अपनी चीखों को दबा लो टूटती सांसों को थम जाने दो बनता जिस्म गर लाश इस ज़िंदगी से अच्छा है लाश ही बन जाने दो किसे फर्क पड़ता है तुम मरे या...
अपनी चीखों को दबा लो
टूटती सांसों को थम जाने दो
बनता जिस्म गर लाश
इस ज़िंदगी से अच्छा है
लाश ही बन जाने दो
किसे फर्क पड़ता है
तुम मरे या जिए
बोझ हो चुके हो
अब बोझ को कम जाने दो
मेरी बातें चुभती हैं
तो क्या मैं करूँ
सच बोलूँ ना तो चुप भी कैसे रहूँ
हर रोज़ मर रहे हैं लोग
हर जगह लाशों के ढेर हैं
हो जाती है मुर्दों पर भी सियासत
गुलिस्ताँ को शमशान बनने में
अब कहाँ ज़्यादा देर है
जो ज़िंदा हैं वो भी नोचे जा रहे हैं
जिनसे थी उम्मीद
वो बस सोचे जा रहे हैं
गिद्ध बड़े आराम से
ज़िंदों को ही दबोचे जा रहे हैं
ऐसे में जी कर भी क्या कर सकोगे
डरते हो तुम, लड़ भी तो ना सकोगे
इससे अच्छा है रूहें बन कर तमाशा देखें
जैसे ज़िंदा लोग सेक रहे हैं आँखें
हम भी रूहें बन कर चिताऐं जलती देखें
धीरज झा
टूटती सांसों को थम जाने दो
बनता जिस्म गर लाश
इस ज़िंदगी से अच्छा है
लाश ही बन जाने दो
किसे फर्क पड़ता है
तुम मरे या जिए
बोझ हो चुके हो
अब बोझ को कम जाने दो
मेरी बातें चुभती हैं
तो क्या मैं करूँ
सच बोलूँ ना तो चुप भी कैसे रहूँ
हर रोज़ मर रहे हैं लोग
हर जगह लाशों के ढेर हैं
हो जाती है मुर्दों पर भी सियासत
गुलिस्ताँ को शमशान बनने में
अब कहाँ ज़्यादा देर है
जो ज़िंदा हैं वो भी नोचे जा रहे हैं
जिनसे थी उम्मीद
वो बस सोचे जा रहे हैं
गिद्ध बड़े आराम से
ज़िंदों को ही दबोचे जा रहे हैं
ऐसे में जी कर भी क्या कर सकोगे
डरते हो तुम, लड़ भी तो ना सकोगे
इससे अच्छा है रूहें बन कर तमाशा देखें
जैसे ज़िंदा लोग सेक रहे हैं आँखें
हम भी रूहें बन कर चिताऐं जलती देखें
धीरज झा
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