बीते दिनों बासमती चावल वाली खिचड़ी खाई मैंने जो बिरयानी पुलाव की तरह स्वाद देती है तो कभी अपने असली पनिया खिंचड़ी के रूप में आ जाती है जिसे ...
बीते दिनों बासमती चावल वाली
खिचड़ी खाई मैंने
जो बिरयानी पुलाव की तरह
स्वाद देती है तो कभी
अपने असली पनिया खिंचड़ी
के रूप में आ जाती है
जिसे निगलते हुए
देते हैं हज़ार गालियाँ
उस गरीबी को जिसने
खिचड़ी का आविष्कार किया
सही शब्दों में कहूँ तो
पिछले दिनों असली ज़िंदगी जी है
जिसमें हर रंग था
जिसमें रातों का जागना भी था
लगातार सरपट भागना भी था
जिसमें भूखे दिन बिताना भी था
जिसमें रातों को बेहतरीन खाना भी था
जिसमें ज़मीन पर काटी रात भी थी
जिसमें नर्म बिस्तर और नवाबों वाली बात भी थी
जिसमें हमने कैमरे के पीछे की असलीयत भी देखी
जिसमें गाँव के लोगों की बदहाली थी
जिसमें आलीशान महलों की हर रोज़ दिवाली थी
जिस में बस ट्रेन के धक्के भी थे
जिसमें ठिठुरती रातें भी थीं
इन दिनों मैं अपनी हकीकत से बहुत दूर था
चाह कर भी बहुत कुछ ना लिख पाने पर मजबूर था
हाँ जो सबसे अच्छा रहा वो कुछ
नायाब नगीनों से मिलना रहा
पर जो भी था
मैने ज़िंदगी जी है इन दिनों
धीरज झा
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