प्यारे उत्तर प्रदेश प्रणाम वैसे तो इन दिनों तुम्हारी दी ही रोटी खा रहा हूँ मगर क्या करूँ अन्याय सहा नहीं जाता बोलने पर मजबूर हो जाता हूँ । स...
प्यारे उत्तर प्रदेश
प्रणाम
वैसे तो इन दिनों तुम्हारी दी ही रोटी खा रहा हूँ मगर क्या करूँ अन्याय सहा नहीं जाता बोलने पर मजबूर हो जाता हूँ । सच कहूँ तो तुम पर बड़ा तरस आता है यार । तुम तो उस बूढ़े बाप की तरह होते जा रहे हो यार जिसके बेटे इतने नालायक निकल जाते हैं कि अपना ही घर फूंक देते हैं । मैं नहीं कहता सिर्फ तुम्हारा हाल ही बुरा है मगर हाँ ये ज़रूर कहता हूँ कि तुम्हारा हाल सबसे बुरा ज़रूर है । तुम्हारे अपने ही बच्चे तुम्हे शर्मिंदा करने पर तुले हुए हैं । देश में तुम तकरीबन सबसे ज्यादा बड़े बूढों की सूचि में आते हो और तुम्हारे साथ ऐसा सुलूक सच में बहुत दुखदाई सा है । मैं तो बिहार को ले कर ही चिंतित था मगर तुम्हे देखते देखते तो अब बिहार की स्थिति तुमसे बेहतर लगने लगी है ।
तुम्हारे घर में तुम्हारी बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं रह चलते गाड़ियां रोक कर उनकी इज्ज़त लूट ली जा रही है । तुम्हारे यहाँ तुम्हारे बच्चे सुरक्षित नहीं हैं उन्हें उनके ही अपने मार दे रहे हैं । जहाँ देश की ढोंगी मिडिया अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए ड्रामे कर रही है वो अभिव्यक्ति की आज़ादी तो सबसे ज्यादा तुम्हारे घर में छिनी गयी है । अभी हाल ही में मैं एक डाक्युमेंट्री बनाने अपनी टीम के साथ तुम्हारे ही घर के एक हिस्से में गया था । हमारी तो भईया रोज़ी है हमें तो लोगों से उन पर हुई ज़्यादतियों को बुलवाना ही था मगर आँखों से अनसु तब अपने आप झरने लगे जब क्षेत्र वासियों से ये सुना की उन्हें किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली है विधायक साहब से जब शिकायत करते हैं तो कहते हैं की हमें वोट ही नहीं दिए तुम लोग तो मदद कैसा । यार हद ही है ये तो मतलब कि अब जहाँ से वोट मिलेगा बस वहीँ का काम होगा ? एक महिला ने तो रोते हुए कहा “गरीब आदमी हैं साहेब जादा बोलेंगे तो मार खायेंगे ।” और ऐसा हुआ भी उस क्षेत्र में जब एक युवक ने विधायक जी के खिलाफ आवाज़ उठाई तो उस पर इतनी धाराएँ लाद दी गयीं, इतना प्रताड़ित किया गया कि वो जिलाबदर होने पर मजबूर होगया ।
खैर ये तो दूर दराज की बात है तुम्हारे अपने ही बच्चों को यकीन नहीं होगा की उनके घर में ऐसा हो रहा है सब कहेंगे मैं झूठ बोल रहा हूँ । मगर ये जो कल हुआ है तुमने जिनके हाथों में अपना घर चलने की ज़िम्मेदारी दी है उन्ही में से एक नाम अतीक अहमद का भी है ना । विद्यालय शिक्षा का मंदिर है, तुम या हमारा देश इसी पर निर्भर है, ये बुद्धि की खेती करता है फिर ही बुद्धिजीवी निकल कर तुम्हे या देश को सम्भालते हैं । सनातन काल से हम विद्यालयों में पढ़ने वाले गुरुओं का सम्मान करते आये हैं और ये इन्सान विश्वविद्यालय में अपने हथियारबंद गुंडों के साथ घुस कर सरे स्टाफ को गलियाँ देता है और फिर उन्हें बुरी तरह मरता है उन्हें ज़लील करता है । और वो भी ऐसे जैसे ये यहाँ जंगल का कानून चल रहा हो जैसे जिसकी लाठी उसी की भांस और भांस को मरने वाला पैना भी हो ।
क्या होगया है तुम्हे यार तुम इतने भी बूढ़े नहीं हुए कि ये कल के लौंडे तुम्हारा घर उजाड़ दें । संभलो प्यारे उत्तर प्रदेश संभलो नहीं तो तुम भारत में रहते हुए भारत से अलग हो जाओगे लोग डरेंगे तुम्हारे घर आने से । मैं किसी पार्टी का हिमायती नहीं हूँ, मुझे न राजनीति से लेना देना है कुछ न राजनेताओं से । मेरे लिए बेहतर वही है जिसने बेहतर काम किया है । मगर तुम तो सख्त रुख अपनाओ यार तुम चाहो तो सब को पेल के रख दो बशर्ते इस बार के चुनाव में चुनाव के दिन बिहार की तरह दारू पी के सो नहीं जाना और फिर आगे पछताते रहना । किसी को भी चुनों पर सोच समझ कर चुनो नहीं तो ये अपने लालच और झूठे अहंकार में तुम्हे बर्बाद कर देंगे । बाकि गलत सही के लिए हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगता हूँ ।
तुम्हारा मेहमान
धीरज झा
प्रणाम
वैसे तो इन दिनों तुम्हारी दी ही रोटी खा रहा हूँ मगर क्या करूँ अन्याय सहा नहीं जाता बोलने पर मजबूर हो जाता हूँ । सच कहूँ तो तुम पर बड़ा तरस आता है यार । तुम तो उस बूढ़े बाप की तरह होते जा रहे हो यार जिसके बेटे इतने नालायक निकल जाते हैं कि अपना ही घर फूंक देते हैं । मैं नहीं कहता सिर्फ तुम्हारा हाल ही बुरा है मगर हाँ ये ज़रूर कहता हूँ कि तुम्हारा हाल सबसे बुरा ज़रूर है । तुम्हारे अपने ही बच्चे तुम्हे शर्मिंदा करने पर तुले हुए हैं । देश में तुम तकरीबन सबसे ज्यादा बड़े बूढों की सूचि में आते हो और तुम्हारे साथ ऐसा सुलूक सच में बहुत दुखदाई सा है । मैं तो बिहार को ले कर ही चिंतित था मगर तुम्हे देखते देखते तो अब बिहार की स्थिति तुमसे बेहतर लगने लगी है ।
तुम्हारे घर में तुम्हारी बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं रह चलते गाड़ियां रोक कर उनकी इज्ज़त लूट ली जा रही है । तुम्हारे यहाँ तुम्हारे बच्चे सुरक्षित नहीं हैं उन्हें उनके ही अपने मार दे रहे हैं । जहाँ देश की ढोंगी मिडिया अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए ड्रामे कर रही है वो अभिव्यक्ति की आज़ादी तो सबसे ज्यादा तुम्हारे घर में छिनी गयी है । अभी हाल ही में मैं एक डाक्युमेंट्री बनाने अपनी टीम के साथ तुम्हारे ही घर के एक हिस्से में गया था । हमारी तो भईया रोज़ी है हमें तो लोगों से उन पर हुई ज़्यादतियों को बुलवाना ही था मगर आँखों से अनसु तब अपने आप झरने लगे जब क्षेत्र वासियों से ये सुना की उन्हें किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली है विधायक साहब से जब शिकायत करते हैं तो कहते हैं की हमें वोट ही नहीं दिए तुम लोग तो मदद कैसा । यार हद ही है ये तो मतलब कि अब जहाँ से वोट मिलेगा बस वहीँ का काम होगा ? एक महिला ने तो रोते हुए कहा “गरीब आदमी हैं साहेब जादा बोलेंगे तो मार खायेंगे ।” और ऐसा हुआ भी उस क्षेत्र में जब एक युवक ने विधायक जी के खिलाफ आवाज़ उठाई तो उस पर इतनी धाराएँ लाद दी गयीं, इतना प्रताड़ित किया गया कि वो जिलाबदर होने पर मजबूर होगया ।
खैर ये तो दूर दराज की बात है तुम्हारे अपने ही बच्चों को यकीन नहीं होगा की उनके घर में ऐसा हो रहा है सब कहेंगे मैं झूठ बोल रहा हूँ । मगर ये जो कल हुआ है तुमने जिनके हाथों में अपना घर चलने की ज़िम्मेदारी दी है उन्ही में से एक नाम अतीक अहमद का भी है ना । विद्यालय शिक्षा का मंदिर है, तुम या हमारा देश इसी पर निर्भर है, ये बुद्धि की खेती करता है फिर ही बुद्धिजीवी निकल कर तुम्हे या देश को सम्भालते हैं । सनातन काल से हम विद्यालयों में पढ़ने वाले गुरुओं का सम्मान करते आये हैं और ये इन्सान विश्वविद्यालय में अपने हथियारबंद गुंडों के साथ घुस कर सरे स्टाफ को गलियाँ देता है और फिर उन्हें बुरी तरह मरता है उन्हें ज़लील करता है । और वो भी ऐसे जैसे ये यहाँ जंगल का कानून चल रहा हो जैसे जिसकी लाठी उसी की भांस और भांस को मरने वाला पैना भी हो ।
क्या होगया है तुम्हे यार तुम इतने भी बूढ़े नहीं हुए कि ये कल के लौंडे तुम्हारा घर उजाड़ दें । संभलो प्यारे उत्तर प्रदेश संभलो नहीं तो तुम भारत में रहते हुए भारत से अलग हो जाओगे लोग डरेंगे तुम्हारे घर आने से । मैं किसी पार्टी का हिमायती नहीं हूँ, मुझे न राजनीति से लेना देना है कुछ न राजनेताओं से । मेरे लिए बेहतर वही है जिसने बेहतर काम किया है । मगर तुम तो सख्त रुख अपनाओ यार तुम चाहो तो सब को पेल के रख दो बशर्ते इस बार के चुनाव में चुनाव के दिन बिहार की तरह दारू पी के सो नहीं जाना और फिर आगे पछताते रहना । किसी को भी चुनों पर सोच समझ कर चुनो नहीं तो ये अपने लालच और झूठे अहंकार में तुम्हे बर्बाद कर देंगे । बाकि गलत सही के लिए हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगता हूँ ।
तुम्हारा मेहमान
धीरज झा
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