बात 1951-52 के आस पास की है जब बिहार के एक गाँव में शाम के वक्त गाँव के शांत वातावरण को अशांति का चोला पहनती हुई लाल बत्तीयों की आवाज़ गूंज...
बात 1951-52 के आस पास की है जब बिहार के एक गाँव में शाम के वक्त गाँव के शांत वातावरण को अशांति का चोला पहनती हुई लाल बत्तीयों की आवाज़ गूंजी । पूरे गाँव में हडकंप मच गया, भारत को आजाद हुए अभी कुछ साल ही बीते थे इसी लिए अंग्रेज अभी तक भारतवासियों के दिमाग में ही घूमते थे । सबने सोचा भाई ये कौन आए शाम के वक्त अंग्रेजों वाली गाड़ीयों में । गाड़ीयों का काफिला जा कर महादेव सहाय जी के दरवाज़े पर रुका । महादेव सहाय जी उस वक़्त बहार ही ख़त पर बैठे थे । उम्र बुढ़ापे की दहलीज़ भी पार करने वाली थी ऊपर से दिनकर बाबा भी सोने की तयारी में पूरी दुनिया की बत्तियां बुझा कर अपने पश्चिम वाले घर को बढ़ रहे थे ।
डिबिया लालटेन जल चूका था अब इस उम्र में ऊपर से अँधेरा पहचानना मुश्किल हो गया के आखिर कौन आया मगर जैसे ही कार का दरवाज़ा खुला और अन्दर से भरी मूंछों के साथ रौबदार चेहरे वाला वो शख्स बहार निकला सहाय जी के आंगन में अपनेपन की महक खिल उठी । उस शख्स के निकलते ही फौजियों जैसे दिखने वाले हथियार बंद लोगों ने उन्हें घेर लिया । उस शख्स ने सभी को विश्राम का इशारा करते हुए सही जी की तरफ कदम बढाए और उनके पास जा कर पैर छू लिए । सहाय जी पिता थे कितनी भी उम्र हो जाती भला बेटे की महक और उसकी छुं कैसे न पहचानते ।
सहाय जी ने उस शख्स को आशीर्वाद देते हुए कहा “राजेंदर किसान हो बबुआ ?” वो शख्स थे स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी । हाल चल पूछने बताने के बाद उनके पिता ने कहा “ए राजेंदर ई सुखड़िया जाने केम्हार हेड़ा गईल । साँझ हो गईल बा तुही तनी माल जाल के दालान में बांध दा ।” सहाय जी ने ये क्या कह दिया था भारत के राष्ट्रपति को बैल बैंस बंधने के लिए कह दिया । इतना सुनते ही सरे कमांडर दौड़े बैल बंधने को पर राजेन्द्र बाबू ने सबको रोक दिया और खुद जा कर माल जाल को दलान में बांधा । सब बड़े अचरज से देख रहे थे राजेन्द्र बाबू को तब राजेन्द्र बाबु ने कहा “मैं देश का राष्ट्रपति बाद में हूँ इस घर का बीटा और इनकी संतान पहले हूँ यहाँ मुझ पर आज भी इनका उतना ही और वैसा ही हक़ है जैसे बचपन में था ।”
ये थे हमारे भारत के प्रथम राष्ट्रपति जिनकी सादगी की आज भी मिसालें दी जाती हैं । ये है मेरे बिहार का मेरे देश का संस्कार । मैं बचपन से कहता आ रहा हूँ हाँ मैं उसी बिहार का हूँ जिसने भारत देश को उसका पहला राष्ट्रपति दिया था और ऐसा राष्ट्रपति जो पहली और आखरी बार लगातार दो बार राष्ट्रपति चुने गए ।
आज डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती है हम उनकी जयंती पर उन्हें बारंबार नमन करते हैं ।
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