(क्या कोई भईया हैं जिनका विवाह के बाद ऐसा साहसिक प्रदर्शन रहा हो) ना जाने लोग क्यों शादी से डरते हैं इतने प्यारे जीवन को लेकर क्यों डरावनी ब...
(क्या कोई भईया हैं जिनका विवाह के बाद ऐसा साहसिक प्रदर्शन रहा हो)
ना जाने लोग क्यों शादी से डरते हैं
इतने प्यारे जीवन को लेकर क्यों डरावनी बातें करते हैं
सब दोस्त साले झूठ कहते थे
शादी के नाम पर बस यूँ ही डराते रहते थे
इतनी भी बड़ी कोई तोप तो नहीं
भाई शादी ही तो है
कोई सजा ए मौत तो नहीं
निभाने का तरीका आना चाहिए
फिर घर स्वर्ग हो जाता है
इतनी प्यारी सी धर्मपत्नी में
ना जाने लोगो को कैसे यमराज नज़र आता है
हम भी तो शादी शुदा हैं
बस अपनी मर्ज़ी करते हैं
ना जाने क्यों लोग शादी करने से डरते हैं
अरे भई कुछ समझौते ही तो करने होते हैं
इसमें तुम्हारा भला क्या जाता है
पिटता वही है जो बात बात
पर श्रीमती को गुस्सा दिलाता है
मगर हम तो शांतिप्रिय लोग हैं
लड़ाई झगड़ों से दूर रहते हैं
वो जो भी बोले हम तो बस
हांजी हांजी कहते हैं
रात भर तो सोते ही हैं टांगें पसार कर
क्या हुआ जो जल्दी जाग कर
मन समझाना पड़ता है
इसमें काहे की शर्म अगर
सबको चाय पिला कर
नाश्ता बनाना पड़ता है
बच्चे मेरे भी तो हैं
क्या हुआ जो उन्हें नहला दिया
इसमें कोई गरज नहीं अगर
आफिस जाने से पहले
घर में झाड़ू पोंछा लगा दिया
शाम को आफिस से आते ही
जब वो मुस्कुरा कर कहती है
“चाय के साथ पकौड़ियाँ भी बना लो ना”
तब उसके कहे लफ़्ज़ों से हम भी मुंह मोड़ा नहीं करते हैं
कितने हक़ से कहती है फिर
हम भी फिर उनका दिल नहीं तोडा करते हैं
ना जाने क्यों लोग शादी करने से डरते हैं
अरे भाई पत्नी ही है रात के खाने में
हाथ बटा दिया तो क्या बुरा किया
हमने जब तक पकाई दाल रोटी
तब तक बेचारी ने कुछ दो चार
धारावाहिकों को निपटा दिया तो क्या बुरा किया
अब वो भी तो इन्सान है कितना करेगी
थक जाती है दिनभर में
अब भला बर्तन कैसे मलेगी
दो चार ही तो होते हैं
हम भी चुप चाप धो लेते हैं
फिर आराम से उसके पास जा बैठा करते हैं
उसके नाज़ुक पैरों को हौले से ऐंठा करते हैं
ना जाने लोग क्यों शादी करने से डरते हैं
अब छुट्टी के दिन भी तो बोर ही तो होते हैं
क्या बुरा है इसमें अगर चार कपड़े धो लेते हैं
सासू माँ में माँ दिखती है
ससुर में पिता जी दिखाई पड़ते हैं
ना जाने क्यों लोग शादी करने से डरते हैं
खर्च हमारा है ही कितना
क्यों पैसा अपने पास रखें
क्या हरज है धर्मपत्नी ही
घर का सारा हिसाब रखे
ऐसा भी नहीं कि हम उनसे डरते हैं
बस शुरू से जो माँ बाप ने जो सिखाया
वही मान कर देवी जी की इज्ज़त करते हैं
ना जाने लोग क्यों शादी करने से डरते हैं
नोट – ये बस हास्य के लिए था कोई पीड़ित भाई इसे दिल पर ना ले
ना जाने लोग क्यों शादी से डरते हैं
इतने प्यारे जीवन को लेकर क्यों डरावनी बातें करते हैं
सब दोस्त साले झूठ कहते थे
शादी के नाम पर बस यूँ ही डराते रहते थे
इतनी भी बड़ी कोई तोप तो नहीं
भाई शादी ही तो है
कोई सजा ए मौत तो नहीं
निभाने का तरीका आना चाहिए
फिर घर स्वर्ग हो जाता है
इतनी प्यारी सी धर्मपत्नी में
ना जाने लोगो को कैसे यमराज नज़र आता है
हम भी तो शादी शुदा हैं
बस अपनी मर्ज़ी करते हैं
ना जाने क्यों लोग शादी करने से डरते हैं
अरे भई कुछ समझौते ही तो करने होते हैं
इसमें तुम्हारा भला क्या जाता है
पिटता वही है जो बात बात
पर श्रीमती को गुस्सा दिलाता है
मगर हम तो शांतिप्रिय लोग हैं
लड़ाई झगड़ों से दूर रहते हैं
वो जो भी बोले हम तो बस
हांजी हांजी कहते हैं
रात भर तो सोते ही हैं टांगें पसार कर
क्या हुआ जो जल्दी जाग कर
मन समझाना पड़ता है
इसमें काहे की शर्म अगर
सबको चाय पिला कर
नाश्ता बनाना पड़ता है
बच्चे मेरे भी तो हैं
क्या हुआ जो उन्हें नहला दिया
इसमें कोई गरज नहीं अगर
आफिस जाने से पहले
घर में झाड़ू पोंछा लगा दिया
शाम को आफिस से आते ही
जब वो मुस्कुरा कर कहती है
“चाय के साथ पकौड़ियाँ भी बना लो ना”
तब उसके कहे लफ़्ज़ों से हम भी मुंह मोड़ा नहीं करते हैं
कितने हक़ से कहती है फिर
हम भी फिर उनका दिल नहीं तोडा करते हैं
ना जाने क्यों लोग शादी करने से डरते हैं
अरे भाई पत्नी ही है रात के खाने में
हाथ बटा दिया तो क्या बुरा किया
हमने जब तक पकाई दाल रोटी
तब तक बेचारी ने कुछ दो चार
धारावाहिकों को निपटा दिया तो क्या बुरा किया
अब वो भी तो इन्सान है कितना करेगी
थक जाती है दिनभर में
अब भला बर्तन कैसे मलेगी
दो चार ही तो होते हैं
हम भी चुप चाप धो लेते हैं
फिर आराम से उसके पास जा बैठा करते हैं
उसके नाज़ुक पैरों को हौले से ऐंठा करते हैं
ना जाने लोग क्यों शादी करने से डरते हैं
अब छुट्टी के दिन भी तो बोर ही तो होते हैं
क्या बुरा है इसमें अगर चार कपड़े धो लेते हैं
सासू माँ में माँ दिखती है
ससुर में पिता जी दिखाई पड़ते हैं
ना जाने क्यों लोग शादी करने से डरते हैं
खर्च हमारा है ही कितना
क्यों पैसा अपने पास रखें
क्या हरज है धर्मपत्नी ही
घर का सारा हिसाब रखे
ऐसा भी नहीं कि हम उनसे डरते हैं
बस शुरू से जो माँ बाप ने जो सिखाया
वही मान कर देवी जी की इज्ज़त करते हैं
ना जाने लोग क्यों शादी करने से डरते हैं
नोट – ये बस हास्य के लिए था कोई पीड़ित भाई इसे दिल पर ना ले
COMMENTS