😢 सुख और दुःख तो एक सिक्के के दो पहलुओं के समान हैं इनका आना जाना तो जीवन में लगा रहता है मगर जब खुशियाँ एक दम से एक ही दिन में किसी से एकद...
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सुख और दुःख तो एक सिक्के के दो पहलुओं के समान हैं इनका आना जाना तो जीवन में लगा रहता है मगर जब खुशियाँ एक दम से एक ही दिन में किसी से एकदम किनारा कर लें तब इंसान अपने उस दुःख और दर्द को बयान करने की हालत में भी नही रहता । ज़रा सोचिए एक 39 साल के सी आई एस एफ के कमानडेंट घर से खुशी खुशी अपनी प्रमोश्नल ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद ये सोच कर जाते हैं कि जल्द ही वो ट्रेनिंग कर के घर लौटेंगे और अपनी दो बेटियों और अपनी पत्नी के साथ समय बिता कर ढेर सारी खुशियाँ बांटेंगे । इधर पत्नी और बच्चियाँ भी उनके जाने के दिन से ही इंतज़ार में बैठी हैं कि कब वो आएं और हम खुशियों से चहक उठें मगर 24 नवंबर को वो हुता है जिसकी कल्पना भी नही की गई थी । एक पिता एक पति एक बेटा एक भाई अचानक से हम सबको छोड़ कर चला जाता है, अच्नक से खुशियाँ एक पल में मुंह मोड़ लेती हैं, ये सब अचानक से ही हो जाता है ।
हम सब तो हमेशा अपनी ज़िंदगी के लिए अच्छे और चमकते रंगों की उम्मीद ही करते हैं मगर किसको क्या पता कि समय अपने आंचल में ज़िंदगी का कौन सा रंग समेटे बैठा है । हमारी बड़ी बहन जया सिंह के सामने भी वही हुआ जिस डर को सोचने तक से इंसान डरता है वह डर हकीकत का रूप ले कर उनके सामने आ खड़ा होगया । उनके पति महेंद्र सिंह जी ट्रेनिंग के लिए जब निकले तो एक हल्की सी खांसी के साथ चक्कर खा कर गिर पड़े, जब डाक्टर के पास ले जाया गया तो डाॅक्टर ने ये कह दिया "अब नही रहे" । ये "अब नही रहे" उस इंसान से जुड़े।उसके अपनों को एक पल में ही अन्दर ही अन्दर कितने टुकड़ों में तोड़ देता है यह शायद वही महसूस कर सकता है जिसने इस दुःख को सहा है ।
मुझे अच्छे से पता है अचानक से किसी का चले जाना कैसा होता है । पहले रोते हैं बाहर से चिल्ला चिल्ला कर इस उम्मीद में कि शायद वो जाने वाला लौट आए और फिर अचानक से खामोश हो जाते हैं और उस खामोशी में जब मन शोर करता अन्दर ही अन्दर तब वो उठ रही तड़प बर्दाश्त के बाहर होती है । आँसू भी साथ छोड़ जाते हैं ये कह कर कि तुम्हारे लिए हम अपनी कितनी कुर्बानी दें । लोग दुःख में चुप हो जाते हैं मगर मैं दुःख में लिखता हूँ चुप रहूँगा तो घुट कर दम तोड़ दूँगा ।
मुझे जया दीदी के बारे में नही पता था आज सुबह ही शौर्य भाई ने बताया की जया दीदी उनकी बड़ी बहन हैं और उनके साथ ये दुखद घटना घटी है । मैं तब से उनके बारे में सोच रहा था महसूस कर रहा हूँ उनके दर्द उनकी बेचैनी को मेरे सामने उन दो बच्चियों (आशू और पीहू) का अक्स घूम रहा है जिन्हे शायद ये समझ भी ना हो की आखिर हुआ क्या है शायद वो अब भी इसी उम्मीद में हों कि पापा आऐंगे ।
ना जाने नियती ऐसे खेल क्यों खेलती है इसी क्यों के जवाब में हम जैसे अभी तक भटक रहे हैं पर असलियत यही है कि हम कुछ नही कर सकते सिवाए दुःखी होने के । ईश्वर से प्रार्थना है कि वो जया दीदी को इस वज्रपात को सहने कि शक्ति दें क्योंकि अब उनका बच्चों के प्रति दायित्व दोगुना हो गया है उन्हे ही अब माँ और पिता बन कर बच्चों को संभालना है । भगवान महेन्द्र सिंह जी की मृतात्मा को मोक्ष प्रदान करें 😢😢😢😢
शौर्य भाई हिम्मत रखिएगा दीदी को संभालिएगा । जानता हूँ ये ऐसा घाव है जो भर नही सकता मगर उन्हे तो संभलना ही होगा जिसकी ज़िम्मेदारी आप पर ही है । हम सब आपके और दीदी के साथ हैं ।
धीरज झा
सुख और दुःख तो एक सिक्के के दो पहलुओं के समान हैं इनका आना जाना तो जीवन में लगा रहता है मगर जब खुशियाँ एक दम से एक ही दिन में किसी से एकदम किनारा कर लें तब इंसान अपने उस दुःख और दर्द को बयान करने की हालत में भी नही रहता । ज़रा सोचिए एक 39 साल के सी आई एस एफ के कमानडेंट घर से खुशी खुशी अपनी प्रमोश्नल ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद ये सोच कर जाते हैं कि जल्द ही वो ट्रेनिंग कर के घर लौटेंगे और अपनी दो बेटियों और अपनी पत्नी के साथ समय बिता कर ढेर सारी खुशियाँ बांटेंगे । इधर पत्नी और बच्चियाँ भी उनके जाने के दिन से ही इंतज़ार में बैठी हैं कि कब वो आएं और हम खुशियों से चहक उठें मगर 24 नवंबर को वो हुता है जिसकी कल्पना भी नही की गई थी । एक पिता एक पति एक बेटा एक भाई अचानक से हम सबको छोड़ कर चला जाता है, अच्नक से खुशियाँ एक पल में मुंह मोड़ लेती हैं, ये सब अचानक से ही हो जाता है ।
हम सब तो हमेशा अपनी ज़िंदगी के लिए अच्छे और चमकते रंगों की उम्मीद ही करते हैं मगर किसको क्या पता कि समय अपने आंचल में ज़िंदगी का कौन सा रंग समेटे बैठा है । हमारी बड़ी बहन जया सिंह के सामने भी वही हुआ जिस डर को सोचने तक से इंसान डरता है वह डर हकीकत का रूप ले कर उनके सामने आ खड़ा होगया । उनके पति महेंद्र सिंह जी ट्रेनिंग के लिए जब निकले तो एक हल्की सी खांसी के साथ चक्कर खा कर गिर पड़े, जब डाक्टर के पास ले जाया गया तो डाॅक्टर ने ये कह दिया "अब नही रहे" । ये "अब नही रहे" उस इंसान से जुड़े।उसके अपनों को एक पल में ही अन्दर ही अन्दर कितने टुकड़ों में तोड़ देता है यह शायद वही महसूस कर सकता है जिसने इस दुःख को सहा है ।
मुझे अच्छे से पता है अचानक से किसी का चले जाना कैसा होता है । पहले रोते हैं बाहर से चिल्ला चिल्ला कर इस उम्मीद में कि शायद वो जाने वाला लौट आए और फिर अचानक से खामोश हो जाते हैं और उस खामोशी में जब मन शोर करता अन्दर ही अन्दर तब वो उठ रही तड़प बर्दाश्त के बाहर होती है । आँसू भी साथ छोड़ जाते हैं ये कह कर कि तुम्हारे लिए हम अपनी कितनी कुर्बानी दें । लोग दुःख में चुप हो जाते हैं मगर मैं दुःख में लिखता हूँ चुप रहूँगा तो घुट कर दम तोड़ दूँगा ।
मुझे जया दीदी के बारे में नही पता था आज सुबह ही शौर्य भाई ने बताया की जया दीदी उनकी बड़ी बहन हैं और उनके साथ ये दुखद घटना घटी है । मैं तब से उनके बारे में सोच रहा था महसूस कर रहा हूँ उनके दर्द उनकी बेचैनी को मेरे सामने उन दो बच्चियों (आशू और पीहू) का अक्स घूम रहा है जिन्हे शायद ये समझ भी ना हो की आखिर हुआ क्या है शायद वो अब भी इसी उम्मीद में हों कि पापा आऐंगे ।
ना जाने नियती ऐसे खेल क्यों खेलती है इसी क्यों के जवाब में हम जैसे अभी तक भटक रहे हैं पर असलियत यही है कि हम कुछ नही कर सकते सिवाए दुःखी होने के । ईश्वर से प्रार्थना है कि वो जया दीदी को इस वज्रपात को सहने कि शक्ति दें क्योंकि अब उनका बच्चों के प्रति दायित्व दोगुना हो गया है उन्हे ही अब माँ और पिता बन कर बच्चों को संभालना है । भगवान महेन्द्र सिंह जी की मृतात्मा को मोक्ष प्रदान करें 😢😢😢😢
शौर्य भाई हिम्मत रखिएगा दीदी को संभालिएगा । जानता हूँ ये ऐसा घाव है जो भर नही सकता मगर उन्हे तो संभलना ही होगा जिसकी ज़िम्मेदारी आप पर ही है । हम सब आपके और दीदी के साथ हैं ।
धीरज झा
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