. " ऐ भाई ! ई डेट का होता है हो ? " बिरेसबा हड़बडयायले आया और आते ही सबसे पहिले ई हे सबाल चला के मारा | ललन बेचारा डेरा गया | इध...
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" ऐ भाई ! ई डेट का होता है हो ? " बिरेसबा हड़बडयायले आया और आते ही सबसे पहिले ई हे सबाल चला के मारा | ललन बेचारा डेरा गया | इधर नदी में ढेला फेंका उधर से बिरेसबा के सवाल आ के कनपट्टी पर लगा | बिरेसबा भौंचकिया गया सोचने लगा भई ई का हो गया नदी में ढेला फेंकने का एतना जोर अबाज | तनिका देर बाद बुझाया अरे ससुर ई त बिरेसबा है | ललन पढ़ा था थोड़ा बहुत आ लालू देबता की दया से दिल्ली पंजाब फैट्रिक में कमा के आया था | तो अपना साथ के लौंडवा सब में उसको बहुत इज्जत सम्मान मिलता था |
" ई का पूछ रहे हो रे ! तुमको कोन डेट पर बुला लिया ? "
" अरे भईया ! का बताये फेसबुकवा पर ऐक ठो छऊँड़ी दोस्त बन गई | अब हम ठहरे दसमा फेल हमको का पता ई सब होता का है | कल कही कल की ऐ बिरेस हमको तोहरे संग डेट पर जाना है ले चलोगे ना | हम तो ससुरा सुनते डेरा गये | हमको का पता ई डेट का है | हम को तो पता है डेट के मतबल तारीख होता है और तारीख पर तो लोग कोरट कचहरी में जाते हैं | पर ऊ ससुरी हमको...... | " बिरोसबा नानइस्टोप बोले जा रहा था | आधा बात ऊ मुँह में रखे रजनीगंधा के पीक के साथ घोंट गया आधा उसकी हड़बड़ाहट में ललन को समझ ही नही आया | समझ पाया तो बस ये के लौंडे को इसक हो रहा है |
" सुनो बे ! डेट मने होता है मिलना | देहात में हम मिलते हैं सहर में लौंडा लौंडिया डेट पर जाते हैं | ललन अपने आपको ज्ञानी बताते हुये ज्ञान बघारने लगा |
" तो का होता है इस डेट में | कछु खास है का |"
" अरे ना रे गोबर ! कुछो खास नॉय है | बस एक ठो होटल में गये जाते एगो गुलाब दे देना | फेर खाना वाना खा के मस्त एक दम बतिया उतिया के चले आना | "
" बस हो गया | एतने के लिये एतना भारी नाम कोनो जरूरी था का | भईया पक्का आऊरू कुछो नही होता ना ? " बिरेसबा थोड़ा कनफ्यूजिया रहा था |
" अरे ना रे कुछो खास नही | हाँ बात बन जाये त चुम्मा ले लेना | " ललनबा दाँत निपोरते हुये बोला |
" हाई दादा ! चुम्मो मिलेगा | " मन में लड्डू फूटा वाली बात हो गई बिरेसबा के साथ |
" हँ त आऊरो का माँग लेना | गाल त लाल होईये जायेगा | चुम्मा से चाहे लप्पड़ से | " ललनबा खूब जोर से हँसने लगा |
" ऐ भईया डराओ नही हमको नही जाना डेट फेट पर | "
" रे मजाक किये हैं | घबराता काहे है | बेफिकिर हो के जा | " हिम्मत बढ़ाते हुये ललन बिरेस को बोला |
" ठीक है भईया हम कहेंगे की हँ हम चलेंगे तोहरा साथे डेट पर | "
" साबास मेरे सेर | " ललन मने मन अपना बुद्धिमता पर अगरा रहा था | के ऊ केतना जानकार है |
" भईया आप केतना जनकार हैं | अगला बेर आपको ही मुखिया बनायेंगे | पक्का कहते हैं चाहे बुथ ना छापना पड़े | " बिरेसबा नतमस्तक हो गया बुद्धिमान ललन के आगे |
ललन मुस्कुरा रहा था |
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धीरज झा...
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