धनतेरस है कुछ ख़रीदा जाए मगर कुछ खरीदने को पैसे कहाँ से लायें जो था वो तो चला गया किश्तों और उधारी में बचा खुचा लगा दिया मुन्ना की बीमारी म...
धनतेरस है कुछ ख़रीदा जाए
मगर कुछ खरीदने को पैसे कहाँ से लायें
जो था वो तो चला गया
किश्तों और उधारी में
बचा खुचा लगा दिया
मुन्ना की बीमारी में
तनख्वाह भी इस महीने लेट है
खुशियों के वेलकम के लिए
बंद हर गेट है
बाज़ार निकला तो गाड़ियों से उतारते अमीर देखे
हाथों में कीमती तोहफे के बाक्स रंगीन देखे
मैं तरस कर एक चम्मच ही ले आया
इस साल फिर से धनतेरस ने
धन के लिए बहुत तरसाया
धीरज झा
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