिन उन बुरे दिनों से भी ज़्यादा बुरा था । मुक्के पड़ते ही निक्कू अपना सीना पकड़ के बैठ गया । वैसे लड़के में हिम्मत बहुत है पर वो उस वक़्त बुखार में था इस लिए शायद उसका शरीर वो मार सह नहीं पाया । उसे उस तरह छटपटाते देख कर मेरा गुस्सा दर और फ़िक्र में बदल गया ।
कुछ देर उसे वैसे ही देखता रहा फिर पीठ सहलाने लगा उठाने लगा पर लड़के में अकड़ ढेर थी मुझे हटा दिया खुद वह से चला गया । इसमें हमेशा से एक बात खास रही है वो ये की हम भले ही दोस्तों की तरह हैं हम भले ही आवारा कुत्तों की तरह लड़े मेरे दोनों छोटे भाइयों ने मुझे भले ही कभी भईया कह कर न बुलाया हो मगर इस लड़के में खास बात ये थी की इसने कभी मुझपे हाथ नहीं उठाया कभी बचाव में भी नहीं चाहे कितना भी मर लूँ ।
वो चला गया मैं अपने किए पर खड़ा शर्मिंदा होता रहा । पता नहीं क्यों हर इन्सान में ये गन्दी आदत होती है की वो बुरा करने के बाद ही क्यों पछताता है । उससे पहले उसे क्यों बुरे की समझ नहीं आती । पर खैर कम से कम मुझे बाद में तो अहसास हुआ कईयों को तो अहसास ही नही होता ।
वो दिन तो बीत गया, दूध के उबाल की तरह झगड़ा भी।शांत हो कर बैठ गया । मगर अगले दिन बुरी किस्मत कहें या इस लड़के का नसीब इसकी ऐसी हालत हुई की इसे सांस ही नही आ रहा था । अपने शहर के डाक्टर के के पास ले गए उसने हाथ खड़े कर दिए भई हमसे नही होगा । सन्नी भाई की गाड़ी उठाई हम लोग निक्कू को ले कर जलन्धर निकल गए वहाँ के एक बड़े हाॅस्पिटल में दिखाया उन्होने तुरन्त एडमिट कर लिया । उसके बाद जो सब इस बच्चे को झेलना पड़ा वो हम जानते हैं । आई सी यू से वेंटिलेटर तक का मुँह देखा इस बच्चे ने मगर मजाल है आँसू का एक कतरा इसकी आँख में तैरा हो । मैं ठहरा भावुक बंदा, इससे जब भी आई सी यू में मिलने जाता तो रोआंसु सा हो जाता । जब दो बार गया तो तीसरी बार इसने छोटे भाई से कहा के " यार धीरज को मत भेजा करो मिलने एक तो दस मिनट पूरे दिन में मिलने देते हैं वो दस में पाँच मिनट रोने में बिता देता है । " मुझे हंसी आई अगली बार मैं जब गया तो इधर उधर की बातें करने लगा हँसाने की कोशिश करने लगा मगर आँसू कहाँ मानते हैं ये भी गांव की सभ्याचारी औरतों की तरह होते हैं भले ही दहलीज़ ना लांघें पर दरवाज़े के किनारे पर खड़े हो कर बाहर झांक ही लेते हैं । मैं।उन्हे छुपाने की नाकाम कोशिश कर ही रहा था की निक्कू बोला " तुझसे नही होगा रो ले । " उसकी मासूमियत से बोली इस बात पर मुस्कुराहट छूट गई चेहरे पर ।
इन सब के बीच मैं खुदें घुटा जा रहा था ये सोच कर की मेरी वजह से ही वो यहाँ तक पहुँचा है । महादेव की कृपा हुई जैसे तैसे भाई फिर से पैरों पर खड़ा हो गया और पहले की तरह तंदरूस्त भी । मालिक इसे खूब स्वास्थ रखें मगर वो मुक्का आज भी मुझे कोसता है जब भी।याद आता है तो लगता है गलती मेरी थी । बस इसी उम्मीद में हूँ की उसी गलती के बदले कुछ बहुत अच्छा कर पाऊँ इसके लिए ।
घर का सबसे छोटा है । सबसे लाडला है और सबसे लतखोर भी । इसका काम बस मज़ाक करना बात को दिल पर ना लेना और मस्त रहना है । पापा को हर बात में टोकता था और खूब बातें सुनता था मगर जब कुछ महीने चुप रहा तब अहसास हुआ इसका टोकना इसका पागलों की तरह बोलना ही पूरे घर को खिलखिलाने की वजह देता है ।
आज हमारे छोटे नबाब का जन्मदिन है । एक हिम्मती हंसमुख और मस्तमौला भाई । जिसके बड़े से शरीर के हर कोने में हम लोगों के लिए अथाह प्रेम बसता है । और इसमें हमारी जान बसती है । जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं मेरे भाई । किस्मत बुलंद हो, कामयाबी कदम चूमे तेरे तेरा हर सपना सच की ज़मीन पर उतर कर हकीकत हो जाए । खूब सारी दुआऐं मेरे भाई हमेशा ऐसे ही रहना क्योंकी तू हमें इसी रूप में प्यारा है ।
लव यू सो मच छोटे भाई
धीरज झा

“ जान ले लूँगा तेरी, मार मार के हालत ख़राब कर दूंगा’ ” मैंने पुरे गुस्से में अपने 6 साल छोटे भाई से कहा ।
“ है हिम्मत तो ले न जान मेरी, खुद बीमारी से उठा है चला तो ठीक से जाता नहीं है, जान लेगा मेरी” निक्कू ने मेरे गुस्से को और तेज़ करते हुए कहा मुंह बना कर । जब इन्सान की कमजोरी उसे दिखा दी जाये न तो वही कमजोरी उसे चिढाने लगती है उसे गुस्सा दिलाती है क्योंकी वो सच होता है और सच से कड़वा तो ज़हर भी न हो शायद । बस उसी सच को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसे साइन पर न चाहते हुए भी आधे ज़ोर से दो तीन मुक्के दे मारे ।
हम अपने भाई बहनों पर पूरा जोर छह कर भी इस्तेमाल नहीं कर सकते चाहे गुस्सा कितना भी क्यों न आया हो । उस वक़्त तो वैसे भी वक़्त अपने सबसे वक्ट से गुज़र रहा था पर शायद आज का दिन उन बुरे दिनों से भी ज़्यादा बुरा था । मुक्के पड़ते ही निक्कू अपना सीना पकड़ के बैठ गया । वैसे लड़के में हिम्मत बहुत है पर वो उस वक़्त बुखार में था इस लिए शायद उसका शरीर वो मार सह नहीं पाया । उसे उस तरह छटपटाते देख कर मेरा गुस्सा दर और फ़िक्र में बदल गया ।
कुछ देर उसे वैसे ही देखता रहा फिर पीठ सहलाने लगा उठाने लगा पर लड़के में अकड़ ढेर थी मुझे हटा दिया खुद वह से चला गया । इसमें हमेशा से एक बात खास रही है वो ये की हम भले ही दोस्तों की तरह हैं हम भले ही आवारा कुत्तों की तरह लड़े मेरे दोनों छोटे भाइयों ने मुझे भले ही कभी भईया कह कर न बुलाया हो मगर इस लड़के में खास बात ये थी की इसने कभी मुझपे हाथ नहीं उठाया कभी बचाव में भी नहीं चाहे कितना भी मर लूँ ।
वो चला गया मैं अपने किए पर खड़ा शर्मिंदा होता रहा । पता नहीं क्यों हर इन्सान में ये गन्दी आदत होती है की वो बुरा करने के बाद ही क्यों पछताता है । उससे पहले उसे क्यों बुरे की समझ नहीं आती । पर खैर कम से कम मुझे बाद में तो अहसास हुआ कईयों को तो अहसास ही नही होता ।
वो दिन तो बीत गया, दूध के उबाल की तरह झगड़ा भी।शांत हो कर बैठ गया । मगर अगले दिन बुरी किस्मत कहें या इस लड़के का नसीब इसकी ऐसी हालत हुई की इसे सांस ही नही आ रहा था । अपने शहर के डाक्टर के के पास ले गए उसने हाथ खड़े कर दिए भई हमसे नही होगा । सन्नी भाई की गाड़ी उठाई हम लोग निक्कू को ले कर जलन्धर निकल गए वहाँ के एक बड़े हाॅस्पिटल में दिखाया उन्होने तुरन्त एडमिट कर लिया । उसके बाद जो सब इस बच्चे को झेलना पड़ा वो हम जानते हैं । आई सी यू से वेंटिलेटर तक का मुँह देखा इस बच्चे ने मगर मजाल है आँसू का एक कतरा इसकी आँख में तैरा हो । मैं ठहरा भावुक बंदा, इससे जब भी आई सी यू में मिलने जाता तो रोआंसु सा हो जाता । जब दो बार गया तो तीसरी बार इसने छोटे भाई से कहा के " यार धीरज को मत भेजा करो मिलने एक तो दस मिनट पूरे दिन में मिलने देते हैं वो दस में पाँच मिनट रोने में बिता देता है । " मुझे हंसी आई अगली बार मैं जब गया तो इधर उधर की बातें करने लगा हँसाने की कोशिश करने लगा मगर आँसू कहाँ मानते हैं ये भी गांव की सभ्याचारी औरतों की तरह होते हैं भले ही दहलीज़ ना लांघें पर दरवाज़े के किनारे पर खड़े हो कर बाहर झांक ही लेते हैं । मैं।उन्हे छुपाने की नाकाम कोशिश कर ही रहा था की निक्कू बोला " तुझसे नही होगा रो ले । " उसकी मासूमियत से बोली इस बात पर मुस्कुराहट छूट गई चेहरे पर ।
इन सब के बीच मैं खुदें घुटा जा रहा था ये सोच कर की मेरी वजह से ही वो यहाँ तक पहुँचा है । महादेव की कृपा हुई जैसे तैसे भाई फिर से पैरों पर खड़ा हो गया और पहले की तरह तंदरूस्त भी । मालिक इसे खूब स्वास्थ रखें मगर वो मुक्का आज भी मुझे कोसता है जब भी।याद आता है तो लगता है गलती मेरी थी । बस इसी उम्मीद में हूँ की उसी गलती के बदले कुछ बहुत अच्छा कर पाऊँ इसके लिए ।
घर का सबसे छोटा है । सबसे लाडला है और सबसे लतखोर भी । इसका काम बस मज़ाक करना बात को दिल पर ना लेना और मस्त रहना है । पापा को हर बात में टोकता था और खूब बातें सुनता था मगर जब कुछ महीने चुप रहा तब अहसास हुआ इसका टोकना इसका पागलों की तरह बोलना ही पूरे घर को खिलखिलाने की वजह देता है ।
आज हमारे छोटे नबाब का जन्मदिन है । एक हिम्मती हंसमुख और मस्तमौला भाई । जिसके बड़े से शरीर के हर कोने में हम लोगों के लिए अथाह प्रेम बसता है । और इसमें हमारी जान बसती है । जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं मेरे भाई । किस्मत बुलंद हो, कामयाबी कदम चूमे तेरे तेरा हर सपना सच की ज़मीन पर उतर कर हकीकत हो जाए । खूब सारी दुआऐं मेरे भाई हमेशा ऐसे ही रहना क्योंकी तू हमें इसी रूप में प्यारा है ।
लव यू सो मच छोटे भाई
धीरज झा

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