बात दिल की...बस ऐसे ही... :) मै आऊंगा एक दिन... मीलों का सफर तय कर के... धड़कते दिल को कलेजे में मुश्किल से संभालते हुये चढूंगा मैं अपनी बो...
बात दिल की...बस ऐसे ही... :)
मै आऊंगा एक दिन...
मीलों का सफर तय कर के...
धड़कते दिल को कलेजे में
मुश्किल से संभालते हुये
चढूंगा मैं अपनी बोगी की
पायदानों पर..
ये सफर होगा नया सा बिल्कुल
उन तमाम सफरों से अलग
जो मैने किये होंगे पहले इस से
जा बैठूंगा अपनी सीट पर
याद करूंगा उन सपनों को
जो सजाये थे इस दिन के लिये...
आज मै कुछ सौ कि.मी ही दूर हूं
उन सपनों से , गाड़ी कब पंजाब
की ठाठ को छोड़ , हरियाणा के
ग़रूर से होते हुये दिल्ली की
दिलेरी में कदम थाम कर यू.पी
की नवाबी में कदम रखेगी मुझे
इसका अहसास तक ना होगा...
उन सपनों में खोये हुये…
इधर तुम व्यस्त रहोगी
अपने वो कपड़े चुनने में
जो पहन कर आओगी तुम मिलने
मुझको , फिर बनाने लगोगी कुछ
गुलाबजामुन , कुछ बेसन के लड्डू
जिनकी महक को मैं जाते हुये साथ ले जाऊंगा
जब आयेगा शहर तुम्हारा
कदम रखूंगा उस धरती पर
दिल धड़केगा पूरे वेग से
क्या होगा क्या होगा ये सोच कर
कर के बहाना तुम घर से निकल आओगी
मिलने मुझसे , करोगी बार बार फोन
कहाँ हो कहाँ हो पुछोगी कांपती आवाज़
धड़कते दिल के साथ
फिर वो घड़ी आयेगी जिसका
इतना लम्बा इंतज़ार किया...
सामने तुम और मै रहेंगे एक दूजे के
होंठों पर मुस्कान आँखों में खुशी
के आँसू लिये , मैं बढ़ा कर कदम
थाम लूंगा बाहों में तुम्हे...
चूम लूंगा मै माथा तुम्हारा
करेंगे बहुत सी बातें
फिर लेंगे विदा जब कहोगी घर को
देर हो रही है मुझे...
नम आंखों से लेकर विदा
लौट आऊंगा एक नई
कहानी लेकर मै...
तब सोचोगी , कैसे चला आया
मै तुम से सिर्फ कुछ पल मिलने
तुमसे इतनी दूर से...
फिर हंसोगी और धीरे से कहोगी...
यही तो प्यार है...
हाँ जो हमने किया
यही तो प्यार है...
.
धीरज झा...
मै आऊंगा एक दिन...
मीलों का सफर तय कर के...
धड़कते दिल को कलेजे में
मुश्किल से संभालते हुये
चढूंगा मैं अपनी बोगी की
पायदानों पर..
ये सफर होगा नया सा बिल्कुल
उन तमाम सफरों से अलग
जो मैने किये होंगे पहले इस से
जा बैठूंगा अपनी सीट पर
याद करूंगा उन सपनों को
जो सजाये थे इस दिन के लिये...
आज मै कुछ सौ कि.मी ही दूर हूं
उन सपनों से , गाड़ी कब पंजाब
की ठाठ को छोड़ , हरियाणा के
ग़रूर से होते हुये दिल्ली की
दिलेरी में कदम थाम कर यू.पी
की नवाबी में कदम रखेगी मुझे
इसका अहसास तक ना होगा...
उन सपनों में खोये हुये…
इधर तुम व्यस्त रहोगी
अपने वो कपड़े चुनने में
जो पहन कर आओगी तुम मिलने
मुझको , फिर बनाने लगोगी कुछ
गुलाबजामुन , कुछ बेसन के लड्डू
जिनकी महक को मैं जाते हुये साथ ले जाऊंगा
जब आयेगा शहर तुम्हारा
कदम रखूंगा उस धरती पर
दिल धड़केगा पूरे वेग से
क्या होगा क्या होगा ये सोच कर
कर के बहाना तुम घर से निकल आओगी
मिलने मुझसे , करोगी बार बार फोन
कहाँ हो कहाँ हो पुछोगी कांपती आवाज़
धड़कते दिल के साथ
फिर वो घड़ी आयेगी जिसका
इतना लम्बा इंतज़ार किया...
सामने तुम और मै रहेंगे एक दूजे के
होंठों पर मुस्कान आँखों में खुशी
के आँसू लिये , मैं बढ़ा कर कदम
थाम लूंगा बाहों में तुम्हे...
चूम लूंगा मै माथा तुम्हारा
करेंगे बहुत सी बातें
फिर लेंगे विदा जब कहोगी घर को
देर हो रही है मुझे...
नम आंखों से लेकर विदा
लौट आऊंगा एक नई
कहानी लेकर मै...
तब सोचोगी , कैसे चला आया
मै तुम से सिर्फ कुछ पल मिलने
तुमसे इतनी दूर से...
फिर हंसोगी और धीरे से कहोगी...
यही तो प्यार है...
हाँ जो हमने किया
यही तो प्यार है...
.
धीरज झा...
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